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हल्द्वानी: कुमाऊंनी लोकगीतों को संजोने में जुटी 'घुघुती', परंपरा की बनीं संवाहक

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Published : Sep 27, 2021, 2:19 PM IST

Updated : Sep 27, 2021, 2:33 PM IST

हल्द्वानी की घुघुती जागर टीम उत्तराखंड (Team Ghuguti Jagar) की पारंपरिक लोकगीतों को सजोने का काम कर रही है.

Team Ghuguti Jagar
घुघुती जागर टीम

हल्द्वानी: उत्तराखंड अपनी लोककला, लोक संस्कृति और लोक विधाओं के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. कुमाऊं के ऐसे कई लोक गीत है जो अब धीरे-धीरे युवा पीढ़ी भूल रही है. पारंपरिक गीत संगीत को छोड़ अब युवा पीढ़ी नए प्रचलन की गीत संगीत की ओर आकर्षित हो रही है. वहीं, हल्द्वानी की घुघुती जागर टीम उत्तराखंड (Team Ghuguti Jagar) की पारंपरिक लोकगीतों को संजोने का काम कर रही है. इन्हीं गीतों में कुमाऊं की प्रचलित लोक गीत भागनौल, जागर, न्यौली, छपेली गीतसहित अन्य पारंपरिक गीत को बचाने का काम कर रहा है.

कुमाऊंनी लोकगीतों को संजोने में जुटी 'घुघुती'.

अगर हम बात बैर भागनौल गीत की करें तो यह लोकगीत कुमाऊं क्षेत्र का एक अनुभूति प्रधान गीत है. इसमें प्रेम की प्रधानता रहती है. इस संगीत में मधुर एहसास के साथ मेलों में हुड़की और नगाड़ों के धुन पर गीत गाए जाते हैं. जहां दो दल प्रश्नोत्तरी के माध्यम से अपने गीत संगीत को एक दूसरे के ऊपर गीतात्मक रूप से प्रस्तुत करते हैं और गीत के माध्यम से अपने प्रतिद्वंदी पर हावी होकर अपनी जीत दर्ज करते हैं.

वहीं, यह लोकगीत अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है. सदियों से उत्तराखंड की जागर, लोक कथाएं प्रचलित हैं लेकिन अब जाकर लोक कथाएं भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है. जिस को संजोने का काम हल्द्वानी की घुघुती जागर टीम कर रही है, जो जागर की लोकगाथाएं, पारंपरिक देवी देवताओं के पूजा के दौरान जाकर करने और किसी धार्मिक अनुष्ठान तंत्र मंत्र पूजा के दौरान देवी-देवताओं का आह्वान का काम करती है.

पढ़ें: राजधानी में पेड़ों को बचाने की मुहिम शुरू, रीजन फॉर क्लीन एंड ग्रीन का 'चिपको अभियान'

इसी के तहत कुमाऊं की एक प्रचलित लोक संगीत न्यौली गीत भी है. यहां का प्रधान गीत है. लेकिन अब यह धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है. कुमाऊं के इन लोक गाथाएं और लोक गीतों को संरक्षित करने वाले घुघुती जागृति हमसे खास बात कि जहां उन्होंने इस पारंपरिक धरोहर को बचाने के लिए पिछले 5 सालों से काम कर रहे हैं.

भगनौल गीत- कुमाऊं क्षेत्र का यह एक अनुभूति प्रधान गीत है. इसमें प्रम की प्रधानता रहती है.

जागर गीत- वे लोकगाथाएं, जिनका संबंध पौराणिक व्यक्तियों या देवताओं से होता है उस जागर कहते हैं. यह किसी धार्मिक अनुष्ठान, तंत्र-मंत्र, पूजा आदि के समय देवी-देवताओं या पौराणिक व्यक्तियों के आवाहन या सम्मान में गाए जाते हैं. उनके गाय को जागरी या जगरिये कहा जाता है. इसे गाते समय थोड़ी नृत्य भी किया जाता है.

बैर गीत- कुमाऊं क्षेत्र का एक तर्क प्रधान गृत्य गीत है. प्रतियोगिता के रूप में आयोजित किए जाने वाले इस नृत्य गीत के आयोजन में दो गायक तार्किक वाद-विवाद को गीतात्मक रूप में प्रस्तुत करते हैं. कुशाग्र बुद्धि वाला बैरीया अपना पक्ष मजबूत करता है और गीत के माध्यम से प्रतिद्वंद्वी पर हावी होते-होते जीत जाता है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड अपनी लोककला, लोक संस्कृति और लोक विधाओं के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. कुमाऊं के ऐसे कई लोक गीत है जो अब धीरे-धीरे युवा पीढ़ी भूल रही है. पारंपरिक गीत संगीत को छोड़ अब युवा पीढ़ी नए प्रचलन की गीत संगीत की ओर आकर्षित हो रही है. वहीं, हल्द्वानी की घुघुती जागर टीम उत्तराखंड (Team Ghuguti Jagar) की पारंपरिक लोकगीतों को संजोने का काम कर रही है. इन्हीं गीतों में कुमाऊं की प्रचलित लोक गीत भागनौल, जागर, न्यौली, छपेली गीतसहित अन्य पारंपरिक गीत को बचाने का काम कर रहा है.

कुमाऊंनी लोकगीतों को संजोने में जुटी 'घुघुती'.

अगर हम बात बैर भागनौल गीत की करें तो यह लोकगीत कुमाऊं क्षेत्र का एक अनुभूति प्रधान गीत है. इसमें प्रेम की प्रधानता रहती है. इस संगीत में मधुर एहसास के साथ मेलों में हुड़की और नगाड़ों के धुन पर गीत गाए जाते हैं. जहां दो दल प्रश्नोत्तरी के माध्यम से अपने गीत संगीत को एक दूसरे के ऊपर गीतात्मक रूप से प्रस्तुत करते हैं और गीत के माध्यम से अपने प्रतिद्वंदी पर हावी होकर अपनी जीत दर्ज करते हैं.

वहीं, यह लोकगीत अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है. सदियों से उत्तराखंड की जागर, लोक कथाएं प्रचलित हैं लेकिन अब जाकर लोक कथाएं भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है. जिस को संजोने का काम हल्द्वानी की घुघुती जागर टीम कर रही है, जो जागर की लोकगाथाएं, पारंपरिक देवी देवताओं के पूजा के दौरान जाकर करने और किसी धार्मिक अनुष्ठान तंत्र मंत्र पूजा के दौरान देवी-देवताओं का आह्वान का काम करती है.

पढ़ें: राजधानी में पेड़ों को बचाने की मुहिम शुरू, रीजन फॉर क्लीन एंड ग्रीन का 'चिपको अभियान'

इसी के तहत कुमाऊं की एक प्रचलित लोक संगीत न्यौली गीत भी है. यहां का प्रधान गीत है. लेकिन अब यह धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है. कुमाऊं के इन लोक गाथाएं और लोक गीतों को संरक्षित करने वाले घुघुती जागृति हमसे खास बात कि जहां उन्होंने इस पारंपरिक धरोहर को बचाने के लिए पिछले 5 सालों से काम कर रहे हैं.

भगनौल गीत- कुमाऊं क्षेत्र का यह एक अनुभूति प्रधान गीत है. इसमें प्रम की प्रधानता रहती है.

जागर गीत- वे लोकगाथाएं, जिनका संबंध पौराणिक व्यक्तियों या देवताओं से होता है उस जागर कहते हैं. यह किसी धार्मिक अनुष्ठान, तंत्र-मंत्र, पूजा आदि के समय देवी-देवताओं या पौराणिक व्यक्तियों के आवाहन या सम्मान में गाए जाते हैं. उनके गाय को जागरी या जगरिये कहा जाता है. इसे गाते समय थोड़ी नृत्य भी किया जाता है.

बैर गीत- कुमाऊं क्षेत्र का एक तर्क प्रधान गृत्य गीत है. प्रतियोगिता के रूप में आयोजित किए जाने वाले इस नृत्य गीत के आयोजन में दो गायक तार्किक वाद-विवाद को गीतात्मक रूप में प्रस्तुत करते हैं. कुशाग्र बुद्धि वाला बैरीया अपना पक्ष मजबूत करता है और गीत के माध्यम से प्रतिद्वंद्वी पर हावी होते-होते जीत जाता है.

Last Updated : Sep 27, 2021, 2:33 PM IST
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