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इंदिरा हृदयेश ने हिमालयन कॉन्क्लेव को बताया निराशाजनक, कहा- नहीं दिखाई गई गंभीरता

हिमालयन कॉन्क्लेव को नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा कि इस बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्री नहीं आए. जिससे पता चलता है कि उन्होंने इस आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया. उन्होंने कहा कि नीति आयोग के आश्वासन को भी उम्मीद के साथ वे नहीं देख रही हैं.

नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश
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Published : Jul 29, 2019, 6:28 PM IST

Updated : Jul 29, 2019, 10:39 PM IST

हल्द्वानी: पहाड़ों की रानी मसूरी में हिमालयन राज्यों का कॉन्क्लेव खत्म हो गया है. जिसके बाद अब विपक्ष इस कॉन्क्लेव को लेकर सवाल उठाने लगा है. नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि इस कॉन्क्लेव में सरकार सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाने में असफल रही. अगर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इसमें शामिल होते तो इसके सकारात्मक परिणाम निकलते.

हिमालयन कॉन्क्लेव पर कांग्रेस

इंदिरा हृदयेश ने कहा कि अधिकतर हिमालयन राज्यों ने अपने प्रतिनिधि भेजकर इस बैठक में गंभीरता नहीं दिखाई. अगर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री आते तो इसकी गंभीरता बढ़ जाती. उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और नीति आयोग के सदस्य इस बैठक में आए थे. ऐसे में सभी का इसमें गंभीरता ना दिखाना निराशाजनक है.

साथ ही उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत है. लेकिन इस कॉन्क्लेव को देखते हुए लगता है कि इससे कोई गंभीर परिणाम नहीं निकलेंगे. उन्होंने कहा कि नीति आयोग के सदस्यों ने इस कॉन्क्लेव में प्रभावी बात कही है. लेकिन जबतक इनके परिणाम नहीं निकलेंगे तबतक इसे बहुत उम्मीद के साथ नहीं देखा जा सकता.

पढे़ं- Man Vs Wild: बेयर ग्रिल्स के साथ भाला लिए कॉर्बेट पार्क पहुंचे पीएम मोदी, देखें Video

बता दें कि मसूरी में बीते रविवार हिमालयन कॉन्क्लेव का समापन हो गया है. कॉन्क्लेव में 11 हिमालयी राज्यों में से 10 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए. जिनमें चार हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्री कार्यक्रम में शामिल हुए. वहीं जिन राज्यों के मुख्यमंत्री नहीं आए, वहां के कैबिनेट मिनिस्टर या उच्च अधिकारी कार्यक्रम में मौजूद रहे. वहीं केंद्र से इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और नीति आयोग के सदस्य मौजूद रहे.

वहीं कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता डॉ. आर.पी. रतूड़ी ने कहा कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार उस समय भी उत्साहित थी, जब इन्वेस्टर्स समिट करवाया गया था. उस दौरान उत्तराखंड के सीएम ने पूरे प्रदेश की जनता से कहा था कि प्रदेश में अब एक भी युवा बेरोजगार नहीं रहेगा. लेकिन हालात सबके सामने हैं.

उन्होंने कहा कि उसी तरह सरकार ने सभी हिमालयन राज्यों को आमंत्रित करके हिमालयन कॉन्क्लेव आयोजित किया. पहले तो तमाम मुख्यमंत्री यहां नहीं आ पाए. हालांकि वित्त मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कॉन्क्लेव में शिरकत की. लेकिन हिमालयन राज्यों को कुछ हासिल नहीं हो पाया.

आर पी रतूड़ी ने कहा कि इस प्रदेश के जनपद सीमांत क्षेत्रों से लगे हुए हैं. यहां के निवासी मुफ्त की चौकीदारी कर रहे हैं. वहां रहने वाले लोग चीन की गतिविधियों से समय-समय पर आगाह करवाते रहते हैं. लेकिन उनके पलायन और सुरक्षा को लेकर कॉन्क्लेव में कोई योजना नहीं बनी. हिमालयन कॉन्क्लेव केवल रस्म अदायगी बनकर रह गया है.

हल्द्वानी: पहाड़ों की रानी मसूरी में हिमालयन राज्यों का कॉन्क्लेव खत्म हो गया है. जिसके बाद अब विपक्ष इस कॉन्क्लेव को लेकर सवाल उठाने लगा है. नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि इस कॉन्क्लेव में सरकार सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाने में असफल रही. अगर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इसमें शामिल होते तो इसके सकारात्मक परिणाम निकलते.

हिमालयन कॉन्क्लेव पर कांग्रेस

इंदिरा हृदयेश ने कहा कि अधिकतर हिमालयन राज्यों ने अपने प्रतिनिधि भेजकर इस बैठक में गंभीरता नहीं दिखाई. अगर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री आते तो इसकी गंभीरता बढ़ जाती. उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और नीति आयोग के सदस्य इस बैठक में आए थे. ऐसे में सभी का इसमें गंभीरता ना दिखाना निराशाजनक है.

साथ ही उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत है. लेकिन इस कॉन्क्लेव को देखते हुए लगता है कि इससे कोई गंभीर परिणाम नहीं निकलेंगे. उन्होंने कहा कि नीति आयोग के सदस्यों ने इस कॉन्क्लेव में प्रभावी बात कही है. लेकिन जबतक इनके परिणाम नहीं निकलेंगे तबतक इसे बहुत उम्मीद के साथ नहीं देखा जा सकता.

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बता दें कि मसूरी में बीते रविवार हिमालयन कॉन्क्लेव का समापन हो गया है. कॉन्क्लेव में 11 हिमालयी राज्यों में से 10 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए. जिनमें चार हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्री कार्यक्रम में शामिल हुए. वहीं जिन राज्यों के मुख्यमंत्री नहीं आए, वहां के कैबिनेट मिनिस्टर या उच्च अधिकारी कार्यक्रम में मौजूद रहे. वहीं केंद्र से इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और नीति आयोग के सदस्य मौजूद रहे.

वहीं कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता डॉ. आर.पी. रतूड़ी ने कहा कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार उस समय भी उत्साहित थी, जब इन्वेस्टर्स समिट करवाया गया था. उस दौरान उत्तराखंड के सीएम ने पूरे प्रदेश की जनता से कहा था कि प्रदेश में अब एक भी युवा बेरोजगार नहीं रहेगा. लेकिन हालात सबके सामने हैं.

उन्होंने कहा कि उसी तरह सरकार ने सभी हिमालयन राज्यों को आमंत्रित करके हिमालयन कॉन्क्लेव आयोजित किया. पहले तो तमाम मुख्यमंत्री यहां नहीं आ पाए. हालांकि वित्त मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कॉन्क्लेव में शिरकत की. लेकिन हिमालयन राज्यों को कुछ हासिल नहीं हो पाया.

आर पी रतूड़ी ने कहा कि इस प्रदेश के जनपद सीमांत क्षेत्रों से लगे हुए हैं. यहां के निवासी मुफ्त की चौकीदारी कर रहे हैं. वहां रहने वाले लोग चीन की गतिविधियों से समय-समय पर आगाह करवाते रहते हैं. लेकिन उनके पलायन और सुरक्षा को लेकर कॉन्क्लेव में कोई योजना नहीं बनी. हिमालयन कॉन्क्लेव केवल रस्म अदायगी बनकर रह गया है.

Intro:sammry- हिमालयन राज्योके बैठक पर नेता प्रतिपक्ष ने उठाए सवाल

एंकर-मसूरी में हुए हिमालयन राज्यों के कॉन्क्लेव को लेकर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा की हिमालयन राज्यों के कॉन्क्लेव की शुरुआत हुई यह स्वागत योग्य है। लेकिन इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री नहीं आए यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इस कॉन्क्लेव में आए होते तो इस बैठक की गंभीरता और इसके सकारात्मक परिणाम निकलते। कुछ राज्यों ने अपने प्रतिनिधि भेज कर इस बैठक में गंभीरता नहीं दिखाई ।


Body:इंदिरा हृदयेश ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और नीति आयोग के सदस्य इस बैठक में आए थे तो इसकी गंभीरता बनी रहनी चाहिए थी। इंदिरा हृदयेश ने कहा कि एक शुरुआत हुई है लेकिन इस कॉन्क्लेव को देखते हुए लगता है कि इससे कोई गंभीर परिणाम नहीं निकल सकता क्योंकि हिमालयन राज्यों के हित के लिए सब को एक साथ खड़ा होना होगा।
बाइट - इंदिरा हृदयेश नेता प्रतिपक्ष


Conclusion:गौरतलब है कि मसूरी में हुए हिमालयन राज्यों के करीब में 2 राज्यों के मुख्यमंत्री के अलावा किसी अन्य राज्य के मुख्यमंत्री बैठक में नहीं पहुंचे अन्य सभी राज्यों ने अपने प्रतिनिधि के रूप में या तो राज्य के किसी अन्य मंत्री या फिर मुख्यमंत्रियों के सलाहकार को इस बैठक में भेजा था जबकि केंद्र से इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और नीति आयोग के सदस्य मौजूद रहे।
Last Updated : Jul 29, 2019, 10:39 PM IST
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