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देश मे हर 10 KM पर लगेंगे लो कॉस्ट सेंसर, कम कीमत पर होगा प्रदूषण नियंत्रण - low cost sensor

देश में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए हर 10 किलोमीटर की दूरी पर लो कॉस्ट सेंसर लगाए जाएंगे. जिसे लेकर 15 देशों के वैज्ञानिक नैनीताल के एरीज में गहन चिंतन-मंथन कर रहे हैं.

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प्रदूषण रोकने के लिए देश भर में लगाए जाएंगे लो कॉस्ट सेंसर.
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Published : Nov 30, 2019, 10:14 AM IST

नैनीताल: एशिया में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए इन दिनों सरोवर नगरी में 15 देशों के वैज्ञानिक गहन चिंतन-मंथन कर रहे हैं. इसी कड़ी में देशभर में लो कॉस्ट सेंसर लगाने की योजना बनाई जा रही है. ताकि लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सके.

वैज्ञानिक मनीष नाजा ने बताया कि देश में करीब 100 से 200 किलोमीटर की दूरी पर प्रदूषण नियंत्रण टॉवर लगे हैं. जिसके चलते लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर नियंत्रण करना नामुमकिन साबित हो रहा है. जिसे ध्यान में रखते हुए अब देशभर में करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर प्रदूषण नियंत्रण टॉवर लगाने की जरूरत है. साथ ही बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा अब नई तकनीक से लो कॉस्ट सेंसर बनाए जा चुके हैं. जिनसे तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण के कारणों का पता लगाया जा सकता है.

एरीज में वैज्ञानिकों का गहन चिंतन-मंथन.

इन सेंसरों के माध्यम से प्रदूषण के आंकड़े प्राप्त किए जा सकेंगे और देशभर में बढ़ रहे प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सकता है. जिसके चलते इन सेंसरों को देशभर में लगाए जाने पर मंथन किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने तेजी से पिघल रहे ग्लेशियरों पर भी चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि वायु प्रदूषण के बढ़ने का प्रभाव भविष्य में हिमालय पर भी पड़ेगा. ऐसे में समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को इसके असर से जुझना पड़ेगा.

ये भी पढ़े: पिथौरागढ़ उपचुनाव: बीजेपी की जीत ने हरदा के लिए खड़ी की मुश्किलें, कांग्रेस की खींचतान आई सामने

वही बेंगलुरु के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर श्याम ने बताया कि देश में बढ़ रही पराली के प्रदूषण की समस्या कुछ ही दिनों की है. इससे ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है.

नैनीताल: एशिया में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए इन दिनों सरोवर नगरी में 15 देशों के वैज्ञानिक गहन चिंतन-मंथन कर रहे हैं. इसी कड़ी में देशभर में लो कॉस्ट सेंसर लगाने की योजना बनाई जा रही है. ताकि लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सके.

वैज्ञानिक मनीष नाजा ने बताया कि देश में करीब 100 से 200 किलोमीटर की दूरी पर प्रदूषण नियंत्रण टॉवर लगे हैं. जिसके चलते लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर नियंत्रण करना नामुमकिन साबित हो रहा है. जिसे ध्यान में रखते हुए अब देशभर में करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर प्रदूषण नियंत्रण टॉवर लगाने की जरूरत है. साथ ही बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा अब नई तकनीक से लो कॉस्ट सेंसर बनाए जा चुके हैं. जिनसे तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण के कारणों का पता लगाया जा सकता है.

एरीज में वैज्ञानिकों का गहन चिंतन-मंथन.

इन सेंसरों के माध्यम से प्रदूषण के आंकड़े प्राप्त किए जा सकेंगे और देशभर में बढ़ रहे प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सकता है. जिसके चलते इन सेंसरों को देशभर में लगाए जाने पर मंथन किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने तेजी से पिघल रहे ग्लेशियरों पर भी चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि वायु प्रदूषण के बढ़ने का प्रभाव भविष्य में हिमालय पर भी पड़ेगा. ऐसे में समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को इसके असर से जुझना पड़ेगा.

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वही बेंगलुरु के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर श्याम ने बताया कि देश में बढ़ रही पराली के प्रदूषण की समस्या कुछ ही दिनों की है. इससे ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है.

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भारत समेत एशियाई देशों से वायु प्रदूषण को खत्म करने के लिए लगाने होंगे लॉ कॉस्ट सेंसर।

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पूरे एशिया में तेजी से बढ़ ही प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए इन दिनों सरोवर नगरी नैनीताल में 15 देशों के वैज्ञानिक प्रदूषण की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए गहन चिंतन और मंथन कर रहे हैं, देश भर से पहुंचे 15 वैज्ञानिकों की टीम ने कहा कि उत्तराखंड समेत पूरे देश भर में लॉ कॉस्ट सेंसर लगाने की योजना है जिससे लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर नियंत्रण करा जा सके।


Body: नैनीताल पहुंचे वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक देश में करीब 100 से 200 किलोमीटर की दूरी पर प्रदूषण नियंत्रण टावर लगे हैं जिस वजह से लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर नियंत्रण लगाना नामुमकिन साबित हो रहा है इसी वजह से अब देशभर में करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर प्रदूषण नियंत्रण टावर ( लो कॉस्ट सेंसर ) लगाने की जरूरत है, क्यों कि वैज्ञानिकों द्वारा अब नई तकनीक से लो कॉस्ट सेंसर बनाये है, ताकि तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण का पता लगाया जा सके कि प्रदूषण क्यों और कैसे बढ रहा है, और इन्ही सेंसरों को देश भर में लगाने और उनके कार्य करने पर मंथन करा जा रहा है, ताकि इन सेंसरों के माध्यम से प्रदूषण के आंकड़े प्राप्त करे जा सके, और देश भर में बढ़ रहे प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सके।



Conclusion:नैनीताल में आयोजित हो रही इस कार्यशाला में वैज्ञानिकों का कहना है कि इन सेंसरों के स्थापित होने से प्रदूषण के बढ़ने का कारण भी पता चल सकेगा, वही स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर पर भी नजर रखी जा सकेगी।
इस दौरान वैज्ञानिकों द्वारा तेजी से पिघल रहे ग्लेशियरों पर भी चिंता व्यक्त की, और उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण के बढ़ने का प्रभाव भविष्य में हिमालय पर भी पड़ेगा अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को इसकी समस्या से जूझना पड़ेगा।
वही बेंगलुरु के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर श्याम ने कहा कि देश मे बढ़ रही पराली की समस्या कुछ दिनों की है,और इससे ज्यादा प्रभाव नही पड़ता है।

बाईट- डॉ मनीष नाजा, वैज्ञनिक।




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