नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वत्सल फाउंडेशन की सचिव श्वेता मासीवाल द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ ने भारत सरकार के वन सचिव, सदस्य सचिव नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड, प्रमुख वन्यजीव संरक्षक उत्तराखंड, निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, अधिशासी अभियंता यूपीसीएल रामनगर, अधिशासी अभियंता जल संस्थान रामनगर, जिलाधिकारी नैनीताल, मुख्य विकास अधिकारी नैनीताल को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वत्सल फाउंडेशन की सचिव श्वेता मासीवाल द्वारा रामनगर के आमडंडा खत्ता के निवासियों को बिजली, पेयजल और विद्यालय जैसी मूलभूत सुविधाएं दिलाये जाने के संबंध में दायर की गई जनहित याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. साथ ही हाईकोर्ट ने संबंधित विभाग को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. वहीं मामले की अगली सुनवाई के लिए छह सप्ताह बाद की तिथि नियत की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि आमडंडा क्षेत्र में विद्युतीकरण को लेकर 2015 में धनराशि आवंटित हो गयी थी. संयुक्त निरीक्षण के अनुसार आमडंडा में विद्युतीकरण के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा जाना है.
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जबकि केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार सिर्फ प्रति हेक्टेयर 75 से अधिक पेड़ काटे जाने पर ही वन ग्राम में विद्युतीकरण हेतु केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है. लेकिन इस मामले में अधिकारियों की हीलाहवाली के कारण 2015 से आज तक विद्युतीकरण नहीं हो पाया है. इसी तरह आमडंडा में पेयजल को लेकर भी वर्ष 2012 से आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. याचिकाकर्ता का कहना था कि आमडंडा खत्ता के ग्रामीण बिजली, पानी और शिक्षा के अभाव में जी रहे हैं. अधिकारियों द्वारा लगातार उनके मूलभूत अधिकारों की अनदेखी की जा रही है. जनहित याचिका में कोर्ट से उन्हें जरूरी मूलभूत सुविधाएं दिलाए जाने की मांग की है.