नैनीताल: चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या को बढ़ाए जाने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) चन्द्रशेखर रावत ने मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में शीघ्र सुनवाई के लिए आग्रह किया. हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार 5 अक्टूबर की तारीख तय की है.
राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसले को संशोधित करने की मांग की है. महाधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि चारधाम यात्रा के लिए कोविड को देखते हुए कोर्ट ने पूर्व में श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित कर दी थी लेकिन अब प्रदेश में कोविड के केस न के बराबर आ रहे हैं, इसलिए चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या के आदेश में संशोधन किया जाए.
महाधिवक्ता ने कोर्ट का ध्यान चारधाम यात्रा की समाप्ति की ओर भी खींचा. महाधिवक्ता ने बताया कि यात्रा समाप्त होने में अब 40 दिन से कम का समय बचा हुआ है, इसलिए जितने भी श्रद्धालु आ रहे हैं उन सबको दर्शन करने की अनुमति दी जाए. कुछ श्रद्धालु दर्शन करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन तो करा रहे हैं लेकिन वो आ नहीं रहे हैं, जिसके कारण वहां के स्थानीय लोगों पर रोजी रोटी का खतरा पैदा हो रहा है.
महाधिवक्ता ने कोर्ट को ये भी बताया कि कोर्ट ने पूर्व दिए गए दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जा रहा है. चारधाम यात्रा में सभी सुविधाओं को उपलब्ध करा दिया गया है. सरकार ने कोर्ट से मांग की है कि चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या पर से रोक हटाई जाए या फिर श्रद्धालुओं की संख्या तीन से चार हजार प्रतिदिन किया जाए.
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मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. बता दें, पूर्व में कोर्ट ने चारधाम यात्रा करने के लिए प्रत्येक दिन केदारनाथ धाम में 800, बदरीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600 और यमनोत्री धाम में कुल 400 श्रद्धालुओं के जाने की अनुमति दी थी.