ETV Bharat / state

विकास कार्यों में घोटाले का मामला, HC ने ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी को किया तलब

अल्मोड़ा जिले की ग्राम पंचायत सीमा में हुई निर्माण कार्यों को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ग्राम प्रधान बालम सिंह व ग्राम विकास अधिकारी दिनेश सिंह राणा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. इस मामले में गांव की एक महिला ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और गांव में हुए विकास कार्यों में घंपला होने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है.

author img

By

Published : May 12, 2022, 4:03 PM IST

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अल्मोड़ा जिले की ग्राम पंचायत सीमा में ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी द्वारा वर्ष 2008 से 2019 तक किए गए निर्माण कार्यों में घोटाले की जांच और दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने ग्राम प्रधान बालम सिंह व ग्राम विकास अधिकारी दिनेश सिंह राणा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 22 जून की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार अल्मोड़ा के ग्राम पंचायत सीमा निवासी दीवान सिंह ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याचिका में उन्होंने कहा था कि ग्राम पंचायत सीमा के ग्राम प्रधान बालम सिंह व ग्राम विकास अधिकारी दिनेश सिंह राणा द्वारा ग्राम पंचायत में वर्ष 2008 से 2019 के बीच हुए निर्माण कार्यों में सरकारी धन का दुरप्रयोग किया गया है. इसकी जांच कराने के लिए उनके द्वारा राज्य सरकार, जिला अधिकारी अल्मोड़ा व जिला पंचायत राज अधिकारी अल्मोड़ा को शिकायत की गई. उनकी शिकायत पर 21 अगस्त 2021 को जिला पंचायत राज अधिकारी ने पूरे प्रकरण की जांच हेतु आदेश जारी किए. जांच के दौरान शिकायतकर्ता दीवान सिंह, पूर्व प्रधान बालम सिंह, वर्तमान प्रधान तारा बिष्ट, ग्राम विकास अधिकारी, कनिष्ठ अभियंता मनरेगा व अन्य ग्रामवासी उपस्थित थे.
पढ़ें- कैबिनेट के फैसले: अंत्योदय राशन कार्ड पर हर साल 3 सिलेंडर फ्री, गन्ने की शासकीय गारंटी

कमेटी ने 2008 से 2019 के बीच हुए सभी निर्माण कार्यों की जांच की. जांच के दौरान शिकायतकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पूर्व ग्राम प्रधान ने बिना रेवेन्यू टिकट लगाए 4,23,356 रुपये की धनराशि फर्जी मस्टरोल भरकर स्वयं निकाल लिए. मनरेगा हरियाली योजना के तहत उनके द्वारा 4,72,763 रुपये की धनराशि निकाली गई, जो श्रमिक निर्माण कार्य पर लगाये गए थे. वे इस ग्राम पंचायत के न होकर नेपाली मजदूर थे.

वहीं, आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण वर्ष 2015- 2016 में हुआ, जिसको बनाने के लिए बाल विकास विभाग व मनरेगा ने 8,98,000 रुपये की धनराशि दी थी. उसके निर्माण में ग्राम प्रधान ने अकुशल श्रमिकों व घटिया सामग्री का उपयोग किया गया, जिसकी वजह आंगनबाड़ी केंद्र टूट चुका है. उनके ग्राम पंचायत के पेयजल योजनाओं में भी हेराफेरी की गई है.

पूर्व ग्राम प्रधान ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 500 रुपए से कम के भुगतान करने के लिए रेवेन्यू टिकट की आवश्यकता नहीं हैं. उनके द्वारा कोई फर्जी मस्टरोल नहीं भरा गया है. ग्राम पंचायत में श्रमिक नहीं मिलने के कारण निर्माण कार्य पूरा करने के लिए उनके द्वारा बाहर से श्रमिक बुलाए गए. आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण में उनके द्वारा उच्चकोटी की सामग्री व कुशल श्रमिक लगाए गए.

वहीं, निर्माण कार्यों की स्थलीय जांज करने पर कमेटी ने पाया कि कई निर्माण कार्य क्षतिग्रस्त हो गए है. सीमा धारा के सौंदर्यीकरण के निर्माण में ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी ने कई मजदूरों को एक ही दिन दो अलग अलग योजनाओं में कार्य करते हुए दिखाया गया. पेयजल टैंक मरम्मत की लागत 25,992 रुपये थी उनके द्वारा जो मस्टोरल भरा गया. वह 2,8345 रुपये का भरा गया. कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कई घपले पाए और इनसे रिकवरी के आदेश जारी किए.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अल्मोड़ा जिले की ग्राम पंचायत सीमा में ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी द्वारा वर्ष 2008 से 2019 तक किए गए निर्माण कार्यों में घोटाले की जांच और दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने ग्राम प्रधान बालम सिंह व ग्राम विकास अधिकारी दिनेश सिंह राणा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 22 जून की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार अल्मोड़ा के ग्राम पंचायत सीमा निवासी दीवान सिंह ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याचिका में उन्होंने कहा था कि ग्राम पंचायत सीमा के ग्राम प्रधान बालम सिंह व ग्राम विकास अधिकारी दिनेश सिंह राणा द्वारा ग्राम पंचायत में वर्ष 2008 से 2019 के बीच हुए निर्माण कार्यों में सरकारी धन का दुरप्रयोग किया गया है. इसकी जांच कराने के लिए उनके द्वारा राज्य सरकार, जिला अधिकारी अल्मोड़ा व जिला पंचायत राज अधिकारी अल्मोड़ा को शिकायत की गई. उनकी शिकायत पर 21 अगस्त 2021 को जिला पंचायत राज अधिकारी ने पूरे प्रकरण की जांच हेतु आदेश जारी किए. जांच के दौरान शिकायतकर्ता दीवान सिंह, पूर्व प्रधान बालम सिंह, वर्तमान प्रधान तारा बिष्ट, ग्राम विकास अधिकारी, कनिष्ठ अभियंता मनरेगा व अन्य ग्रामवासी उपस्थित थे.
पढ़ें- कैबिनेट के फैसले: अंत्योदय राशन कार्ड पर हर साल 3 सिलेंडर फ्री, गन्ने की शासकीय गारंटी

कमेटी ने 2008 से 2019 के बीच हुए सभी निर्माण कार्यों की जांच की. जांच के दौरान शिकायतकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पूर्व ग्राम प्रधान ने बिना रेवेन्यू टिकट लगाए 4,23,356 रुपये की धनराशि फर्जी मस्टरोल भरकर स्वयं निकाल लिए. मनरेगा हरियाली योजना के तहत उनके द्वारा 4,72,763 रुपये की धनराशि निकाली गई, जो श्रमिक निर्माण कार्य पर लगाये गए थे. वे इस ग्राम पंचायत के न होकर नेपाली मजदूर थे.

वहीं, आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण वर्ष 2015- 2016 में हुआ, जिसको बनाने के लिए बाल विकास विभाग व मनरेगा ने 8,98,000 रुपये की धनराशि दी थी. उसके निर्माण में ग्राम प्रधान ने अकुशल श्रमिकों व घटिया सामग्री का उपयोग किया गया, जिसकी वजह आंगनबाड़ी केंद्र टूट चुका है. उनके ग्राम पंचायत के पेयजल योजनाओं में भी हेराफेरी की गई है.

पूर्व ग्राम प्रधान ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 500 रुपए से कम के भुगतान करने के लिए रेवेन्यू टिकट की आवश्यकता नहीं हैं. उनके द्वारा कोई फर्जी मस्टरोल नहीं भरा गया है. ग्राम पंचायत में श्रमिक नहीं मिलने के कारण निर्माण कार्य पूरा करने के लिए उनके द्वारा बाहर से श्रमिक बुलाए गए. आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण में उनके द्वारा उच्चकोटी की सामग्री व कुशल श्रमिक लगाए गए.

वहीं, निर्माण कार्यों की स्थलीय जांज करने पर कमेटी ने पाया कि कई निर्माण कार्य क्षतिग्रस्त हो गए है. सीमा धारा के सौंदर्यीकरण के निर्माण में ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी ने कई मजदूरों को एक ही दिन दो अलग अलग योजनाओं में कार्य करते हुए दिखाया गया. पेयजल टैंक मरम्मत की लागत 25,992 रुपये थी उनके द्वारा जो मस्टोरल भरा गया. वह 2,8345 रुपये का भरा गया. कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कई घपले पाए और इनसे रिकवरी के आदेश जारी किए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.