हल्द्वानी: होली आने में अब कुछ दिन ही शेष रह गया है. ऐसे में महिला सहायता समूह हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हुई है. पिछले कुछ सालों में हर्बल रंगों की डिमांड बढ़ी है. लोग होली पर हानिकारक रासायनिक रंगों से परहेज करने लगे हैं. ऐसे में बाजारों में हर्बल रंगों की डिमांड बढ़ने लगी है.
हल्द्वानी की तीनपानी स्थित श्रद्धा महिला बाल विकास सहायता समूह की महिलाएं होली को हर्बल गुलाल से रंगीन बनाने के लिए दिन रात काम कर रही हैं. सहायता समूह की महिलाएं गुलाब, गेंदा के फूल, पालक, हल्दी, चुकंदर, बुरांश के फूल, आरारोट के माध्यम से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं.
सहायता समूह द्वारा उत्पादित किए गए हर्बल गुलाल की डिमांड उत्तराखंड के कई शहरों के अलावा बेंगलुरु, दिल्ली, यूपी सहित कई शहरों में की जा रही है. श्रद्धा महिला बाल विकास संस्था के अध्यक्ष पुष्पा कांडपाल ने है कि उनके द्वारा उत्पादित किए गए गुलाल पूरी तरह से हर्बल है. इसे बनाने के लिए बुरांश, गेंदा, गुलाब के फूल के अलावा सब्जियों और उनके पत्तों का इस्तेमाल किया गया है.
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गुलाल तैयार करने के लिए सहायता समूह की महिलाएं डिमांड के अनुसार दिन रात काम कर रही हैं. जो इनकी आजीविका का साधन भी बन रहा है. पुष्पा कांडपाल के मुताबिक हर्बल कलर के रेट बाजारों में बिकने वाले रसायनिक गुलाल के रेट के बराबर ही रखे गए हैं, जिससे लोग इसको ज्यादा से ज्यादा खरीद सके. उन्होंने बताया कि 5 कलर में हर्बल गुलाल को तैयार किया जा रहा है और ग्राहकों के पैकिंग की सुविधा के अनुसार 100 ग्राम 200 ग्राम और 500 ग्राम की पैकिंग की सुविधा रखी गई है.
सहायता समूह की महिला ममता का कहना है कि उनके द्वारा उत्पादित किए गए गुलाल पूरी तरह से त्वचा के लिए सुरक्षित है. हर्बल गुलाल से अगर होली खेली जाए तो शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है. इन रंगों में खुशबू के साथ-साथ चमक भी है, जो लगाने के दौरान चेहरे पर चमक भी देखी जा सकती है.