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लाइब्रेरी घोटाला: सरकार ने याचिका को बताया राजनीति प्रेरित, HC ने 7 दिन में मांगा जवाब - हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले पर HC में हुई सुनवाई

Nainital
नैनीताल
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Published : Jun 23, 2021, 4:00 PM IST

Updated : Jul 17, 2021, 8:10 PM IST

15:46 June 23

उत्तराखंड सरकार और संगठन के लिए बुधवार का दिन बुरा रहा है. हाईकोर्ट से हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले में दोनों को नोटिस जारी हुआ है.

हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले में HC ने सरकार और मदन कौशिक समेत कईयों को भेजा नोटिस

नैनीतालः हरिद्वार में हुए 16 पुस्तकालय घोटाले के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, हरिद्वार विधायक व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, हरिद्वार डीएम, सीडीओ समेत ग्रामीण अभियंत्रण सर्विस के अधिशासी अभियंता को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने सभी से 7 दिन में नोटिस का जवाब देने के लिए कहा है. देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने घोटाले की जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की थी. नैनीताल हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. मामले की अगली सुनवाई 30 जून को होगी.

राज्य सरकार ने किया याचिका का विरोध 

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के द्वारा इस जनहित याचिका का विरोध किया गया. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिका राजनीति से प्रेरित है. लिहाजा जनहित याचिका अपरिपक्व है. इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है, जिसे खारिज कर देना चाहिए.

ये है मामला 

सच्चिदानंद डबराल ने अपनी याचिका में कहा कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक द्वारा विधायक निधि से डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया. पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन और फाइनल पेमेंट तक हो गई, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं हुआ. 

घोटाले का आरोप

याचिका में कहा गया है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक समेत तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के द्वारा बड़ा घोटाला किया गया है.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड सरकार का दावा, कुंभ में नहीं हुआ कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा

याचिकाकर्ता का कहना है कि...

पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेज को दिया गया. विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण के बाद ही फाइनल पेमेंट होती है. ऐसे में विभाग के अधिशासी अभियंता के द्वारा बिना पुस्तकालय निर्माण के ही अपनी फाइनल रिपोर्ट लगा दी. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है. 

याचिकाकर्ता सचिन डबराल का कहना है कि जनता का पैसा जनता के लिए खर्च होना चाहिए. पुस्तकालय का निर्माण ऐसे लोगों के लिए होना चाहिए था जो लोग पुस्तकालय में जाकर पठन-पाठन का कार्य कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.  

दूसरी बार विवादों में पुस्तकालय

हरिद्वार में 2010 में शहर विधायक मदन कौशिक की विधायक निधि से 16 पुस्तकालयों का निर्माण कराने के लिए पैसा आवंटित किया गया था. इनके निर्माण को लेकर उस समय भी विवाद हुआ था. घोटाले के आरोप भी लगे थे. जिसकी क्षतिपूर्ति जिला अधिकारी और अन्य अधिकारियों के वेतन से की गई थी. पुस्तकालय निर्माण का यह मामला एक बार सुर्खियों में है. याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल ने उक्त घोटाले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल में अपील की है. 

15:46 June 23

उत्तराखंड सरकार और संगठन के लिए बुधवार का दिन बुरा रहा है. हाईकोर्ट से हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले में दोनों को नोटिस जारी हुआ है.

हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले में HC ने सरकार और मदन कौशिक समेत कईयों को भेजा नोटिस

नैनीतालः हरिद्वार में हुए 16 पुस्तकालय घोटाले के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, हरिद्वार विधायक व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, हरिद्वार डीएम, सीडीओ समेत ग्रामीण अभियंत्रण सर्विस के अधिशासी अभियंता को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने सभी से 7 दिन में नोटिस का जवाब देने के लिए कहा है. देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने घोटाले की जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की थी. नैनीताल हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. मामले की अगली सुनवाई 30 जून को होगी.

राज्य सरकार ने किया याचिका का विरोध 

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के द्वारा इस जनहित याचिका का विरोध किया गया. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिका राजनीति से प्रेरित है. लिहाजा जनहित याचिका अपरिपक्व है. इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है, जिसे खारिज कर देना चाहिए.

ये है मामला 

सच्चिदानंद डबराल ने अपनी याचिका में कहा कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक द्वारा विधायक निधि से डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया. पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन और फाइनल पेमेंट तक हो गई, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं हुआ. 

घोटाले का आरोप

याचिका में कहा गया है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक समेत तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के द्वारा बड़ा घोटाला किया गया है.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड सरकार का दावा, कुंभ में नहीं हुआ कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा

याचिकाकर्ता का कहना है कि...

पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेज को दिया गया. विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण के बाद ही फाइनल पेमेंट होती है. ऐसे में विभाग के अधिशासी अभियंता के द्वारा बिना पुस्तकालय निर्माण के ही अपनी फाइनल रिपोर्ट लगा दी. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है. 

याचिकाकर्ता सचिन डबराल का कहना है कि जनता का पैसा जनता के लिए खर्च होना चाहिए. पुस्तकालय का निर्माण ऐसे लोगों के लिए होना चाहिए था जो लोग पुस्तकालय में जाकर पठन-पाठन का कार्य कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.  

दूसरी बार विवादों में पुस्तकालय

हरिद्वार में 2010 में शहर विधायक मदन कौशिक की विधायक निधि से 16 पुस्तकालयों का निर्माण कराने के लिए पैसा आवंटित किया गया था. इनके निर्माण को लेकर उस समय भी विवाद हुआ था. घोटाले के आरोप भी लगे थे. जिसकी क्षतिपूर्ति जिला अधिकारी और अन्य अधिकारियों के वेतन से की गई थी. पुस्तकालय निर्माण का यह मामला एक बार सुर्खियों में है. याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल ने उक्त घोटाले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल में अपील की है. 

Last Updated : Jul 17, 2021, 8:10 PM IST
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