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महात्मा सत्यबोधानंद ने लाशों के ढेर से अंतिम संस्कार के लिए ढूंढा शव

कोविड संक्रमण में जब अपनों ने मदद नहीं की तो मानव उत्थान सेवा समिति आश्रम के महात्मा सत्यबोधानंद ने मानवता की मिसाल पेश की.

महात्मा सत्यबोधा नंद
महात्मा सत्यबोधा नंद
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Published : May 6, 2021, 2:40 PM IST

हल्द्वानी: कोविड संक्रमण की लोगों में इतनी दहशत हो चुकी है कि लोग स्वजन को इलाज कराने और मृत्यु हो जाने पर उसका अंतिम संस्कार करने से भी किनारा कर रहे हैं. ऐसा ही मामला हल्द्वानी में देखने को मिला. मानव उत्थान सेवा समिति आश्रम के पास रहने वाले 54 वर्षीय विमल वर्मा की तबीयत अचानक खराब हो गई.

मुश्किल परिस्थति में छोड़ा अपनों ने साथ

उनकी पत्नी ने कई लोगों से इलाज के लिए मदद मांगी, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा. बहुत देर बाद आश्रम के महात्मा सत्यबोधानंद महाराज ने अपनी गाड़ी में विमल वर्मा को लेकर शहर के कई अस्पतालों में इलाज के लिए चक्कर काटे. आखिरकार उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाया गया, जहां बुधवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

पढ़ें: कोरोना: भीड़ को लेकर पुलिस और जिला प्रशासन ने व्यापारियों को दिए दिशा-निर्देश

महात्मा सत्यबोधानंद ने कराया अंतिम संस्कार

पति की मौत के बाद से महिला अपने पति के शव के लिए लोगों से गुहार लगाती रही, लेकिन महिला का कोई रिश्तेदार और परिजन सामने नहीं आया. महात्मा सत्यबोधानंद ने शव के अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाते हुए पीपीई किट पहन मोर्चरी जाकर लाशों के बीच से विमल वर्मा का शव को ढूंढ निकाला. एंबुलेंस की मदद से गौलापार श्मशान घाट पहुंचे. विमल वर्मा के छोटे भाई को रामनगर से बुलाकर महात्मा सत्यबोधानंद ने पीपीई किट पहन शव का अंतिम संस्कार करवाया. महात्मा सत्यबोधानंद ने मानवता की मिसाल देते हुए लोगों से अपील की है कि इस संकट की घड़ी में इंसान ही इंसान के काम आ सकता है.

हल्द्वानी: कोविड संक्रमण की लोगों में इतनी दहशत हो चुकी है कि लोग स्वजन को इलाज कराने और मृत्यु हो जाने पर उसका अंतिम संस्कार करने से भी किनारा कर रहे हैं. ऐसा ही मामला हल्द्वानी में देखने को मिला. मानव उत्थान सेवा समिति आश्रम के पास रहने वाले 54 वर्षीय विमल वर्मा की तबीयत अचानक खराब हो गई.

मुश्किल परिस्थति में छोड़ा अपनों ने साथ

उनकी पत्नी ने कई लोगों से इलाज के लिए मदद मांगी, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा. बहुत देर बाद आश्रम के महात्मा सत्यबोधानंद महाराज ने अपनी गाड़ी में विमल वर्मा को लेकर शहर के कई अस्पतालों में इलाज के लिए चक्कर काटे. आखिरकार उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाया गया, जहां बुधवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

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महात्मा सत्यबोधानंद ने कराया अंतिम संस्कार

पति की मौत के बाद से महिला अपने पति के शव के लिए लोगों से गुहार लगाती रही, लेकिन महिला का कोई रिश्तेदार और परिजन सामने नहीं आया. महात्मा सत्यबोधानंद ने शव के अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाते हुए पीपीई किट पहन मोर्चरी जाकर लाशों के बीच से विमल वर्मा का शव को ढूंढ निकाला. एंबुलेंस की मदद से गौलापार श्मशान घाट पहुंचे. विमल वर्मा के छोटे भाई को रामनगर से बुलाकर महात्मा सत्यबोधानंद ने पीपीई किट पहन शव का अंतिम संस्कार करवाया. महात्मा सत्यबोधानंद ने मानवता की मिसाल देते हुए लोगों से अपील की है कि इस संकट की घड़ी में इंसान ही इंसान के काम आ सकता है.

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