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कालाढूंगी: जिंदा व्यक्ति को मृत दिखाकर भूमाफिया ने बेची जमीन, न्याय पाने को भटक रहा पीड़ित

कोटाबाग विकाखंड के कमोला गांव निवासी हरिकृष्ण को मृत बताकर भूमाफिया ने उनकी जमीन बेच दी. वहीं, हरिकृष्ण अब न्याय पाने को दर-बदर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

Land mafia sold Harikrishna land by
जिंदा व्यक्ति को मृत दिखाकर बेच दी जमीन
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Published : Mar 16, 2022, 7:56 PM IST

Updated : Mar 16, 2022, 9:47 PM IST

कालाढ़ूंगी: क्या आपने कागज फिल्म देखी है. इस फिल्म की कहानी एक ऐसे व्यक्ति के जीवन पर आधारित है, जो असल में तो जिंदा होता है, लेकिन कागजी दस्तावेजों में उसे मृत घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद पूरी फिल्म इसी कहानी के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है. कुछ ऐसा ही हुआ है कोटाबाग विकाखंड के कमोला गांव निवासी हरिकृष्ण के साथ भी. जिन्हें मृत दिखाकर भूमाफिया ने उनकी जमीन को किसी और को बेच दिया है. ऐसे में हरिकृष्ण अब न्याय पाने को दर-बदर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

कागज फिल्म में देश के सरकारी तंत्र की खस्ता हालत दिखाने की कोशिश की जाती है कि कैसे देश का सिस्टम पूरी तरह से किसी भी इंसान की आसान और नॉर्मल जिंदगी को बर्बाद कर सकता है. कैसे महीनों अदालत और कोर्ट-कचहरी करने के बाद भी आसानी से न्याय नहीं मिलता है. पूरी फिल्म एक ऐसे ही इंसान की कहानी है जो खुद को जिंदा साबित करने के लिए पूरे सरकारी सिस्टम के खिलाफ संघर्ष करता है.

जिंदा व्यक्ति को मृत दिखाकर भूमाफिया ने बेची जमीन.

ऐसा ही संघर्ष अपने जीवन में कोटबाग के कमोला गांव के रहने वाले हरिकृष्ण भी कर रहे हैं. जिन्हें अपने आप को जीवित साबित करने के लिए भी बड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. क्योंकि कुछ भूमाफिया ने इन्हें मृत दर्शाकर इनकी पुश्तैनी भूमि को ही बेच डाला. जी हां! कुछ जनप्रतिनिधियों व राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से इन्हें मृत दिखाए जाने का मामला कालाढूंगी के साथ ही प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है.

ये भी पढ़ें: चुनाव में मिली हार पर बोले धामी- खटीमा की जनता का जनादेश स्वीकार, नहीं रूकेगा क्षेत्र का विकास

कालाढूंगी के कमोला निवासी हरिकृष्ण पुत्र लक्ष्मीदत्त ने बताया कि कमोला समेत कोश्याकुटोली तहसील अंतर्गत बुधलाकोट गांव और पंगूट में उनकी पैतृक भूमि है. उन्हें पंगूट वाली भूमि में आड़ू का बाग लगाने के लिए खतौनी की जरूरत पड़ी तो खतौनी निकालने पर उन्हें पता चला कि उनकी मृत्यु 1980 में हो चुकी है और यह भूमि अब बिक चुकी है.

वहीं, यह फर्जी रजिस्ट्री खारिज किये जाने को लेकर तहसील कोशयाकुटोली में उनका वाद चल रहा है, मगर राजस्व कर्मियों की मिलीभगत होने की वजह से मामले को बेवजह लटकाया जा रहा है. उनकी पुरानी खतौनी में उनका नाम दर्ज है, जबकि नई खतौनी में काट दिया गया है.

हरिकृष्ण का कहना है कि सारे सबूत और प्रमाण पत्र उनके पास हैं, उन्हें वृद्धा पेंशन भी मिलती है, उसके बाद भी समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में उन्होंने चेतावनी दी कि उन्हें तो पहले ही मृत घोषित कर दिया गया है, मगर उन्हें जल्द ही न्याय नहीं मिला तो अब तहसीलदार कोशयाकुटोली के सामने ही आत्मदाह कर लेंगे. उन्होंने अब कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत को पत्र भेजकर न्याय दिलाने की मांग की है.

कालाढ़ूंगी: क्या आपने कागज फिल्म देखी है. इस फिल्म की कहानी एक ऐसे व्यक्ति के जीवन पर आधारित है, जो असल में तो जिंदा होता है, लेकिन कागजी दस्तावेजों में उसे मृत घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद पूरी फिल्म इसी कहानी के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है. कुछ ऐसा ही हुआ है कोटाबाग विकाखंड के कमोला गांव निवासी हरिकृष्ण के साथ भी. जिन्हें मृत दिखाकर भूमाफिया ने उनकी जमीन को किसी और को बेच दिया है. ऐसे में हरिकृष्ण अब न्याय पाने को दर-बदर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

कागज फिल्म में देश के सरकारी तंत्र की खस्ता हालत दिखाने की कोशिश की जाती है कि कैसे देश का सिस्टम पूरी तरह से किसी भी इंसान की आसान और नॉर्मल जिंदगी को बर्बाद कर सकता है. कैसे महीनों अदालत और कोर्ट-कचहरी करने के बाद भी आसानी से न्याय नहीं मिलता है. पूरी फिल्म एक ऐसे ही इंसान की कहानी है जो खुद को जिंदा साबित करने के लिए पूरे सरकारी सिस्टम के खिलाफ संघर्ष करता है.

जिंदा व्यक्ति को मृत दिखाकर भूमाफिया ने बेची जमीन.

ऐसा ही संघर्ष अपने जीवन में कोटबाग के कमोला गांव के रहने वाले हरिकृष्ण भी कर रहे हैं. जिन्हें अपने आप को जीवित साबित करने के लिए भी बड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. क्योंकि कुछ भूमाफिया ने इन्हें मृत दर्शाकर इनकी पुश्तैनी भूमि को ही बेच डाला. जी हां! कुछ जनप्रतिनिधियों व राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से इन्हें मृत दिखाए जाने का मामला कालाढूंगी के साथ ही प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है.

ये भी पढ़ें: चुनाव में मिली हार पर बोले धामी- खटीमा की जनता का जनादेश स्वीकार, नहीं रूकेगा क्षेत्र का विकास

कालाढूंगी के कमोला निवासी हरिकृष्ण पुत्र लक्ष्मीदत्त ने बताया कि कमोला समेत कोश्याकुटोली तहसील अंतर्गत बुधलाकोट गांव और पंगूट में उनकी पैतृक भूमि है. उन्हें पंगूट वाली भूमि में आड़ू का बाग लगाने के लिए खतौनी की जरूरत पड़ी तो खतौनी निकालने पर उन्हें पता चला कि उनकी मृत्यु 1980 में हो चुकी है और यह भूमि अब बिक चुकी है.

वहीं, यह फर्जी रजिस्ट्री खारिज किये जाने को लेकर तहसील कोशयाकुटोली में उनका वाद चल रहा है, मगर राजस्व कर्मियों की मिलीभगत होने की वजह से मामले को बेवजह लटकाया जा रहा है. उनकी पुरानी खतौनी में उनका नाम दर्ज है, जबकि नई खतौनी में काट दिया गया है.

हरिकृष्ण का कहना है कि सारे सबूत और प्रमाण पत्र उनके पास हैं, उन्हें वृद्धा पेंशन भी मिलती है, उसके बाद भी समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में उन्होंने चेतावनी दी कि उन्हें तो पहले ही मृत घोषित कर दिया गया है, मगर उन्हें जल्द ही न्याय नहीं मिला तो अब तहसीलदार कोशयाकुटोली के सामने ही आत्मदाह कर लेंगे. उन्होंने अब कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत को पत्र भेजकर न्याय दिलाने की मांग की है.

Last Updated : Mar 16, 2022, 9:47 PM IST
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