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खटीमा: सलाखों के पीछे पहुंचा घूसखोर ऑफिसर, कोर्ट ने सुनाई पांच साल की सजा

जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव खुल्बे की अदालत ने असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने उन्हें सश्रम 5 साल का कारावास और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

घूसखोर असिस्टेंट कमिश्नर पहुंचा जेल.
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Published : Aug 31, 2019, 3:18 PM IST

नैनीताल: भ्रष्टाचार के मामले में असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने उन्हें सश्रम 5 साल का कारावास और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव खुल्बे की अदालत ने असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर शेर सिंह रावत को भ्रष्टाचार में लिप्त पाया है.

बता दें कि 11 जून 2012 को एसपी विजिलेंस हल्द्वानी को सितारगंज निवासी इकशाद अहमद ने असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर के खिलाफ शिकायती पत्र दिया था. जिसमें कहा गया था कि असिस्टेंट कमिश्नर ने सितारगंज में शीतल पेय कंपनी की न्यू हिंद एजेंसी के व्यापार कर संबंधित मामले के निस्तारण के लिए 45 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी. इस शिकायत पर बीती 14 जून को विजिलेंस टीम ने शेर सिंह रावत को 45 हजार रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.

वहीं, शिकायतकर्ता का कहना था कि वह रिश्वतखोर ऑफिसर को रंगे हाथ पकड़वाने चाहते थे. ऐसे में इस मामले की जांच के बाद आरोपी के खिलाफ एंटी करप्शन कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई थी. संयुक्त निदेशक विधि डीएस जंगपांगी की ओर से आरोप साबित करने के लिए 6 गवाह पेश किए गए, जिन्होने असिस्टेंट कमिश्नर के खिलाफ गवाही दी.

गौरतलब है कि शिकायतकर्ता की संस्था को असिस्टेंट कमिश्नर ने साल 2008, 2010 और 2011 में टैक्स के मामले नोटिस जारी किए गए थे, और इन सभी मामलों के निस्तारण के लिए प्रति केस सालाना 25-25 हजार के हिसाब से शिकायकर्ता से एक लाख की डिमांड की थी. वहीं, जब शिकायतकर्ता ने असिस्टेंट कमिश्नर को यह रकम नहीं दी तो कमिश्नर ने 2008-09 के मामले में एकतरफा फैसला देते हुए फर्म पर छह लाख 25 हजार टैक्स लगा दिया.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी के भाई गंगा आरती में हुए शामिल, बोले- तीर्थनगरी से बेहतर आध्यात्मिक स्थान कोई नहीं

इसके बाद से असिस्टेंट कमिश्नर शिकायतकर्ता पर दबाव बनाता रहा. वहीं, शिकायकर्ता ने असिस्टेंट कमिश्नर की खुशामद की और 45 हजार देकर अपना काम करवाया. उधर, जब विजिलेंस के निरीक्षक राजन लाल आर्य ने मामले की जांच की तो असिस्टेंट कमिश्नर के घुसखोरी की प्रवृत्ति का होना साबित हुआ, जिसके बाद ही उन्होंने आरोपी कमिश्नर को रंगे हाथ पकड़ने के लिए जाल बिछाया.

वहीं, कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद असिस्टेंट कमिश्नर शेर सिंह रावत को दोषी करार देते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 की धारा 7 के अंतर्गत उन पर पांच साल का सश्रम कारावास व पांच हजार अर्थदंड लगाया है. साथ ही अर्थदंड अदा नहीं करने पर आरोपी को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.

नैनीताल: भ्रष्टाचार के मामले में असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने उन्हें सश्रम 5 साल का कारावास और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव खुल्बे की अदालत ने असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर शेर सिंह रावत को भ्रष्टाचार में लिप्त पाया है.

बता दें कि 11 जून 2012 को एसपी विजिलेंस हल्द्वानी को सितारगंज निवासी इकशाद अहमद ने असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर के खिलाफ शिकायती पत्र दिया था. जिसमें कहा गया था कि असिस्टेंट कमिश्नर ने सितारगंज में शीतल पेय कंपनी की न्यू हिंद एजेंसी के व्यापार कर संबंधित मामले के निस्तारण के लिए 45 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी. इस शिकायत पर बीती 14 जून को विजिलेंस टीम ने शेर सिंह रावत को 45 हजार रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.

वहीं, शिकायतकर्ता का कहना था कि वह रिश्वतखोर ऑफिसर को रंगे हाथ पकड़वाने चाहते थे. ऐसे में इस मामले की जांच के बाद आरोपी के खिलाफ एंटी करप्शन कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई थी. संयुक्त निदेशक विधि डीएस जंगपांगी की ओर से आरोप साबित करने के लिए 6 गवाह पेश किए गए, जिन्होने असिस्टेंट कमिश्नर के खिलाफ गवाही दी.

गौरतलब है कि शिकायतकर्ता की संस्था को असिस्टेंट कमिश्नर ने साल 2008, 2010 और 2011 में टैक्स के मामले नोटिस जारी किए गए थे, और इन सभी मामलों के निस्तारण के लिए प्रति केस सालाना 25-25 हजार के हिसाब से शिकायकर्ता से एक लाख की डिमांड की थी. वहीं, जब शिकायतकर्ता ने असिस्टेंट कमिश्नर को यह रकम नहीं दी तो कमिश्नर ने 2008-09 के मामले में एकतरफा फैसला देते हुए फर्म पर छह लाख 25 हजार टैक्स लगा दिया.

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इसके बाद से असिस्टेंट कमिश्नर शिकायतकर्ता पर दबाव बनाता रहा. वहीं, शिकायकर्ता ने असिस्टेंट कमिश्नर की खुशामद की और 45 हजार देकर अपना काम करवाया. उधर, जब विजिलेंस के निरीक्षक राजन लाल आर्य ने मामले की जांच की तो असिस्टेंट कमिश्नर के घुसखोरी की प्रवृत्ति का होना साबित हुआ, जिसके बाद ही उन्होंने आरोपी कमिश्नर को रंगे हाथ पकड़ने के लिए जाल बिछाया.

वहीं, कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद असिस्टेंट कमिश्नर शेर सिंह रावत को दोषी करार देते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 की धारा 7 के अंतर्गत उन पर पांच साल का सश्रम कारावास व पांच हजार अर्थदंड लगाया है. साथ ही अर्थदंड अदा नहीं करने पर आरोपी को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.

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खटीमा के असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य शेर सिंग रावत हिरासत में कोर्ट ने भेजा जेल।

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नैनीताल जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव खुल्बे की कोर्ट ने खटीमा के असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर शेर सिंह रावत को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार देते हुए 5 साल सश्रम कारावास व दस हजार जुर्माने की सजा सुनाई है,
कोर्ट के आदेश के बाद शेर सिंह रावत को पुलिस ने जेल भेज दिया है।
Body:आपको बता दे कि 11 जून 2012 को एसपी विजिलेंस हल्द्वानी को सितारगंज निवासी इकशाद अहमद ने असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर के खिलाफ शिकायती पत्र दिया, जिसमें कहा था कि असिस्टेंट कमिश्नर द्वारा उसकी सितारगंज में शीतल पेय कंपनी की न्यू हिद एजेंसी के व्यापार कर संबंधित मामले के निस्तारण के लिए 45 हजार रिश्वत की मांग की गई है,, शिकायत प्रार्थना पत्र की जांच के उपरांत 14 जून को विजिलेंस टीम द्वारा असिस्टेंट कमिश्नर शेर सिंह रावत को 45 हजार रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार करा था,,, शिकायतकर्ता का कहना था कि वह रिश्वत नहीं देना चाहता था, मगर भ्रष्ट को पकड़वाना चाहता था,, मामले की जॉच के बाद आरोपित के खिलाफ एंटी करप्शन कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई,, संयुक्त निदेशक विधि डीएस जंगपांगी की ओर से आरोप साबित करने के लिए छह गवाह पेश किए, जिनके द्वारा अभियोजन का समर्थन किया गया।

शिकायतकर्ता की संस्था को असिस्टेंट कमिश्नर द्वारा 2008, 2010 2011 में टैक्स के मामले नोटिस जारी करे थे, और वो सभी मामलों के निस्तारण के लिए प्रति केस सालाना 25-25 हजार के हिसाब से एक लाख की डिमांड की,, जब यह रकम नहीं दी गयी तो असिस्टेंट कमिश्नर द्वारा 2008-09 के मामले में एकतरफा फैसला देते हुए फर्म पर छह लाख 25 हजार टैक्स लगा दिया, इस पर शिकायतकर्ता द्वारा अपील की गई तो असिस्टेंट कमिश्नर ने एक लाख देने पर सारे केस निपटाने की बात कही, साथ ही कहा कि यदि रकम का भुगतान नहीं किया तो टैक्स लगाता रहूंगा, इसके बाद शिकायकर्ता ने असिस्टेंट कमिश्नर की खुशामद की और 45 हजार देकर काम करवाया,, विजिलेंस के निरीक्षक राजन लाल आर्य ने मामले की जांच की तो असिस्टेंट कमिश्नर के घुसखोरी की प्रवृत्ति का होना साबित हुआ, जिसके बाद ही ट्रैप टीम का गठन किया गया।

Conclusion:कोर्ट में मामले को सुनने के बाद शेर सिंह रावत को दोषी करार असिस्टेंट कमिश्नर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 की धारा 7 के अंतर्गत पांच साल का सश्रम कारावास व पांच हजार अर्थदंड व धारा-13 एक डी सपठित 13-दो के अंतर्गत 7 के तहत 5 साल सश्रम कारावास व 5 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई, अर्थदंड अदा नहीं करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
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