नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर के तहसील कपकोट में खनन माफियाओं के द्वारा अवैध रूप किए जा रहे खड़िया खनन के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले पर पूर्व में लगाई गई रोक को आगे जारी रखते हुए उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल को निर्देश दिए हैं कि जो कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट बंद लिफाफे में आई है, उसकी एक प्रति जनहित याचिका के पक्षकारों को दें. कोर्ट अब अगली तिथि को कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर 13 अक्टूबर को सुनवाई करेगी.
जनहित याचिका में अभी तक जिन पक्षकारों के जवाब नहीं आये हैं, उनसे जवाब पेश करने को कहा है. पर्व में कोर्ट ने मामले वास्तविक स्थिति को जानने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था, जिसने जांच के बाद बंद लिफाफे में अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की. पक्षकारों के अनुरोध पर कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट उन्हें देने के आदेश दिए.मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई.
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मामले के अनुसार बागेश्वर निवासी हीरा सिंह पपोला ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि बागेश्वर जिले के तहसील कपकोट के रिमाघाटी, गुलामप्रगड़ व भीयूं गांव में सरकार द्वारा खनन पट्टा दिया है. जिसमें खनन माफिया द्वारा काफी अधिक अवैध खनन किया जा रहा है और उपखनिज को बाहर ले जाने के लिए वन भूमि में अवैध रूप से सड़क भी बना ली है. अंधाधुंध हो रहे खनन के चलते गांव के जल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. याचिकाकर्ता का कहना है कि अवैध रूप से किए जा रहे खनन से होने वाले दुष्प्रभाव से गांव को बचाया जाए.