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जमरानी बांध निर्माण में देरी पर हाई कोर्ट सख्त, मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी

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Published : Sep 25, 2019, 9:38 PM IST

जमरानी बांध परियोजना के निर्माण में हो रही देरी के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है. साथ ही मामले पर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को भी पक्षकार बनाया है.

नैनीताल हाई कोर्ट

नैनीतालः जमरानी बांध निर्माण में हो रही देरी पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने आदेश का पालन न करने पर मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है. साथ ही न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने मुख्य सचिव को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

जानकारी देते याचिकाकर्ता.

बता दें कि, जमरानी बांध परियोजना के निर्माण में हो रही देरी के मामले में हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी ने नैनीताल हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर किया है. जिसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट ने बीते नवंबर 2018 में जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार को बांध निर्माण का कार्य 3 साल के भीतर पूरा करने के आदेश दिए थे.

ये भी पढ़ेंः नैनीताल HC से वकीलों को लगा बड़ा झटका, हड़ताल असंवैधानिक घोषित

साथ ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव को बांध निर्माण का प्रस्ताव केंद्र को भेजने के साथ शीघ्र निर्णय लेने को कहा था. इतना ही नहीं कोर्ट ने 6 महीने के भीतर डीपीआर बनाने के निर्देश भी दिए थे. याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी का कहना है कि जमरानी बांध का निर्माण का प्रस्ताव 1975 में तैयार हुआ था. तब से इसके निर्माण की लागत 61.25 करोड़ थी.

साल 1982 में बांध निर्माण का कार्य शुरू हुआ. जिसमें करीब 40 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया गया, लेकिन बांध का निर्माण का कार्य विधिवत शुरू नहीं हो पाया. कई बार डीपीआर बनाई गई. इसके बावजूद निर्माण का कार्य अधर में ही लटका रहा. वहीं, एक बार फिर सरकार ने बांध को लेकर साल 2014 में डीपीआर बनवाई. जिसमे लागत बढ़ कर 2350.56 करोड़ रुपये पहुंची. अब 2019 में एक बार फिर डीपीआर बनाई गई. जिसमें बांध निर्माण का बजट करीब 2800 करोड़ पहुंच गया है.

ये भी पढ़ेंः डेंगू का कहर: हाई कोर्ट पहुंचा मामला, 30 सितंबर तक जवाब पेश करे राज्य सरकार

याचिकाकर्ता का कहना है कि हर साल नई डीपीआर बनाई जा रही हैं और बजट बढ़ाया जा रहा है, लेकिन मामले में कोई कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से बांध निर्माण में लापरवाही बरती जा रही और कोर्ट के आदेश का पालन भी नहीं किया जा रहा. उनके द्वारा बांध निर्माण को लेकर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी भी मांगी. जिसमें सरकार की ओर से बताया गया कि अभी बांध निर्माण के संबंध में काफी संस्तुति बाकी है. जिस कारण बांध निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है.

वहीं, याचिकाकर्ता ने कोर्ट के आदेश का पालन ना करने के मामले पर अवमानना याचिका दायर की. जिस पर बुधवार को मामले की सुनवाई की गई. जिसमें हाई कोर्ट की एकल पीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को भी पक्षकार बनाया है.

नैनीतालः जमरानी बांध निर्माण में हो रही देरी पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने आदेश का पालन न करने पर मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है. साथ ही न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने मुख्य सचिव को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

जानकारी देते याचिकाकर्ता.

बता दें कि, जमरानी बांध परियोजना के निर्माण में हो रही देरी के मामले में हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी ने नैनीताल हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर किया है. जिसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट ने बीते नवंबर 2018 में जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार को बांध निर्माण का कार्य 3 साल के भीतर पूरा करने के आदेश दिए थे.

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साथ ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव को बांध निर्माण का प्रस्ताव केंद्र को भेजने के साथ शीघ्र निर्णय लेने को कहा था. इतना ही नहीं कोर्ट ने 6 महीने के भीतर डीपीआर बनाने के निर्देश भी दिए थे. याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी का कहना है कि जमरानी बांध का निर्माण का प्रस्ताव 1975 में तैयार हुआ था. तब से इसके निर्माण की लागत 61.25 करोड़ थी.

साल 1982 में बांध निर्माण का कार्य शुरू हुआ. जिसमें करीब 40 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया गया, लेकिन बांध का निर्माण का कार्य विधिवत शुरू नहीं हो पाया. कई बार डीपीआर बनाई गई. इसके बावजूद निर्माण का कार्य अधर में ही लटका रहा. वहीं, एक बार फिर सरकार ने बांध को लेकर साल 2014 में डीपीआर बनवाई. जिसमे लागत बढ़ कर 2350.56 करोड़ रुपये पहुंची. अब 2019 में एक बार फिर डीपीआर बनाई गई. जिसमें बांध निर्माण का बजट करीब 2800 करोड़ पहुंच गया है.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि हर साल नई डीपीआर बनाई जा रही हैं और बजट बढ़ाया जा रहा है, लेकिन मामले में कोई कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से बांध निर्माण में लापरवाही बरती जा रही और कोर्ट के आदेश का पालन भी नहीं किया जा रहा. उनके द्वारा बांध निर्माण को लेकर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी भी मांगी. जिसमें सरकार की ओर से बताया गया कि अभी बांध निर्माण के संबंध में काफी संस्तुति बाकी है. जिस कारण बांध निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है.

वहीं, याचिकाकर्ता ने कोर्ट के आदेश का पालन ना करने के मामले पर अवमानना याचिका दायर की. जिस पर बुधवार को मामले की सुनवाई की गई. जिसमें हाई कोर्ट की एकल पीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को भी पक्षकार बनाया है.

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नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करना प्रदेश के मुख्य सचिव को पड़ा भारी, अवमानन नोटिश जारी।

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प्रदेश के मुख्य सचिव को नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश का पालन न करना भारी पड़ गया क्योंकि नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं


Body:आपको बता दें कि नैनीताल के जमरानी बांध परियोजना में हो रही देरी के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं,
जमरानी बांध निर्माण में हो रही देरी के मामले पर हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर कहा है कि हाईकोर्ट ने नवंबर 2018 में जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए आदेश दिए थे कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार बांध का निर्माण कार्य 3 साल में पूरा करें, और बांध निर्माण का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव केंद्र को भेजे और केंद्र इस पर शीघ्र निर्णय ले साथ ही कोर्ट ने 6 माह के भीतर डीपीआर बनाने के निर्देश दिए थे, याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी का कहना है कि जमरानी बांध का निर्माण का प्रस्ताव 1975 में हुआ था तब से इसके निर्माण की लागत 61.25 करोड़ थी।
1982 में बांध निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ जिसमें करीब 40 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण हुआ और तब से बांध का निर्माण का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ कई बार डीपीआर बनाई गई लेकिन बात निर्माण का कार्य अधर में ही रहा, वहीं एक बार फिर सरकार ने बांध की 2014 में डीपीआर बनवाई जिसमे लगता बढ़ कर 2350.56 करोड़ पहुच गई और अब 2019 में एक बार फिर डीपीआर बनाई गई जिसमें बांध निर्माण का बजट करीब 2800 करोड़ पहुच गया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि हर साल नए नए डीपीआर बनाई जा रहे हैं और बजट बढ़ाया जा रहा है लेकिन मामले में कोई प्रगति नहीं हो रही।



Conclusion:याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा बांध निर्माण में लापरवाही बरती जा रही और कोर्ट के आदेश का पालन भी नहीं किया जा रहा उनके द्वारा बांध निर्माण में मांगी गई सूचना के अधिकार के तहत जानकारी में सरकार द्वारा बताया गया कि अभी बांध निर्माण के संबंध में बहुत सी संस्तुति बाकी है जिस कारण बांध निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा।
जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट के आदेश का पालन ना करने के मामले पर अवमानना याचिका दायर की और आज मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं वहीं याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को भी पक्षकार बनाया है।

बाईट- रवि शंकर जोशी,याचिकाकर्ता।
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