नैनीताल: नगर में चल रहे दो दिवसीय होम्योपैथिक डॉक्टरों के सम्मेलन का समापन हो गया. कार्यक्रम के दौरान डॉक्टरों ने कहा कि मरीजों को होम्योपैथिक उपचार की तरफ आना चाहिए, ताकि मरीजों को उनके रोगों से जल्द से जल्द मुक्ति मिल सके. इसके साथ ही डॉक्टरों ने बताया कि होम्योपैथिक उपचार से मरीज को किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट नहीं होते हैं और लोगों को सस्ते में उपचार मिल जाता है.
इसके साथ ही होम्योपैथिक उपचार द्वारा ब्लड प्रेशर, शुगर और कैंसर जैसी घातक बीमारियों का आसान उपचार शुरू कर दिया गया है जिससे लोगों को बेहद फायदा हो रहा है. वहीं उत्तराखंड की विषम परिस्थितियों में भी होम्योपैथिक उपचार बेहद सरल, सस्ता, सुलभ और कम संसाधन वाली चिकित्सा पद्धति है, जिससे देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को होम्योपैथिक उपचार दिया जा सकता है.
कार्यक्रम में वरिष्ठ डॉक्टर अनिरुद्ध वर्मा ने कहा कि देश की 70% आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. गांवों में संसाधन कम होने के साथ साथ लोग अशिक्षित होते हैं जिस वजह से लोग अपना उपचार नहीं करवा पाते है. साथ ही डॉक्टर वर्मा ने कहा कि एलोपैथिक अस्पताल स्थापित करने में करोड़ों का खर्च आता है जबकि होम्योपैथिक से लोगों का उपचार करने में कम खर्च आता है इसलिए सरकार को होम्योपैथिक की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए.
डॉ. वर्मा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि होम्योपैथिक विश्व में दूसरे नंबर की सबसे बड़ी स्वास्थ्य पद्धति है और सर्वे में पता चला है कि देश का हर पांचवां व्यक्ति होम्योपैथी से अपना उपचार करा रहा है, क्योंकि एलोपैथी की दवाओं से शरीर पर दुष्परिणाम पड़ते हैं, जिस वजह से लोग अब एलोपैथी दवाओं का रुख छोड़कर होम्योपैथी की तरफ आ रहे हैं और सफल उपचार करवा रहे हैं.
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वहीं सेमिनार के दौरान देशभर से आए होम्योपैथिक डॉक्टरों ने कहा कि होम्योपैथी से होने वाले उपचार में गुणात्मक शिक्षा, अध्ययन और सरकार की मदद की आवश्यकता है, ताकि होम्योपैथी के उपचार से देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर के लोगों को फायदा पहुंचाया जा सके.