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HC में हुई शारीरिक शिक्षकों की भर्ती मामले पर सुनवाई, कोर्ट ने सरकार से 6 हफ्ते में मांगा जवाब

Hearing on recruitment of physical teachers उत्तराखंड हाईकोर्ट में शारीरिक शिक्षक भर्ती मामले पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है.

uttarakhand high court
उत्तराखंड हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 21, 2023, 7:32 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शारीरिक शिक्षकों की भर्ती न करने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि नियत की है. गुरुवार को मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में हुई.

मामले के अनुसार बीपीएड/एमपीएड बेराजगार संघ के अध्यक्ष जगदीश पांडे ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर कहा कि प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और इंटरमीडिएट की कक्षाओं के लिए शारीरिक शिक्षा को नई शिक्षा नीति 2020 और राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेशों में अनिवार्य विषय घोषित किया है. लेकिन उसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार केवल हाईस्कूल स्तर (कक्षा 9 और 10) के लिए ही शारीरिक शिक्षकों के पदों पर विज्ञप्ति जारी करती है. उन्हीं शिक्षकों से अन्य कक्षाओं में भी शिक्षण कार्य कराया जाता है. जबकि प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की कक्षाओं के लिए शारीरिक शिक्षकों के पदों को भरने के लिए अलग-अलग योग्यता है.
ये भी पढ़ेंः पुलिस कॉन्स्टेबल पद पर नियुक्ति हेतु आयु सीमा में छूट देने का मामला, कोर्ट ने दायर याचिका की खारिज

इसके बावजूद भी राज्य सरकार प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और इंटरमीडिएट की कक्षाओं के लिए शारीरिक शिक्षकों के पदों को भरने हेतु विज्ञप्ति जारी नहीं करती है. जबकि नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार कभी कक्षाओं के लिए शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने को कहा गया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसके द्वारा सर्वप्रथम नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया गया. इसके बाद भी इस विषय पर राज्य सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है.

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शारीरिक शिक्षकों की भर्ती न करने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि नियत की है. गुरुवार को मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में हुई.

मामले के अनुसार बीपीएड/एमपीएड बेराजगार संघ के अध्यक्ष जगदीश पांडे ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर कहा कि प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और इंटरमीडिएट की कक्षाओं के लिए शारीरिक शिक्षा को नई शिक्षा नीति 2020 और राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेशों में अनिवार्य विषय घोषित किया है. लेकिन उसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार केवल हाईस्कूल स्तर (कक्षा 9 और 10) के लिए ही शारीरिक शिक्षकों के पदों पर विज्ञप्ति जारी करती है. उन्हीं शिक्षकों से अन्य कक्षाओं में भी शिक्षण कार्य कराया जाता है. जबकि प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की कक्षाओं के लिए शारीरिक शिक्षकों के पदों को भरने के लिए अलग-अलग योग्यता है.
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इसके बावजूद भी राज्य सरकार प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और इंटरमीडिएट की कक्षाओं के लिए शारीरिक शिक्षकों के पदों को भरने हेतु विज्ञप्ति जारी नहीं करती है. जबकि नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार कभी कक्षाओं के लिए शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने को कहा गया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसके द्वारा सर्वप्रथम नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया गया. इसके बाद भी इस विषय पर राज्य सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है.

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