नैनीतालः उत्तराखंड में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के द्वारा बायो मेडिकल वेस्ट नियम का पालन ना करने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं हाईकोर्ट की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा है कि उत्तराखंड में किस तरीके से बायो मेडिकल वेस्ट नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है.
बता दें कि, हरिद्वार निवासी अजीम हुसैन ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड के सरकारी एवं निजी अस्पताल बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल नियम का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं. अस्पतालों का बायोवेस्ट सार्वजनिक स्थानों पर बेतरतीब तरीके से फेंका जा रहा है, जिससे बीमारियों के साथ ही महामारी और संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है.
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वर्तमान में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है, ऐसे में महामारी तेजी से फैल सकती है. अधिकांश अस्पतालों के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी तक नहीं है, जिससे यह साबित होता है कि उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों के द्वारा विधिवत तरीके से बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण नहीं किया जा रहा है.
याचिकाकर्ता के द्वारा नियमों का पालन न करने वाले प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों पर कार्रवाई की मांग की गई है. वहीं मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.