हल्द्वानी: नैनीताल जिले के हल्द्वानी में लव, सेक्स और धोखे का मामला सामने आया है. पीड़िता ने इस मामले में हल्द्वानी के मुखानी थाने में मुकदमा दर्ज कराया (Mukhani police station Haldwani) है, जिसके आधार पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी (girl filed rape case against her lover) है. हालांकि, पुलिस ने अभीतक आरोपी को गिरफ्तार किया नहीं किया है.
महिला ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि साल 2019 में उसकी मुलाकात सुनील आर्य निवासी कठघरिया से हुई थी. धीरे-धीरे दोनों अच्छे दोस्त बन गए और एक दूसरे के नजदीक आ गए. इसी बीच सुनील का पीड़िता के घर आना जाना भी शुरू हो गया. आरोप है कि शादी का झांसा देकर सुनील ने उसके साथ यौन संबंध बनाए.
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पीड़िता के मुताबिक, यकिन दिलाने के लिए सुनील ने उसे रामनगर के गर्जिया मंदिर भी लेकर गया, जहं उसने माला डालकर उससे शादी कर ली. इस दौरान सुनील आर्या ने कहा कि वह अपने घर में ही रहे वह उस से मिलता रहेगा, लेकिन शादी के कुछ समय बाद पीड़िता का पता चला कि सुनील पहले से ही शादीशुदा है और उसके एक बच्चा भी है.
पीड़िता के मुताबिक, जब उसने सुनील से इस बारे में बात तो उसने फिर से उसे धोखा दिया और बोला कि वह उसे जल्द ही अपने घर लेकर जाएगा. आरोप है कि सुनील ने साथ रखने का झांसा देकर उसका एक मकान साढ़े पांच लाख रुपए में और एक लाख में जेवर बिकवा कर पैसे हड़प लिए.
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पीड़िता का कहना है कि अब सुनील आर्य उसको अपने घर नहीं ले जा रहा है और नहीं पैसे मांगने पर उसे जान से मारने की धमकी भी दे रहा है. सुनील उसके घर गुंडे भी भेज रहा है. पीड़ित महिला ने पूरे मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोपी के खिलाफ जान से मारने की धमकी दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है. थाना प्रभारी रमेश बोहरा का कहना है कि महिला के तहरीर पर आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
अपहरण के मामले में आरोपी दोषमुक्त: वहीं, किशोरी के अपहरण मामले में आरोपी बनाए गए एक युवक को एडीजे-द्वितीय नीलम रात्रा की हल्द्वानी कोर्ट ने 38 दिन में ट्रायल समाप्त कर दोषमुक्त करार दिया है. अधिवक्ता राजन मेहरा ने बताया कि बनभूलपुरा थाना क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति ने 15 मार्च 2022 को पुलिस में तहरीर देते हुए कहा कि गफूर बस्ती निवासी मो समीर उसके नाबालिग पुत्री को बहला फुसलाकर कहीं ले गया है.
पुलिस ने पूरे मामले में कार्रवाई करते हुए मोहम्मद समीर को गिरफ्तार करते हुए 363, 366, 376-2 व पॉक्सो अधिनियम के तहत रिमांड में लेकर जेल भेजा था. जिसके बाद जांच अधिकारी ने पॉक्सो अधिनियम एवं 376-2 को हटा कर केवल धारा 363, 366 में आरोप पत्र प्रेसित किया. पूरे मामले में कोर्ट में 29 जुलाई से सुनवाई शुरू हुई. जहां 38 दिनों के ट्रायल के बाद पूरे मामले में न्यायालय ने समीर को दोषमुक्त पाया और उसके रिहाई के निर्देश दिए.