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जीवन दे रहे निर्जीव को 'जीवन', ऐसा है हाथों का जादू

हल्द्वानी के रहने वाले जीवन चंद जोशी पहाड़ में हस्तशिल्प को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. जीवन चीड़ की बकेत (छाल) पर कलाकृतियां उकेर कर न सिर्फ वाहवाही लूट रहे हैं, बल्कि देश दुनिया में उत्तराखंड की पहचान बना रहे हैं.

हल्द्वानी
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Published : Nov 12, 2019, 3:01 PM IST

हल्द्वानी: चीड़ के पेड़ की बकेट (छाल) भले ही लोगों के लिए बेकार हो, लेकिन हल्द्वानी के रहने वाले दिव्यांग जीवन चंद जोशी के लिए बेशकीमती है. जीवन चंद जोशी चीड़ के बकेट में सुंदर कलाकृतियां बनाकर उसमें जान डाल रहे हैं. इस कलाकृति के जरिए उत्तराखंड की हस्तशिल्प कला को विश्व में पहचान दिलाने का काम कर रहे हैं. यही नहीं उनके हस्तशिल्प कला को लेकर भारत सरकार के सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा फोक ट्रेडिशनल और इंजीनियस आर्ट में सीनियर फेलोशिप भी प्रदान किया है.

जीवन चंद जोशी पहाड़ में दे रहे हस्तशिल्प को बढ़ावा.

जीवन चंद जोशी हल्द्वानी के कठघरिया में रहते हैं. जीवन के हाथों में निर्जीव वस्तु (चीड़ की छाल) में जान डालने का हुनर हैं. उनके हाथों में वो जादू है कि लकड़ी भी बोल उठती है. अपनी इस कला के जरिए जीवन उत्तराखंड की पहचान को विश्व पटल पर लाना चाहते हैं. इसके लिए जीवन पहाड़ के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर शिल्पकारों के अंदर छुपी प्रतिभा को तराशने का काम कर रहे हैं.

दोनों पैरों से दिव्यांग जीवन चंद जोशी ने दिव्यांगता को कभी आड़े नहीं आने दी. उन्हें बचपन से कलाकृतियां बनाने का शौक था. पहाड़ पर रहते हुए उन्होंने चीड़ की बकेत को अपने हाथों से तराशने का काम शुरू किया. बकेत में कलाकृति बनाकर लकड़ी को जीवन दान दिया.

जीवन का कहना है कि देवालय हमारी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर है और कलाकृति में लोगों की अपार आस्था भी है. आने वाली पीढ़ी के लिए उन्हें संरक्षित करना होगा ताकि वह अपनी धरोहर को देखकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर सके. उन्होंने कहा कि सरकार अगर उत्तराखंड में हस्तशिल्प कला को बढ़ावा दे तो राज्य में रोजगार के काफी अवसर पैदा होंगे और पलायन भी रुकेगा.

पढ़ें- उत्तराखंड सरकार राशन की दुकानों पर बेचेगी सस्ता प्याज, व्यापारियों पर होगी नजर

जीवन चंद जोशी ने बताया है कि उन्होंने अपनी हस्तकला को कई प्रदर्शनी में लोहा मनवाया है. लखनऊ, कोलकाता में लगी प्रदर्शनी उनकी कलाकृति की खूब सराहना हुई है. उनकी हस्तशिल्प कला को लेकर भारत सरकार के सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा फोक ट्रेडिशनल और इंजीनियस आर्ट में सीनियर फेलोशिप भी प्रदान किया है.

हल्द्वानी: चीड़ के पेड़ की बकेट (छाल) भले ही लोगों के लिए बेकार हो, लेकिन हल्द्वानी के रहने वाले दिव्यांग जीवन चंद जोशी के लिए बेशकीमती है. जीवन चंद जोशी चीड़ के बकेट में सुंदर कलाकृतियां बनाकर उसमें जान डाल रहे हैं. इस कलाकृति के जरिए उत्तराखंड की हस्तशिल्प कला को विश्व में पहचान दिलाने का काम कर रहे हैं. यही नहीं उनके हस्तशिल्प कला को लेकर भारत सरकार के सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा फोक ट्रेडिशनल और इंजीनियस आर्ट में सीनियर फेलोशिप भी प्रदान किया है.

जीवन चंद जोशी पहाड़ में दे रहे हस्तशिल्प को बढ़ावा.

जीवन चंद जोशी हल्द्वानी के कठघरिया में रहते हैं. जीवन के हाथों में निर्जीव वस्तु (चीड़ की छाल) में जान डालने का हुनर हैं. उनके हाथों में वो जादू है कि लकड़ी भी बोल उठती है. अपनी इस कला के जरिए जीवन उत्तराखंड की पहचान को विश्व पटल पर लाना चाहते हैं. इसके लिए जीवन पहाड़ के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर शिल्पकारों के अंदर छुपी प्रतिभा को तराशने का काम कर रहे हैं.

दोनों पैरों से दिव्यांग जीवन चंद जोशी ने दिव्यांगता को कभी आड़े नहीं आने दी. उन्हें बचपन से कलाकृतियां बनाने का शौक था. पहाड़ पर रहते हुए उन्होंने चीड़ की बकेत को अपने हाथों से तराशने का काम शुरू किया. बकेत में कलाकृति बनाकर लकड़ी को जीवन दान दिया.

जीवन का कहना है कि देवालय हमारी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर है और कलाकृति में लोगों की अपार आस्था भी है. आने वाली पीढ़ी के लिए उन्हें संरक्षित करना होगा ताकि वह अपनी धरोहर को देखकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर सके. उन्होंने कहा कि सरकार अगर उत्तराखंड में हस्तशिल्प कला को बढ़ावा दे तो राज्य में रोजगार के काफी अवसर पैदा होंगे और पलायन भी रुकेगा.

पढ़ें- उत्तराखंड सरकार राशन की दुकानों पर बेचेगी सस्ता प्याज, व्यापारियों पर होगी नजर

जीवन चंद जोशी ने बताया है कि उन्होंने अपनी हस्तकला को कई प्रदर्शनी में लोहा मनवाया है. लखनऊ, कोलकाता में लगी प्रदर्शनी उनकी कलाकृति की खूब सराहना हुई है. उनकी हस्तशिल्प कला को लेकर भारत सरकार के सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा फोक ट्रेडिशनल और इंजीनियस आर्ट में सीनियर फेलोशिप भी प्रदान किया है.

Intro:sammry- दिव्यांग शिल्पकार लोगों के लिए बना मिसाल अपनी उंगलियों से चीड़ की छाल से निर्जीव कलाकृति को दे रहा है जान। (स्पेशल ख़बर)


एंकर- पहाड़ में बहुतायत मात्रा में पाया जाने वाला चीड़ के पेड़ के बकेट (छाल) भले ही लोगों के लिए बेकार हो लेकिन हल्द्वानी के रहने वाले दिव्यांग जीवन चंद जोशी के लिए बेशकीमती है। जीवन चंद जोशी अपने हाथों से चीड़ के बकेट में सुंदर कलाकृति बनाकर उसमें जान डाल रहे हैं। और इस कलाकृति के जरिए उत्तराखंड की हस्तशिल्प कला को विश्व में पहचान दिलाने का काम कर रहे हैं। यही नहीं उनके हस्तशिल्प कला को लेकर भारत सरकार के सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा फोक ट्रेडिशनल और इंजीनियस आर्ट में सीनियर फैलोशिप भी प्रदान किया है।




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दोनों पैरों से दिव्यांग जीवन चंद जोशी ने दिव्यांगता को कभी भी आड़े आने नहीं दिया और उन्होंने ऐसा कर दिखाया कि आज उत्तराखंड की हस्तकला को विश्व में पहचान दिला रहे हैं। जीवन चंद जोशी ने बताया कि उन्होंने बचपन से कलाकृति बनाने का शौक था और पहाड़ में रहते हुए उन्होंने चीड़ के पेड़ के बगेत को अपने हाथों तराशने का काम शुरू किया और उसमें कलाकृति बनाकर उत्तराखंड के लोगों में छुपी हस्तशिल्प कला को प्रदर्शित करने का काम किया । फिलहाल जीवन चंद जोशी हल्द्वानी के कठघरिया में रहते हैं लेकिन आज भी उनके हाथों में ऐसी कला है कि बगेट से तरह तरह की कलाकृति बनाकर उसमें जान डाल रहे हैं । जीवन चंद्र जोशी ने बताया कि फिलहाल वह उत्तराखंड की इस कलाकृति को विश्व पटल में लाने के लिए पहाड़ के क्षेत्र में जाकर वहां के शिल्पकारों के अंदर छुपी प्रतिभा को खोज जन जागरूकता के माध्यम से आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं ।
उन्होंने बताया कि अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए बगेट के माध्यम से देवी देवताओं की मूर्तियां, घरों में रखे जाने वाले शोपीस के साथ-साथ रोजमर्रा की काम आने वाली बस्तुओं का निर्माण कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देवालय हमारी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर है और कलाकृति हम लोगों की अपार आस्था भी है। आने वाले पीढ़ी के लिए उन्हें संरक्षित करना होगा ताकि वह अपनी धरोहर को देखकर गौरवान्वित महसूस हो सके ।उन्होंने कहा कि सरकार अगर उत्तराखंड में हस्तशिल्प कला को बढ़ावा दे तो राज्य में रोजगार के काफी अवसर पैदा होंगे और पलायन भी रुकेगा।





Conclusion: जीवन चंद जोशी ने बताया है कि उन्होंने अपनी हस्तकला को कई प्रदर्शनों में लोहा मनवाया है और लखनऊ, कोलकाता में भी उन्होंने प्रदर्शनी लगाई है जहां उनकी कला की खूब सराहना की गई उनकी हस्तशिल्प कला को लेकर भारत सरकार के सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा फोक ट्रेडिशनल और इंजीनियस आर्ट में सीनियर फैलोशिप भी प्रदान किया है।

बाइट -जीवन चंद्र जोशी दिव्यांग हस्तशिल्प कलाकार
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