नैनीताल: हाईकोर्ट में कोटद्वार में माइनिंग पॉलिसी के खिलाफ स्थापित सिद्धबली स्टोन क्रशन को हटाए जाने को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए हैं कि वे केंद्रीय पर्यावरण विभाग एवं राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को पक्षकार बनाएं. इसके साथ ही कोर्ट ने 18 जून तक इनसे अपना पक्ष रखने को कहा है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि कोटद्वार में राजाजी नेशनल के रिजर्व फॉरेस्ट में सिद्धबली स्टोन क्रशर को लगाया गया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइन में कहा था कि कोई भी स्टोन क्रशर नेशनल पार्को के 10 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस के भीतर स्थापित नहीं किया जा सकता. जबकि यह स्टोन क्रशर साढ़े छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. सरकार ने भी अपनी रिपोर्ट पेश कर कहा था कि यह स्टोन क्रशर सड़क से 13 किलोमीटर दूर है.
जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कोर्ट को बताया था कि दूरी मापने के लिए एरियल डिस्टेंस है, न कि सड़क से. सरकार ने इसे सड़क मार्ग से मापा है जो गलत है. ऐसे में सिद्धबली स्टोन क्रशर पीसीबी के मानकों को भी पूरा नहीं करता है और इसके संचालन पर रोक लगाई जाए.
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नंधौर इको सेंसटिव जोन: वहीं, हाईकोर्ट में नंधौर इको सेंसटिव जोन को लेकर भी सुनवाई हुई. खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद बाढ़ राहत कार्य के तहत नदी से निकलने वाले माइनिंग के दोहन पर रोक लगा दी है और बाढ़ राहत कार्य को जारी रखने का आदेश दिया है. आज मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में हुई.
हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी दिनेश कुमार चंदोला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि हल्द्वानी का नंधौर क्षेत्र इको सेंसिटिव जोन में आता है. इस क्षेत्र में सरकार ने बाढ़ से बचाव के कार्यक्रम के नाम पर माइनिंग करने की अनुमति दे रखी है. इसका फायदा उठाते हुए खनन कंपनी द्वारा मानकों के विपरीत खनन किया जा रहा है. जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि इको सेंसिटिव जोन में खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती है. क्योंकि यह पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड एवं इको सेंसिटिव जोन की नियमावली के विरुद्ध है, ऐसे में इस पर रोक लगाई जाए. जनहित याचिका में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन, डायरेक्टर नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी, डीएफओ हल्द्वानी, उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, रीजनल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड एवं एसपीएस इंफ्रा इंजीनियर लिमिटेड नोएडा को पक्षकार बनाया है.
इको सेंसिटिव जोन में खनन प्रतिबंधित: नंधौर इको सेंसिटिव जोन करीब दो साल पहले बना था. इको सेंसिटिव जोन में वाणिज्यिक खनन, पत्थर उत्खनन आदि पर रोक है. आरोप है कि इसके बावजूद इलाके में खनन किया जा रहा है.