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10 हेक्टेयर से कम को वन न मानने के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, राज्य सरकार को लगा बड़ा झटका - nainital high court

10 हेक्टेयर से कम वनों को वन न मानने के आदेश पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगाई. वहीं, राज्य सरकार के 21 नवंबर के इस आदेश को केंद्र सरकार ने भी गलत माना है

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Published : Dec 10, 2019, 10:11 PM IST

नैनीताल: 10 हेक्टेयर से कम वाले जंगलों को जंगल ना मानने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. वहीं, राज्य सरकार के 21 नवंबर के इस आदेश को केंद्र सरकार ने भी गलत माना है. लिहाजा, कोर्ट ने सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी है.

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार को विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार के 21 नवंबर के इस आदेश को केंद्र सरकार ने भी गलत माना है.

आदेश पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगाई.

आपको बता दें कि नैनीताल निवासी अजय रावत ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 10 हेक्टेयर से कम के जंगलों को जंगल की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है, याचिका में कहा गया है कि सरकार ने उन जंगलों को भी जंगल मानने से इनकार किया गया है जहां पर 60% से कम पेड़ों की संख्या है और उन स्थानों में स्थानीय पेड़ों की संख्या 75% से कम है.

इस दौरान याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के इस आदेश के बाद जंगलों में अवैध तस्करों की संख्या बढ़ेगी और लोग बेतहाशा जंगलों का कटान करेंगे. वहीं, जंगलों में अवैध रूप से निर्माण भी होगा, जो आने वाले समय में पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है.

ये भी पढ़े: नैनीताल: क्रिसमस और न्यू ईयर सेलिब्रेशन के तैयारी में जुटा प्रशासन, हेल्पलाइन नंबर किया जारी

याचिकाकर्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट के 1995 में दिए टी एन गोंडावर्मन वर्सेस केंद्र सरकार के आदेश का भी जिक्र किया है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी वनक्षेत्र चाहे वह किसी व्यक्ति विशेष का हो या राज्य सरकार द्वारा घोषित हो या ना हो वह वन क्षेत्र माना जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक राज्यों की सरकार को आदेश दिए थे कि सभी राज्य अपने क्षेत्रों का चयनित कर उनको वन की श्रेणी में लाएं.

नैनीताल: 10 हेक्टेयर से कम वाले जंगलों को जंगल ना मानने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. वहीं, राज्य सरकार के 21 नवंबर के इस आदेश को केंद्र सरकार ने भी गलत माना है. लिहाजा, कोर्ट ने सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी है.

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार को विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार के 21 नवंबर के इस आदेश को केंद्र सरकार ने भी गलत माना है.

आदेश पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगाई.

आपको बता दें कि नैनीताल निवासी अजय रावत ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 10 हेक्टेयर से कम के जंगलों को जंगल की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है, याचिका में कहा गया है कि सरकार ने उन जंगलों को भी जंगल मानने से इनकार किया गया है जहां पर 60% से कम पेड़ों की संख्या है और उन स्थानों में स्थानीय पेड़ों की संख्या 75% से कम है.

इस दौरान याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के इस आदेश के बाद जंगलों में अवैध तस्करों की संख्या बढ़ेगी और लोग बेतहाशा जंगलों का कटान करेंगे. वहीं, जंगलों में अवैध रूप से निर्माण भी होगा, जो आने वाले समय में पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है.

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याचिकाकर्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट के 1995 में दिए टी एन गोंडावर्मन वर्सेस केंद्र सरकार के आदेश का भी जिक्र किया है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी वनक्षेत्र चाहे वह किसी व्यक्ति विशेष का हो या राज्य सरकार द्वारा घोषित हो या ना हो वह वन क्षेत्र माना जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक राज्यों की सरकार को आदेश दिए थे कि सभी राज्य अपने क्षेत्रों का चयनित कर उनको वन की श्रेणी में लाएं.

Intro:Summry

राज्य सरकार द्वारा 10 हेक्टेयर से कम के क्षेत्र को जंगल ना मानने के मामले में राज्य सरकार को झटका।


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राज्य सरकार द्वारा 10 हेक्टेयर से कम वाले जंगलों को जंगल ना मानने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी साथ ही राज्य सरकार को विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार के 21 नवम्बर के इस आदेश को केंद्र सरकार ने भी गलत माना है लिहाजा सरकार के इस आदेश पर रोक लगाएं।


Body:आपको बता दें कि नैनीताल निवासी अजय रावत ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा 21 नवंबर 2019 को कार्यालय आदेश जारी कर अवर्गीकृत जंगल को जंगल नही मानने का आदेश दिया है साथ ही
10 हेक्टेयर से कम के जंगलों को जंगल की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है, याचिका में कहा गया है कि सरकार द्वारा उन जंगलों को भी जंगल मानने से इनकार किया गया है जहां पर 60% से कम पेड़ो की संख्या है और उन स्थानों में स्थानीय पेड़ों की संख्या 75% से कम है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के इस आदेश के बाद जंगलों में अवैध तस्करों की संख्या बढ़ेगी और लोग बेतहाशा जंगलों का कटान करेंगे और जंगलों में अवैध रूप से निर्माण करेंगे जिससे आने वाले समय में पर्यावरण को बड़ा खतरा होगा।



Conclusion:याचिकाकर्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1995 में दिए टी एन गोंडावर्मन वर्सेस केंद्र सरकार के उस आदेश का भी जिक्र किया जिसमें सुप्रीम कोर्ट कहां गया था कि कोई भी वनक्षेत्र चाहे वह किसी व्यक्ति विशेष का हो या राज्य सरकार द्वारा घोषित हो या ना हो वह वन क्षेत्र माना जाएगा, साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रत्येक राज्यों की सरकार को आदेश दिए थे कि सभी राज्य अपने इस तरह के क्षेत्रों का चयनित कर उनको वन की श्रेणी में लाएं।
जिसके बाद सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी साथ ही राज्य सरकार को अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- राजीव सिंह बिष्ट, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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