नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल का नाम जहन में आते ही एक ऐसे शहर का तसव्वुर होता है, जहां पानी की अठखेलियां करती लहरें और शांत वादियां कुछ पल के लिए जीवन की हर थकान मिटा देती हैं. ये शहर आगंतुकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है साथ ही यहां की सुंदर वादियों का दीदार करने हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी खिंचे चले आते हैं और यहां की यादों को अपने दिल में समेटकर साथ ले जाते हैं.
सरोवर नगरी के नाम से विख्यात नैनीताल हमेशा से ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. इसका पौराणिक और पर्यटन महत्व इसे खास बनाता है. यहां प्राकृतिक झील का पानी इतना निर्मल है कि नीले अंबर का रंग इसकी खूबसूरती को चार चांद लगाती है. सैलानियों को यहां प्रकृति के नैसर्गिक सौन्दर्य का नजदीकी से दीदार करने का मौका मिलता है. शाम ढलते ही पक्षियों का कलरव और तालाब में पर्यटकों की विहार कराती नौकाएं का नजारा बेहद खास होता है.
पौराणिक महत्व
बात करें नैनीझील के पौराणिक महत्व की तो नैनीताल का नाम मां नैना देवी के नाम पर पड़ा. जो मां के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. मान्यता के अनुसार मां के नयनों से गिरे आंसू ने ही ताल का रूप धारण कर लिया और इसी वजह से इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा. दूसरी मान्यता ये भी है कि इस झील में मानसरोवर झील का पानी आता है. इसलिए नैनीझील के जल को काफी पवित्र माना जाता है. जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं.
फेमस पर्यटन स्थल
इसके अलावा सरोवर नगरी नैनीताल के आसपास सैलानियों के घूमने के लिए राजभवन, केव गार्डन, चिड़ियाघर, भीमताल, नौकुचिया ताल, भुवाली और घोड़ाखाल, सातताल, मुक्तेश्वर, कैंचीधाम, रामगढ़ और रानीखेत जैसे कई दर्शनीय जगह मौजूद है. जहां वर्ष भर देश ही नहीं विदेशों से भी भारी संख्या में सैलानी आते रहते हैं.
नैनीताल की खोज सन 1841 में एक अंग्रेज व्यापारी ने की थी, जिनका नाम पी. बैरन था. बाद में अंग्रेजों ने इसे अपनी आरामगाह और घूमने फिरने के लिए विकसित किया. जिनकी छाप इस शहर में साफ देखी जा सकती है.