हल्द्वानीः पहाड़ों में अवैध बोरिंग को लेकर कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने अगले 15 दिन के अंदर नैनीताल और कोश्याकुटौली तहसील से अवैध बोरिंग की रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है, जो बोरिंग के बाद ग्रामीणों को पानी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं. दीपक रावत के इस आदेश के बाद प्राइवेट बोरिंग संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है.
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के मुताबिक, पहाड़ों में गिरते जलस्तर को देखते हुए यह तय किया जाना बहुत जरूरी हो गया है कि बोरिंग को लेकर सख्त रुख अपनाया जाए. इतना ही नहीं पहाड़ों में कई जगह ऐसी बोरिंग की जा रही है, जिनकी कोई अनुमति ही नहीं है. दीपक रावत का कहना है कि कई जगह बोरिंग के लिए ग्रामीणों की एनओसी (NOC) जरूरी है, लेकिन ऐसा देखने को मिल रहा है कि कई जगहों में बिना एनओसी की ही बोरिंग की जा रही है, लेकिन उसका पानी ग्रामीणों को नहीं दिया जा रहा है.
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कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने 15 दिन के अंदर ऐसी बोरिंग की लिस्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जिन पर आगे कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है. उन्होंने पूरे कुमाऊं के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वो अपने-अपने क्षेत्र में सभी बोरिंग की रिपोर्ट 15 दिन के अंदर पेश करें.
क्या है प्राइवेट बोरिंग लगाने का मानकः पहाड़ों में प्राइवेट बोरिंग की अनुमति दी जाती है, लेकिन इसके लिए कई मानक हैं. पहले मानक के तहत बोरिंग लगने से जल संकट खड़ा न हो, क्योंकि पानी किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि, सभी का रिसोर्स होता है. दूसरे मानक के तहत ग्राम सभा की एनओसी जरुरी होता है. तीसरे मानक के तहत अगर किसी व्यक्ति को बोरिंग की अनुमति मिलती है तो उसे ग्रामीणों के साथ पानी शेयर भी करना होता है. वहीं, बिना अनुमति के तहत चल रहे बोरिंग के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
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