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राज्य की जेलों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव का मामला, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालतों को दिया ये आदेश

हाईकोर्ट में आज राज्य की जेलों में सीसीटीवी कैमरे, रहने की व्यवस्था सहित अन्य सुविधाओं के अभाव को लेकर दायर याचिकापर मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई की. इसी बीच कोर्ट ने निचली अदालतों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सत्येंद्र कुमार मामले में दिये गए निर्णय के आधार पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 23, 2023, 6:00 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे, रहने की व्यवस्था सहित अन्य सुविधाओं के अभाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. आज सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश की जेलों में 7 साल से कम सजा वाले 740 कैदी हैं. जिनमें से 25 की जमानत हो गई है और 8 कैदी ऐसे हैं, जिनको जमानत मिली है, लेकिन उन्हें जमानती फॉर्म न मिलने के कारण वे जेल से बाहर नहीं आ पाए हैं. हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सत्येंद्र कुमार मामले में दिये गए निर्णय के आधार पर कार्रवाई करने के निचली अदालतों को निर्देश दिए हैं.

मामले के अनुसार संतोष उपाध्याय व अन्य ने अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से कहा था कि वे अपने राज्य की जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं और जेलों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं.

ये भी पढ़ें: HC ने ISBT को तीनपानी में शिफ्ट करने के खिलाफ दायर याचिका को किया खारिज, जानें वजह

राज्य में मानवाधिकार आयोग के खाली पड़े पदों को भरने के आदेश जारी किए गए थे, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. याचिकाकर्ताओ का कहना है कि सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश का पालन करे और जेलों में भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.

ये भी पढ़ें: बीडी पांडे अस्पताल परिसर से हटेगा अतिक्रमण, हाईकोर्ट ने DM-SDM को दिया आदेश

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे, रहने की व्यवस्था सहित अन्य सुविधाओं के अभाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. आज सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश की जेलों में 7 साल से कम सजा वाले 740 कैदी हैं. जिनमें से 25 की जमानत हो गई है और 8 कैदी ऐसे हैं, जिनको जमानत मिली है, लेकिन उन्हें जमानती फॉर्म न मिलने के कारण वे जेल से बाहर नहीं आ पाए हैं. हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सत्येंद्र कुमार मामले में दिये गए निर्णय के आधार पर कार्रवाई करने के निचली अदालतों को निर्देश दिए हैं.

मामले के अनुसार संतोष उपाध्याय व अन्य ने अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से कहा था कि वे अपने राज्य की जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं और जेलों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं.

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राज्य में मानवाधिकार आयोग के खाली पड़े पदों को भरने के आदेश जारी किए गए थे, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. याचिकाकर्ताओ का कहना है कि सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश का पालन करे और जेलों में भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.

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