नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में आज विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों के मामले में सुनवाई हुई. मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने सुनवाई बुधवार को भी जारी रखी है. आज मामले में बर्खास्त कर्मचारियों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामथ पूर्व महाधिवक्ता वीवीएस नेगी और अधिवक्ता रवींद्र विष्ठ ने पैरवी की.
मामले के अनुसार अपनी बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ठ, कुलदीप सिंह और 102 अन्य ने एकलपीठ ने चुनौती दी है. याचिकाओं में कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 27, 28 और 29 सितंबर 2022 को समाप्त कर दी थी. बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार पर किस कारण की वजह से हटाया गया. कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया और ना ही उन्हें सुना गया, जबकि उनके द्वारा सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया गया है. एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नहीं है. जिससे यह आदेश विधि के खिलाफ है.
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विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर नियुक्तियां 2001 से 2015 के बीच में भी हुई हैं, जिनको नियमित किया जा चुका है. याचिकाओं में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई, लेकिन उन्हें 6 वर्ष के बाद भी नियमित नहीं किया गया. अब उन्हें हटा दिया गया. पूर्व में उनकी नियुक्ति को 2018 में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी. जिसमें कोर्ट ने उनके हित में आदेश देकर माना था कि उनकी नियुक्ति वैध है, जबकि नियमानुसार छः माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था.
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