ETV Bharat / state

बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर HC में सुनवाई, कोर्ट ने जिला मॉनिटरिंग कमेटी से मांगी रिपोर्ट - उत्तराखंड ताजा समाचार टुडे

प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर उत्तराखंड हाइकोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने सुनवाई के बाद जिला मॉनिटरिंग कमेटी को किस-किस हॉस्पिटल में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध है, उनकी जांच करने के निर्देश दिए हैं.

Uttarakhand High Court
नैनीताल हाईकोर्ट
author img

By

Published : Feb 22, 2022, 4:36 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने कोरोना के समय प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के खिलाफ दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने जिला मॉनिटरिंग कमेटी को निर्देश दिए हैं कि 8 मार्च तक किस-किस हॉस्पिटल में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं, उनकी जांच करके कोर्ट को अवगत कराएं. मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 8 मार्च की तिथि नियत की है.

मंगलवार 22 फरवरी को मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकारी अस्पतालों में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं? इसकी जानकारी राज्य के मेडिकल पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है, जिसकी वजह से मरीजों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें- साइबर ठगों पर उत्तराखंड STF का शिकंजा, एक हफ्ते में 7 लाख से ज्यादा रकम की रिकवर

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि सरकार की मेडिकल वेबसाइट में इस बात का भी उल्लेख किया जाय कि प्राइमरी अस्पताल, बेस अस्पताल और अन्य सरकारी अस्पतालों में कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं. मामले के अनुसार अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल और अन्य आठ ने क्वारंटाइन सेंटरों, कोविड हॉस्पिटलों की बदहाली, उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की थी.

पढ़ें- रुद्रपुर में नशे के 590 इंजेक्शन के साथ युवक गिरफ्तार, यूपी से खेप लाकर करता था बिक्री

पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में है. सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है, जिसका संज्ञान लेकर कोर्ट ने अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिये जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटियां गठित करने के आदेश दिए थे और कमेटियों से सुझाव मांगे थे. याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि महामारी से लड़ने के लिए प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने कोरोना के समय प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के खिलाफ दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने जिला मॉनिटरिंग कमेटी को निर्देश दिए हैं कि 8 मार्च तक किस-किस हॉस्पिटल में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं, उनकी जांच करके कोर्ट को अवगत कराएं. मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 8 मार्च की तिथि नियत की है.

मंगलवार 22 फरवरी को मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकारी अस्पतालों में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं? इसकी जानकारी राज्य के मेडिकल पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है, जिसकी वजह से मरीजों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें- साइबर ठगों पर उत्तराखंड STF का शिकंजा, एक हफ्ते में 7 लाख से ज्यादा रकम की रिकवर

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि सरकार की मेडिकल वेबसाइट में इस बात का भी उल्लेख किया जाय कि प्राइमरी अस्पताल, बेस अस्पताल और अन्य सरकारी अस्पतालों में कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं. मामले के अनुसार अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल और अन्य आठ ने क्वारंटाइन सेंटरों, कोविड हॉस्पिटलों की बदहाली, उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की थी.

पढ़ें- रुद्रपुर में नशे के 590 इंजेक्शन के साथ युवक गिरफ्तार, यूपी से खेप लाकर करता था बिक्री

पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में है. सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है, जिसका संज्ञान लेकर कोर्ट ने अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिये जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटियां गठित करने के आदेश दिए थे और कमेटियों से सुझाव मांगे थे. याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि महामारी से लड़ने के लिए प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.