ETV Bharat / state

अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णुजी की ऐसे करें उपासना, मनोरथ होंगे पूरे - Significance of Anant Chaturdashi festival

अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है. अनंत चतुर्दशी का हिन्दू धर्म स्वावलंबियों के लिए खास महत्व है.

anant chaturdashi
अनंत चतुर्दशी
author img

By

Published : Sep 18, 2021, 9:22 AM IST

हल्द्वानी: अनंत चतुर्दशी का हिन्दू धर्म स्वावलंबियों के लिए खास महत्व है. भगवान विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. जिसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस साल अनंत चतुर्दशी का पर्वत 19 सितंबर, रविवार को मनाया जाएगा. पर्व को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं.

अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है.अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु और शिव को समर्पित है उस दिन नारायण के अनंत रूप की पूजा की जाती है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान नारायण की विधि विधान से पूजा और व्रत करने से सभी तरह के संकट से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी.

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक 19 तारीख को पूरे दिन चतुर्थी तिथि है. सुबह 6:20 बजे से शुरू होकर 20 सितंबर को सुबह 5:30 तक चतुर्थी तिथि रहेगी. भगवान नारायण के पूजा के लिए विशेष योग सूर्य उदय से लेकर मध्याह्न काल तक विशेष महत्व रखता है.

पढ़ें- आज से शुरू होगी चारधाम यात्रा, एसओपी जारी, इन राज्यों के लिए होगी सख्ती

अनंत चतुर्दशीके मौके पर व्रत का संकल्प लें, पूजा के दौरान खासकर भगवान विष्णु की तस्वीर का पूजा अर्चना कर भगवान शिव का जलाभिषेक करें. साथ ही 14 गांठों वाला अनंत सूत्र भगवान विष्णु को समर्पित कर मंत्र जाप कर अपने हाथ में धारण करें, जो दीर्घायु एवं अनंत जीवन का प्रतीक माना जाता है. पूरे दिन उपवास रखें, शाम को पूजन के बाद मीठा भोजन कर अपना व्रत का परायण करें. सनातन धर्म को मानने वाले अनंत चतुर्दशी के त्योहार को पूरी श्रद्धा और आस्था से मनाते हैं.

पढ़ें- बड़ी खबर: चारधाम यात्रा को हाईकोर्ट की हरी झंडी, कोविड प्रोटोकॉल का रखना होगा पूरा ध्यान

मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का दिन था जब भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के लिए 14 लोकों का निर्माण किया था. भगवान विष्णु ने इन सभी लोकों की रक्षा करने के लिए अनंत रूप धारण किया था. मान्यता है कि इस व्रत की सबसे पहले महाभारत काल में रखा गया था. द्वापर युग में जब पांडव जुए में अपना सब कुछ हार कर वन में भटक रहे थे तब भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की सलाह दी थी. जिसके बाद उन पर से संकट के बादल कि छटने शुरू हो गए थे.

हल्द्वानी: अनंत चतुर्दशी का हिन्दू धर्म स्वावलंबियों के लिए खास महत्व है. भगवान विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. जिसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस साल अनंत चतुर्दशी का पर्वत 19 सितंबर, रविवार को मनाया जाएगा. पर्व को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं.

अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है.अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु और शिव को समर्पित है उस दिन नारायण के अनंत रूप की पूजा की जाती है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान नारायण की विधि विधान से पूजा और व्रत करने से सभी तरह के संकट से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी.

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक 19 तारीख को पूरे दिन चतुर्थी तिथि है. सुबह 6:20 बजे से शुरू होकर 20 सितंबर को सुबह 5:30 तक चतुर्थी तिथि रहेगी. भगवान नारायण के पूजा के लिए विशेष योग सूर्य उदय से लेकर मध्याह्न काल तक विशेष महत्व रखता है.

पढ़ें- आज से शुरू होगी चारधाम यात्रा, एसओपी जारी, इन राज्यों के लिए होगी सख्ती

अनंत चतुर्दशीके मौके पर व्रत का संकल्प लें, पूजा के दौरान खासकर भगवान विष्णु की तस्वीर का पूजा अर्चना कर भगवान शिव का जलाभिषेक करें. साथ ही 14 गांठों वाला अनंत सूत्र भगवान विष्णु को समर्पित कर मंत्र जाप कर अपने हाथ में धारण करें, जो दीर्घायु एवं अनंत जीवन का प्रतीक माना जाता है. पूरे दिन उपवास रखें, शाम को पूजन के बाद मीठा भोजन कर अपना व्रत का परायण करें. सनातन धर्म को मानने वाले अनंत चतुर्दशी के त्योहार को पूरी श्रद्धा और आस्था से मनाते हैं.

पढ़ें- बड़ी खबर: चारधाम यात्रा को हाईकोर्ट की हरी झंडी, कोविड प्रोटोकॉल का रखना होगा पूरा ध्यान

मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का दिन था जब भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के लिए 14 लोकों का निर्माण किया था. भगवान विष्णु ने इन सभी लोकों की रक्षा करने के लिए अनंत रूप धारण किया था. मान्यता है कि इस व्रत की सबसे पहले महाभारत काल में रखा गया था. द्वापर युग में जब पांडव जुए में अपना सब कुछ हार कर वन में भटक रहे थे तब भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की सलाह दी थी. जिसके बाद उन पर से संकट के बादल कि छटने शुरू हो गए थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.