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मैदानी इलाकों में छाया पहाड़ी फलों का स्वाद, डिमांड ज्यादा उत्पादन कम

इस बार पहाड़ी फलों की पैदावार बेहतर हुई थी, लेकिन बीच में हुई ओलावृष्टि और बरसात ने किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. लेकिन जो फल बच गए उनके मैदानी क्षेत्रों में बेहतर दाम मिल रहे हैं.

बाजार में पर्वतीय फलों की डिमांड बढ़ी.
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Published : May 30, 2019, 2:33 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड अपने प्राकृतिक सौन्दर्य ही नहीं रसीले फलों के लिए भी जाना जाता है. जिसने एक बार पर्वतीय क्षेत्रों के फलों को चख लिया उसका स्वाद लोगों की जुबां से उतरता ही नहीं हैं. उत्तराखंड की पहाड़ी वादियों में पैदा होने वाले फलों के फल अब मैदानी क्षेत्रों में भी पहुंचने लगे हैं. नैनीताल और अल्मोड़ा क्षेत्रों के फल आड़ू, खुमानी, पुलम और लीची बाजार में छाए हुए हैं. जिनकी लोग हाथों हाथ खरीददारी कर रहे हैं.

बाजार में छाए पर्वतीय क्षेत्रों के फल.

गौर हो कि इस बार पहाड़ी फलों की पैदावार बेहतर हुई थी, लेकिन बीच में हुई ओलावृष्टि और बरसात ने किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. लेकिन जो फल बच गए उनके मैदानी क्षेत्रों में बेहतर दाम मिल रहे हैं. वहीं, उत्पादन कम होने से काश्तकारों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है. हल्द्वानी मंडी में रोजाना 2 करोड़ रुपए के पहाड़ी फल पहुंच रहे हैं. जिनका मैदानी क्षेत्रों में निर्यात किया जा रहा है.

फल सब्जी आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की का कहना है कि गर्मी में पहाड़ी फलों की डिमांड मैदानी इलाकों में दूर-दूर तक होती है. लिहाजा किसानों को दाम तो कहते ही मिल रहे हैं, लेकिन उत्पादन कम होने की वजह से इस वर्ष किसानों को काफी नुकसान हुआ है.बाहर से खरीदारी करने वाले व्यापारियों का कहना है कि उत्तराखंड के पहाड़ी फलों की डिमांड उनके मंडियों में खूब है. मांग को देखते हुए वे फलों को खरीददारी करने आए हुए हैं.

गौरतलब है कि नैनीताल और अल्मोड़ा के ठंडे इलाकों में आड़ू, खुमानी, लीची, नाशपाती, पुलम और हिसालु जैसे फलों की मैदानी क्षेत्रों में बड़ी डिमांड है. पहाड़ी फलों का स्वाद और पौष्टिकता बेहतर होने की वजह से प्रतिदिन इनकी डिमांड बढ़ रही है. पहाड़ी फलों की सबसे ज्यादा डिमांड बड़े महानगरों में है, क्योंकि इसका स्वाद अन्य फलों की तुलना में अलग होता है. जो जैविक होने के साथ ही पौष्टिक भी होता है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड अपने प्राकृतिक सौन्दर्य ही नहीं रसीले फलों के लिए भी जाना जाता है. जिसने एक बार पर्वतीय क्षेत्रों के फलों को चख लिया उसका स्वाद लोगों की जुबां से उतरता ही नहीं हैं. उत्तराखंड की पहाड़ी वादियों में पैदा होने वाले फलों के फल अब मैदानी क्षेत्रों में भी पहुंचने लगे हैं. नैनीताल और अल्मोड़ा क्षेत्रों के फल आड़ू, खुमानी, पुलम और लीची बाजार में छाए हुए हैं. जिनकी लोग हाथों हाथ खरीददारी कर रहे हैं.

बाजार में छाए पर्वतीय क्षेत्रों के फल.

गौर हो कि इस बार पहाड़ी फलों की पैदावार बेहतर हुई थी, लेकिन बीच में हुई ओलावृष्टि और बरसात ने किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. लेकिन जो फल बच गए उनके मैदानी क्षेत्रों में बेहतर दाम मिल रहे हैं. वहीं, उत्पादन कम होने से काश्तकारों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है. हल्द्वानी मंडी में रोजाना 2 करोड़ रुपए के पहाड़ी फल पहुंच रहे हैं. जिनका मैदानी क्षेत्रों में निर्यात किया जा रहा है.

फल सब्जी आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की का कहना है कि गर्मी में पहाड़ी फलों की डिमांड मैदानी इलाकों में दूर-दूर तक होती है. लिहाजा किसानों को दाम तो कहते ही मिल रहे हैं, लेकिन उत्पादन कम होने की वजह से इस वर्ष किसानों को काफी नुकसान हुआ है.बाहर से खरीदारी करने वाले व्यापारियों का कहना है कि उत्तराखंड के पहाड़ी फलों की डिमांड उनके मंडियों में खूब है. मांग को देखते हुए वे फलों को खरीददारी करने आए हुए हैं.

गौरतलब है कि नैनीताल और अल्मोड़ा के ठंडे इलाकों में आड़ू, खुमानी, लीची, नाशपाती, पुलम और हिसालु जैसे फलों की मैदानी क्षेत्रों में बड़ी डिमांड है. पहाड़ी फलों का स्वाद और पौष्टिकता बेहतर होने की वजह से प्रतिदिन इनकी डिमांड बढ़ रही है. पहाड़ी फलों की सबसे ज्यादा डिमांड बड़े महानगरों में है, क्योंकि इसका स्वाद अन्य फलों की तुलना में अलग होता है. जो जैविक होने के साथ ही पौष्टिक भी होता है.

Intro:सलग_ पहाड़ी फलों का स्वाद पहुंचा महानगरों में
रिपोर्टर भावनाथ पंडित हल्द्वानी।
उत्तराखंड की पहाड़ी वादियों में पैदा होने वाले फलों का स्वाद अब मैदानी क्षेत्रों में भी पहुंचने लगा है नैनीताल और अल्मोड़ा क्षेत्र में विकसित की गई फल पट्टी से आडू खुमानी पुलम का फल और लीची जैसे स्वादिष्ट फल मैदानी क्षेत्रों के लोगों का स्वाद बढ़ा रहे हैं हालांकि इस बार पहाड़ी फलों की पैदावार बेहतर हुई थी लेकिन बीच में हुई ओलावृष्टि और बरसात ने किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है


Body:पहाड़ी फलों के मैदानी क्षेत्र में बेहतर दाम मिल रहा है लेकिन उस उत्पादकता कम होने की वजह से किसान मायूस भी हैं ।हल्द्वानी मंडी में रोजाना 2 करोड़ रुपए की पहाड़ी फलों की आवक है जो कि मैदानी इलाकों में निर्यात किए जा रहे हैं ।फल सब्जी आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की का कहना है कि गर्मी में पहाड़ी फलों की डिमांड मैदानी इलाकों में दूर-दूर तक होती है लिहाजा किसानों को धान तो कहते मिल रहे हैं लेकिन उत्पादन कम होने की वजह से इस वर्ष किसानों को नुकसान भी हुआ है।

बाइट -जीवन चंद्र कार्की अध्यक्ष फल सब्जी आढ़ती एसियोसन

बाहर से खरीदारी करने वाले व्यापारियों का कहना है कि उत्तराखंड के पहाड़ी फलों की डिमांड उनके मंडियों में खूब की जा रही है ।जिससे कि यहां पहुंचकर पहाड़ी फल खरीदने आए हैं।
बाइट -खरीदार


Conclusion:गौरतलब है कि नैनीताल और अल्मोड़ा के ठंडे इलाकों में आडू,, खुमानी ,लीची ,नाशपाती ,पुलम ,हिसालु का फल जैसे फल गर्मी में मैदानी क्षेत्रों में बड़ी डिमांड में निर्यात किए जाते हैं और पहाड़ी फलों का स्वाद और पौष्टिकता बेहतर होने की वजह से दिन प्रतिदिन इनकी डिमांड बढ़ रही है। इन पहाड़ी फलों की सबसे ज्यादा डिमांड बड़े महानगरों में किया जा रहा है क्योंकि इसका स्वाद अन्य फलों की तुलना में अलग है और पौष्टिक भी होता है।

बाइट -नीरज गर्ग महामंत्री फल सब्जी आढ़ती एसियोसन
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