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महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में नए नियुक्तियों पर लगी रोक, नहीं हटेंगे संविदा शिक्षक और कर्मचारी

न्यायधीश लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में संविदा पर तैनात क्रिकेट, बास्केट बॉल, हॉकी कोच, ग्राउंड मैन और स्पोर्ट्स शिक्षकों को हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही सरकार के द्वारा जारी 21 जून 2019 की नियुक्तियों की नई विज्ञप्ति पर रोक लगाते हुए पूर्व से कार्यरत संविदा कर्मियों को अपने पदों पर बने रहने के आदेश दिए हैं.

nainital high court
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Published : Jul 11, 2019, 7:04 AM IST

Updated : Jul 11, 2019, 7:56 AM IST

नैनीतालः महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में संविदा के पद पर तैनात शिक्षकों को हटाने के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने सरकार और खेल सचिव को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही संविदा शिक्षक को हटाने के आदेश और 21 जून 2019 की विज्ञप्ति पर भी रोक लगा दी है.

बता दें कि देहरादून में स्थित महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में संविदा में कार्यरत पवन लाल और अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर किया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि वे साल 2010 से कॉलेज में विभिन्न पदों पर संविदा कर्मचारियों के रूप में कार्यरत है. उनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर हुई है.

ये भी पढ़ेंः चुंगी बड़ेथी में नासूर बना भूस्खलन, दो दिन से गंगोत्री हाईवे बंद, ट्रैफिक डायवर्ट

याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार उन्हें निर्धारित सेवा नियमावली के अनुरूप वेतन नहीं दे रही है. पहले भी उन्होंने एक याचिका दायर की थी. जिसमें कोर्ट ने उनके प्रत्यावेदनों को विधि अनुसार निस्तारित करने के आदेश खेल सचिव को दिए थे, लेकिन खेल सचिव ने उमा देवी के निर्णय को आधार मानकर निरस्त कर दिया है. साथ ही उन्हें सेवा विस्तार भी नहीं दिया गया है.

इसी कड़ी में मामले की सुनवाई करते हुए न्यायधीश लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने कॉलेज में संविदा पर तैनात क्रिकेट, बास्केट बॉल, हॉकी कोच, ग्राउंड मैन और स्पोर्ट्स शिक्षकों को हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही सरकार के द्वारा जारी 21 जून 2019 की नियुक्तियों की नई विज्ञप्ति पर रोक लगाते हुए पूर्व से कार्यरत संविदा कर्मियों को अपने पदों पर बने रहने के आदेश दिए हैं.

नैनीतालः महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में संविदा के पद पर तैनात शिक्षकों को हटाने के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने सरकार और खेल सचिव को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही संविदा शिक्षक को हटाने के आदेश और 21 जून 2019 की विज्ञप्ति पर भी रोक लगा दी है.

बता दें कि देहरादून में स्थित महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में संविदा में कार्यरत पवन लाल और अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर किया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि वे साल 2010 से कॉलेज में विभिन्न पदों पर संविदा कर्मचारियों के रूप में कार्यरत है. उनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर हुई है.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार उन्हें निर्धारित सेवा नियमावली के अनुरूप वेतन नहीं दे रही है. पहले भी उन्होंने एक याचिका दायर की थी. जिसमें कोर्ट ने उनके प्रत्यावेदनों को विधि अनुसार निस्तारित करने के आदेश खेल सचिव को दिए थे, लेकिन खेल सचिव ने उमा देवी के निर्णय को आधार मानकर निरस्त कर दिया है. साथ ही उन्हें सेवा विस्तार भी नहीं दिया गया है.

इसी कड़ी में मामले की सुनवाई करते हुए न्यायधीश लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने कॉलेज में संविदा पर तैनात क्रिकेट, बास्केट बॉल, हॉकी कोच, ग्राउंड मैन और स्पोर्ट्स शिक्षकों को हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही सरकार के द्वारा जारी 21 जून 2019 की नियुक्तियों की नई विज्ञप्ति पर रोक लगाते हुए पूर्व से कार्यरत संविदा कर्मियों को अपने पदों पर बने रहने के आदेश दिए हैं.

Intro:Summry देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज से संविधान में नियुक्त शिक्षकों को हटाने का मामला पहुंचा नैनीताल हाई कोर्ट।

Intro
कॉलेज में सुविधा के पद पर तैनात शिक्षकों को हटाने के मामले पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार और खेल सचिव को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं साथ ही संविदा शिक्षक को हटाने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है, साथ ही कोर्ट ने सरकार द्वारा जारी 21 जून 2019 की विज्ञप्ति पर भी रोक लगा दी है।
Body:उत्तराखंड हाई कोर्ट ने महाराणा प्रताप स्पोर्स्ट कालेज में संविदा में कार्यरत क्रिकेट कोच, बास्केट बॉल कोच ,हॉकी कोच ग्राउंड मैन और स्पोर्स्ट अध्यापको को हटाने और सरकार द्वारा जारी 21 जून 2019 की नियुक्तियों की नई विज्ञप्ति पर रोक लगाते हुए पूर्व से कार्यरत संविदा कर्मियो को अपने पदों पर बने रहने के आदेस दिए है साथ में कोर्ट ने खेल सचिव को नोटिस जारी कर सकरार सरकार चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई न्यायधीश लोकपाल सिंह की एकलपीठ में हुई। Conclusion:आपको बता दे कि कालेज में स्ंविदा में कार्यरत पवन लाल व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि वे 2010 से कालेज में विभिन्न पदों पर संविदा कर्मचारियों के रूप में कार्यरत है,, उनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर हुई है, सरकार द्वारा उनको निर्धारित सेवानियमावली के अनुरूप वेतन न देकर कम वेतन दिया जा रहा है,, पूर्व में भी उनके द्वारा याचिका दायर की गयी थी जीसमे कोर्ट ने उनके प्रत्यावेदनो की विधि अनुसार निस्तारित करने के आदेश खेल सचिव को दिए थे परन्तु खेल सचिव द्वारा उमा देवी के निर्णय को आधार मानकर निरस्त कर दिया और उनको सेवा विस्तार भी नही दिया गया,,21 जून 2019 को एक नई विज्ञप्ति जारी की गयी।
Last Updated : Jul 11, 2019, 7:56 AM IST
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