नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि निचली अदालत में किसी आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर होने के बाद भी आरोपी की अग्रिम जमानत बरकरार रखी जा सकती है. इस मामले के अनुसार 17 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट के न्यायधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने हरिद्वार के सौभाग्य भगत सहित कई अन्य की अग्रिम जमानत याचिकाओं से सम्बंधित मामलों को खंडपीठ को रेफर करते हुए मार्गदर्शन चाहा था.
इस याचिकाओं में कहा गया था कि क्या उन आरोपियों की अग्रिम जमानत बरकरार रखी जा सकती है, जिनके खिलाफ निचली अदालतों में चार्जशीट दायर हो चुकी है. इस मामले में वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा भरत चौधरी बनाम बिहार राज्य साल 2003 व विनोद कुमार शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश सरकार 2021 का हवाला देते हुए कहा कि निचली अदालत में चार्जशीट दायर होने के बाद भी आरोपी की अग्रिम जमानत बरकरार रखी जा सकती है. अपनी इस राय के बाद खंडपीठ ने याचिकाएं सुनवाई के लिये एकलपीठ को नियमित सुनवाई के लिये लौटा दी है.
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इस मामले में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि सौभाग्य भगत के खिलाफ दहेज हत्या से जुड़े मामले में ज्वालापुर हरिद्वार की कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ था. जो पेशे से अधिवक्ता हैं और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं. घटना के दिन सीसीटीवी फुटेज में उनको सुप्रीम कोर्ट में देखा गया. सौभाग्य भगत को पूर्व में हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी. किन्तु अब उनके खिलाफ निचली अदालत में चार्जशीट दायर हो चुकी है. ऐस में उन्होंने अपनी अग्रिम जमानत बरकरार रखने हेतु कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था. इसी तरह के कई अन्य मामले भी कोर्ट में विचाराधीन हैं.