हल्द्वानी: हिंदी पंचाग के अनुसार साल में चार बार मां दुर्गा के नवरात्रि मनाए जाते हैं. श्रीमद देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रियों में माघ शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं. दूसरा चैत्र मास में मनाए जाते हैं. और बाकि के दो नवरात्रि आषाढ़ और अश्विन माह में आते हैं. इस साल माघ माह में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 2 फरवरी से हो रही हैं, जो कि 10 फरवरी तक समाप्त होगी.
इन नवरात्रों में यज्ञ, होम अनुष्ठान का विशेष महत्व है. इन नवरात्रों में मां दुर्गा की उपासना के साथ-साथ भगवान आशुतोष शिव की आराधना की जाती है. इन नवरात्रों में माता गिरिजा व भगवान शिव की उपासना करने से समस्त रोग-शोक दूर होते हैं. शरीर में असाध्य रोगों की निवृत्ति के लिए मां भगवती की उपासना करनी चाहिए. यज्ञ होम अनुष्ठान के अतिरिक्त इन नवरात्रों में विवाह यज्ञोपवीत संस्कार आदि के लिए अच्छा माना जाता है.
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ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, घटस्थापना और पूजन विधि व समय प्रातः 5:20 बजे से सुबह 10:15 तक विशेष मुहूर्त है. प्रातः काल गणेश पूजन कर मां भगवती दुर्गा स्थापना कर दुर्गा सप्तशती पाठ करें. इसके अलावा लक्ष्मी प्राप्ति हेतु प्रति दिन श्री सूक्त स्तोत्र पाठ व हवन का विशेष महत्व रहेगा. गुप्त नवरात्रि में भक्त मां दुर्गा की पूजा करने के लिए सुबह प्रात: काल में स्नान आदि से निवृत्त होकर कलश, नारियल-चुन्नी, श्रृंगार का सामान, अक्षत, हल्दी, फल-फूल, पुष्प आदि से मां का श्रृंगार और पूजा करें और विधि-विधान से कलश की स्थापना करें.
माना जाता है कि ऐसे भक्तों की भक्ति और तप से गुप्त नवरात्रि में मां अंबे प्रसन्न होती हैं.10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंग्लामुखी, मातंगी और कमला देवी की गुप्त तरीके से पूजा-अर्चना का भी विशेष महत्व माना जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त सही मनोकामना के साथ माता का गुप्त तरीके से आराधना करता है, माता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्राप्ति कराती है.