नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने हरिद्वार में गंगा माता कुष्ठ आश्रम के कुष्ठ रोगियों (leprosy patients in Haridwar) के पक्के आवासों (demolishing permanent residence) को 17 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति के दौरे में तोड़े जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. आज हुई सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी हरिद्वार एवं हरिद्वार जिला विकास प्राधिकरण ने कोर्ट को अवगत कराया कि इनके पुनर्वास के लिए जमीन तलाश ली गई है. जल्द ही इनके लिए आवास बना दिए जाएंगे.
मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने 13 दिसंबर तक कुष्ट रोगियों के लिए बनाए जाने वाले आवासों की डीपीआर कोर्ट में पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में हुई.
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मामले के अनुसार हरिद्वार की नाव वेलफेयर सोसायटी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 17 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति के हरिद्वार आगमन पर गंगा माता कुष्ठ आश्रम में कुष्ठ रोगियों के पक्के आवासों को प्रशासन ने तोड़ दिया, ताकि राष्ट्रपति उन्हें ना देख सकें. उनके लिए ये पक्के आवास इंग्लैंड की एसएनजे ट्रस्ट द्वारा 20 लाख रूपये खर्च करके बनाये गए थे.
आवास तोड़े जाने के बाद से ही कुष्ठ रोगी सड़क किनारे अपना जीवन बीता रहे हैं. सरकार ने अभी तक इनकी रहने की व्यवस्था नहीं की है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुष्ठ रोगी समाज के निचले स्तर से तालुक रखते हैं. उनकी इस समस्या को कोर्ट प्राथमिकता से सुनवाई करेगा.