नैनीताल: उत्तराखंड के बहुचर्चित उद्यान घोटाले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में आज सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा है कि उनके द्वारा सभी फाइलों का अध्ययन कर लिया गया है. प्राथमिक तौर पर इस मामले में केस दर्ज किया जा सकता है.
उद्यान घोटाले की सुनवाई: सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया कि उन्होंने घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि यह निर्णय 9 अगस्त की सुनवाई के पश्चात लिया जाएगा कि घोटाले की जांच सीबीआई करेगी या एसआईटी. मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी.
हाईकोर्ट ने सीबीआई से ये पूछा था: पूर्व में कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि घोटाले के जो बिंदु जनहित याचिका में उठाए गये हैं, क्या उनकी प्रारंभिक जांच हो सकती है. याचिकाकर्ता ने मामले की जांच हेतु एसआईटी गठित करने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह सरकार की एजेंसी है. मामले में सरकार के अधिकारी शामिल हैं, जो जांच को प्रभावित कर सकते हैं.
ये है उद्यान घोटाले का पूरा कच्चा चिट्ठा: मामले के अनुसार दीपक करगेती ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया है. जनहित याचिका में कहा गया है कि उद्यान विभाग में लाखों का घोटाला किया गया है. जिसमें फल और अन्य के पौधारोपण में गड़बडियां की गई हैं. जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि विभाग द्वारा एक ही दिन वर्क ऑर्डर जारी कर, उसी दिन जम्मू कश्मीर से पेड़ लाना दिखाया गया है. जिसका पेमेंट भी कर दिया गया.
एक नहीं कई गड़बड़ियों का है शक: याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस पूरे मामले में कई वित्तीय और अन्य गड़बडियां हुई हैं. जिसकी सीबीआई या फिर किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से जांच कराई जाए. शीतकालीन सत्र में निलंबित उद्यान निदेशक द्वारा पहले एक नकली नर्सरी अनिका ट्रेडर्स को पूरे राज्य में करोड़ों की पौध खरीद का कार्य देकर बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया. जब उद्यान लगाओ, उद्यान बचाओ यात्रा से जुड़े किसानों और उत्तरकाशी के किसानों द्वारा जोर शोर से इस प्रकरण को उठाया गया तो आनन फानन में अनिका ट्रेडर्स के आवंटन को रद्द करने का पत्र जारी कर दिया गया. लेकिन साथ में पौधे भी अनिका ट्रेडर्स के बांटे गए.
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सत्यापन में भी गड़बड़ी का आरोप: याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि इधर नैनीताल में मुख्य उद्यान अधिकारी राजेंद्र कुमार सिंह के साथ मिलकर बवेजा ने एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की एक और नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया. जिसमें हुए भौतिक सत्यापन में भी गड़बड़ी का जिक्र याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में किया है. बरकत एग्रो फार्म को इनवॉइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया. वहीं अकाउंटेंट के बिलों पर बिना हस्ताक्षर के ही करोड़ों करोड़ रुपए ठिकाने लगा दिए.