हल्द्वानीः प्रदेश में लगातार बाल मजदूरी और बंधुआ मजदूरी की शिकायतें लगातार सामने आती रही हैं. वहीं आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड बनने से लेकर अभी तक श्रम विभाग ने पूरे प्रदेश से 52 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया है. इसके साथ ही बाहरी प्रदेशों में उत्तराखंड के रहने वाले 39 बंधुआ मजदूरों को भी श्रम विभाग ने मुक्त कराया है. यही नहीं बंधुआ मजदूरों के उत्थान के लिए सरकार द्वारा 1 करोड़ 30 लाख रुपए की धनराशि भी आवंटित की गई है.
हल्द्वानी के केनाल रोड के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने श्रम विभाग से मांगी आरटीआई के मुताबिक लोक सूचना अधिकारी सहायक श्रम आयुक्त द्वारा जानकारी दी गई है कि उत्तराखंड बनने से अभी तक 52 बंधुआ मजदूरों को पूरे प्रदेश से मुक्त कराया गया है. इसके अलावा उत्तराखंड के रहने वाले लोगों को अन्य प्रदेशों में बंधुआ मजदूर बनाकर काम कराए जाने की शिकायत मिलने पर विभाग द्वारा अन्य प्रदेशों में जाकर उत्तराखंड के 39 लोगों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया गया है. वहीं आरटीआई में यह भी जानकारी मिली है कि बंधुआ मजदूरों के उत्थान के लिए शासन से 1 करोड़ 30 लाख रुपए की धनराशि आवंटित की है. जिसके तहत सभी जनपदों के लेबर अधिकारियों को लेबर रिहैबिलिटेशन फंड के तहत 10-10 लाख का बजट जारी किया गया है.
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वहीं, आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि अभी भी कई जगहों पर बंधुआ मजदूरी के मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन विभाग द्वारा पिछले 20 सालों में इतनी कम संख्या में बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराना सरकारी मशीनरी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है. उन्होंने बताया कि कई जगहों पर लोग बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे हैं. लेकिन श्रम विभाग इन मजदूरों को मुक्त कराने और उनको उचित मजदूरी और व्यवस्था दिलाने का काम तक नहीं कर रहा है.