हल्द्वानी: उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को अलग हुए 20 साल हो गए. इस दौरान प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की सरकारें रही हैं. सत्ता में काबिज होने के लिए दोनों ही दलों ने जमकर घोषणाएं कीं. वहीं, इनमें से अधिकतर घोषणाएं कोरी ही साबित हुई हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए सबसे ज्यादा घोषणाएं की थीं. वहीं, आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च 2017 को पदभार संभाला. तब से अब तक प्रदेश के 56 विभागों की विभिन्न योजनाओं के लिए 2,266 घोषणाएं की गईं हैं, जिसमें 1,300 घोषणाएं ही पूरी हुई हैं. जबकि 549 पर कार्य गतिमान है, 381 अभी अपूर्ण हैं और 36 आंशिक रूप से चल रही हैं.
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आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी थी. जानकारी अनुसार सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत अभी तक 2,266 घोषणा कर चुके हैं. इनमें से 1,300 घोषणाएं ही पूरी हुई हैं. यही नहीं आरटीआई कार्यकर्ता ने घोषणाओं पर खर्च का विवरण भी मांगा था, लेकिन कार्यालय ने घोषणाओं का विवरण उपलब्ध नहीं होने का हवाला देते हुए खर्च के विवरण की सूचना नहीं दी है. हेमंत गोनिया का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में करीब 1 साल का समय बचा हुआ है. ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं को जल्द पूरा करना चाहिए, जिससे समय रहते योजनाओं का लाभ जनता को मिल सके.
गौरतलब है कि पूर्व सीएम हरीश रावत अपने 4 साल के कार्यकाल में मार्च 2017 तक 3,814 घोषणा की थीं. इनमें 2,201 घोषणाएं पूरी हुई थीं. जबकि 1,343 लंबित थीं और 270 पर काम नहीं हुआ. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि सबसे ज्यादा हरीश रावत ने घोषणाएं की थीं. उसके सापेक्ष मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणाएं काफी कम हैं.