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सावधान! कहीं आप तो नहीं पी रहे अशुद्ध पानी , जानें कैसे करें जांच

आज की दौड़भाग वाली जिंदगी में आप किस गुणवत्ता का पानी पी रहे हैं. यह आपके लिए जानना बेहद जरूरी है. कैसे होती है पीने वाले पानी की शुद्धता की जांच. जानें इस इस रिपोर्ट में.....Uttarakhand Water Institute ​

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 26, 2023, 7:12 PM IST

सावधान! कहीं आप तो नहीं पी रहे अशुद्ध पानी

हल्द्वानी: नैनीताल में 1000 से ज्यादा प्राकृतिक जल स्रोत हैं, जहां से जिले के अलग-अलग इलाकों में पेयजल सप्लाई किया जाता है. इन प्राकृतिक जल स्रोतों की पूरे साल में तीन बार टेस्टिंग और मॉनिटरिंग की जाती है. जिसके लिए रोस्टर तैयार किया जाता है. केमिस्ट पंकज फुलारा के मुताबिक पानी की शुद्धता की जांच 14 पैरामीटर पर की जा रही है. जिसमें फिजियो केमिकल, बैक्टीरियल, कलर व टेस्ट, कैल्शियम और मैग्नीशियम की जांच की जाती है.

रोजाना 10 से 12 सैंपल किए जा रहे एकत्रित: केमिस्ट पंकज फुलारा ने बताया कि टेस्टिंग लैब में हल्द्वानी और कोटाबाग ब्लॉक के सभी प्राकृतिक जल स्रोत. जिसमें नदियां और गदेरों के अलावा surface water रिसोर्स के 10 से 12 सैंपल रोजाना कलेक्ट किए जाते हैं और उनकी जांच होती है. उन्होंने बताया कि कोटाबाग ब्लॉक में पानी के जितनी भी सैंपल इकट्ठा किए गए हैं, उनकी जांच की गई है. जिसके बाद मिली रिपोर्ट के मुताबिक पीने के पानी की गुणवत्ता बेहतर है और पीने के पानी में प्रदूषण का कोई चांस नहीं है.

ये भी पढ़ें: लक्सर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने की पानी की जांच, शुगर मिल से भी लिए सैंपल

सैंपल मिलने के बाद क्लोरीन की होती है जांच: पंकज फुलारा ने बताया कि पानी का सैंपल मिलने के बाद सबसे पहले उसमें क्लोरीन की जांच की जाती है. अगर पानी में क्लोरीन की मात्रा ठीक मिली तो उससे तय हो जाता है कि पानी बैक्टीरिया फ्री है. यानी पानी के (कॉन्टेमिनेशन) प्रदूषित होने का कोई चांस नहीं है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग वॉटर रिसोर्स के सैंपल की जांच उसकी डेटा पर निर्भर करती है, अगर पानी के सैंपल का डेटा उतार-चढ़ाव बताता है, तो पानी की गुणवत्ता खराब हो सकती है.
ये भी पढ़ें: रुड़की: पानी की गुणवत्ता जांच के लिए लैब स्थापित, नहीं लगाने पड़ेंगे राजधानी के चक्कर

सावधान! कहीं आप तो नहीं पी रहे अशुद्ध पानी

हल्द्वानी: नैनीताल में 1000 से ज्यादा प्राकृतिक जल स्रोत हैं, जहां से जिले के अलग-अलग इलाकों में पेयजल सप्लाई किया जाता है. इन प्राकृतिक जल स्रोतों की पूरे साल में तीन बार टेस्टिंग और मॉनिटरिंग की जाती है. जिसके लिए रोस्टर तैयार किया जाता है. केमिस्ट पंकज फुलारा के मुताबिक पानी की शुद्धता की जांच 14 पैरामीटर पर की जा रही है. जिसमें फिजियो केमिकल, बैक्टीरियल, कलर व टेस्ट, कैल्शियम और मैग्नीशियम की जांच की जाती है.

रोजाना 10 से 12 सैंपल किए जा रहे एकत्रित: केमिस्ट पंकज फुलारा ने बताया कि टेस्टिंग लैब में हल्द्वानी और कोटाबाग ब्लॉक के सभी प्राकृतिक जल स्रोत. जिसमें नदियां और गदेरों के अलावा surface water रिसोर्स के 10 से 12 सैंपल रोजाना कलेक्ट किए जाते हैं और उनकी जांच होती है. उन्होंने बताया कि कोटाबाग ब्लॉक में पानी के जितनी भी सैंपल इकट्ठा किए गए हैं, उनकी जांच की गई है. जिसके बाद मिली रिपोर्ट के मुताबिक पीने के पानी की गुणवत्ता बेहतर है और पीने के पानी में प्रदूषण का कोई चांस नहीं है.

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सैंपल मिलने के बाद क्लोरीन की होती है जांच: पंकज फुलारा ने बताया कि पानी का सैंपल मिलने के बाद सबसे पहले उसमें क्लोरीन की जांच की जाती है. अगर पानी में क्लोरीन की मात्रा ठीक मिली तो उससे तय हो जाता है कि पानी बैक्टीरिया फ्री है. यानी पानी के (कॉन्टेमिनेशन) प्रदूषित होने का कोई चांस नहीं है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग वॉटर रिसोर्स के सैंपल की जांच उसकी डेटा पर निर्भर करती है, अगर पानी के सैंपल का डेटा उतार-चढ़ाव बताता है, तो पानी की गुणवत्ता खराब हो सकती है.
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