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70 साल बाद इस करवा चौथ पर बन रहा विशेष संयोग, जानें क्या है खास ?

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Published : Oct 16, 2019, 3:26 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 6:10 PM IST

70 साल बाद ऐसा शुभ संयोग बन रहा है कि रोहड़ी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहणी के योग से मार्केंडेय और सत्यभामा योग भी इस चतुर्थी तिथि को बन रहे हैं.

करवा चौथ को लेकर महिलाओं में उत्साह.

नैनीताल: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हर साल करवा चौथ मनाया जाता है. इस साल ये तिथी 17 अक्टूबर को पड़ रही है. इस दिन को सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 70 साल बाद ऐसा शुभ संयोग बन रहा है, जिसमें रोहड़ी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहणी के योग से मार्केंडेय और सत्यभामा योग भी इस चतुर्थी तिथि को बन रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस बार करवा चौथ सुहागिनों के लिए फलदायी साबित होगा.

ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र.

दरअसल, 70 साल बाद ऐसा शुभ संयोग बन रहा है कि रोहड़ी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहणी के योग से मार्केंडेय और सत्यभामा योग भी इस चतुर्थी तिथि को बन रहे हैं. ज्योतिषाचार्य का अनुसार करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना है करवा का मतलब मिट्टी का बर्तन और चौथ का मतलब चतुर्थी ऐसे में इस दिन मिट्टी के बर्तन में करवा की पूजा विशेष महत्व होता है. यह व्रत प्राचीन काल से चला आ रहा है. देव लोक की स्त्रियां इस व्रत को करती थी तबसे ही इस व्रत का प्रारंभ हुआ है. शास्त्रों के अनुसार भगवान नारायण ने इस व्रत को करने का उपदेश दिया था. माना जाता है कि जो ये व्रत रखता है उसको पति और पुत्र का वियोग नहीं होता है.

ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र ने बताया कि करवा चौथ की अवधि 13 घंटे 50 मिनट तक रहेगी. सुबह 6 बजकर 27 मिनट में व्रत की शुरुआत की जाएगी, जिसका परायण रात 8:15 चंद्रमा के दर्शन के साथ किया जाएगा. उनका कहना है कि महिलाओं को सज-धजकर रीति रिवाज के साथ करवा चौथ की पूजा करनी चाहिए.

नैनीताल: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हर साल करवा चौथ मनाया जाता है. इस साल ये तिथी 17 अक्टूबर को पड़ रही है. इस दिन को सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 70 साल बाद ऐसा शुभ संयोग बन रहा है, जिसमें रोहड़ी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहणी के योग से मार्केंडेय और सत्यभामा योग भी इस चतुर्थी तिथि को बन रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस बार करवा चौथ सुहागिनों के लिए फलदायी साबित होगा.

ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र.

दरअसल, 70 साल बाद ऐसा शुभ संयोग बन रहा है कि रोहड़ी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहणी के योग से मार्केंडेय और सत्यभामा योग भी इस चतुर्थी तिथि को बन रहे हैं. ज्योतिषाचार्य का अनुसार करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना है करवा का मतलब मिट्टी का बर्तन और चौथ का मतलब चतुर्थी ऐसे में इस दिन मिट्टी के बर्तन में करवा की पूजा विशेष महत्व होता है. यह व्रत प्राचीन काल से चला आ रहा है. देव लोक की स्त्रियां इस व्रत को करती थी तबसे ही इस व्रत का प्रारंभ हुआ है. शास्त्रों के अनुसार भगवान नारायण ने इस व्रत को करने का उपदेश दिया था. माना जाता है कि जो ये व्रत रखता है उसको पति और पुत्र का वियोग नहीं होता है.

ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र ने बताया कि करवा चौथ की अवधि 13 घंटे 50 मिनट तक रहेगी. सुबह 6 बजकर 27 मिनट में व्रत की शुरुआत की जाएगी, जिसका परायण रात 8:15 चंद्रमा के दर्शन के साथ किया जाएगा. उनका कहना है कि महिलाओं को सज-धजकर रीति रिवाज के साथ करवा चौथ की पूजा करनी चाहिए.

Intro:sammry- इस बार करवा चौथ में 70 साल बाद में बन रहा विशेष सहयोग 13 घंटे 50 मिनट का रहेगा करवा चौथ का व्रत।


एंकर- कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गुरुवार को सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ कल मनाया जाना है ऐसे में महिलाएं करवा चौथ की तैयारी में जुटी हुई है। ज्योतिषआचार्यों के अनुसार अनुसार पहली बार 70 साल बाद ऐसा शुभ संयोग बन रहा है जो रोहड़ी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहणी के योग से मार्केंडेय और सत्यभामा योग भी इस चतुर्थी तिथि को बन रहे हैं। ऐसे में इस बार के करवा चौथ सुहागिनों के लिए फलदाई साबित हो रहा है।


Body:ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के अनुसार इस बार का करवा चौथ विशेष महत्व रखता है ।
यह व्रत प्राचीन काल से चला आ रहा है देव लोक की स्त्रियां थी इस व्रत को करती थी वहीं से इस व्रत का प्रारंभ हुआ है। शास्त्रों के अनुसार भगवान नारायण इस व्रत को करने का उपदेश दिया था की जो इस व्रत को करता है उसको पति और पुत्र का वियोग नहीं होता है तभी से यह व्रत प्रचलित होते आ रहा है।


70 साल बाद ऐसा शुभ संयोग बन रहा है कि रोहड़ी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहणी के योग से मार्केंडेय और सत्यभामा योग भी इस चतुर्थी तिथि को बन रहे हैं। ऐसे में इस बार के करवा चौथ सुहागिनों के लिए फलदाई साबित हो रहा है। ज्योतिषाचार्य का अनुसार करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना है करवा का मतलब मिट्टी का बर्तन और चौथ का मतलब चतुर्थी ऐसे में इस दिन मिट्टी के बर्तन में करवा की पूजा विशेष महत्व होता है।
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र के अनुसार करवा चौथ का अवधि 13 घंटे 50 मिनट तक रहेगा। सुबह 6:27 मिनट से लेकर बर्थ की शुरुआत की जाएगी जिसका परायण रात 8:15 चंद्रमा के दर्शन के साथ किया जाएगा।
करवा चौथ की पूजा के लिए महिलाओं को सज धज कर रीति रिवाज के अनुसार इस पूजा को की जानी चाहिए इसके लिए शुभ मुहूर्त सूर्य अस्त के बाद से चंद्रमा के उदय तक की जा सकती है।

डॉक्टर नवीन चंद्र के अनुसार 27 नक्षत्रों में रोहड़ी नाम का नक्षत्र चंद्रमा को सबसे ज्यादा प्रिय है इस नक्षत्र के योग्य पूजा अर्चना व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है ऐसे में पहली व्रत करने वाली महिलाओं के लिए शुभ योग्य है।


Conclusion:डॉक्टर नवीन चंद्र का अनुसार जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ की व्रत कर रही हैं उनको विशेषकर गौरी गणेश का पूजा अर्चना करें चाहिए। पहली बार करवा चौथ पूजा करने वाली महिलाओं को संतान सौभाग्य सुख संपत्ति प्राप्त होगी।

बाइट -डॉ नवीन चंद्र जोशी ज्योतिषाचार्य
Last Updated : Oct 16, 2019, 6:10 PM IST
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