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भीमताल क्षेत्र के काश्तकार फसल बेचने को लेकर परेशान, उप मंडी खोलने की कर रहे मांग - उप मंडी की मांग

भीमताल विधानसभा के ग्रामीण इलाकों में फलों की काफी पैदावार होती है, लेकिन मंडियों के नजदीक न होने पर काश्तकारों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. जबकि, विधायक राम सिंह कैड़ा यहां 2 उप मंडी खोलने की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन ये घोषणा सफेद हाथी साबित हुए हैं.

nainital fruit
उप मंडी
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Published : Jun 1, 2021, 9:38 PM IST

नैनीतालः राज्य गठन के 20 साल बीत जाने के बाद भीमताल विधानसभा के धारी, मुक्तेश्वर और ओखल कांडा क्षेत्र में उप मंडी का निर्माण नहीं हो सका है, जिस वजह से पहाड़ के काश्तकारों को अपनी नकदी फसलों को मजबूरन हल्द्वानी भेजना पड़ रहा है, जहां पर काश्तकार अपनी फसलों को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. जिसके चलते काश्तकारों को नुकसान उठाना पड़ा है.

काश्तकार फसल बेचने को लेकर परेशान

सरोवर नगरी नैनीताल अपने खूबसूरत वादियों के साथ फल उत्पादन को लेकर भी विशेष स्थान रखता है. नैनीताल जिले के धारी, रामगढ़, मुक्तेश्वर और ओखल कांडा क्षेत्र को फल उत्पादन के लिए भी जाना जाता है. इन क्षेत्रों में पुलम, आडू और खुमानी समेत अन्य फलों की बंपर पैदावार होती है. इन फलों की देशभर में मांग होती है. वहीं, दूसरी ओर धारी और ओखल कांडा क्षेत्र सब्जियों के लिए जाना जाता है. इन क्षेत्रों में उगने वाले फल और सब्जियां सालभर देश के विभिन्न कोने-कोने में भेजी जाती हैं.

ये भी पढ़ेंः आडू, पुलम, खुबानी की बंपर पैदावार, फिर भी काश्तकार परेशान

इतना ही नहीं भीमताल विधानसभा क्षेत्र की 90 फीसदी जनता काश्तकारी के जरिए अपना जीवन यापन करती है, लेकिन अफसोस की बात ये है कि यहां उप मंडियां नहीं हैं. ऐसे में काश्तकारों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. जबकि, सब्जी मंडी यहां से काफी दूर हल्द्वानी में स्थित है. जहां पर नकदी फसल पहुंचाना आसान नहीं होता है. स्थानीय काश्तकारों की मानें तो जब तक फसल मंडी पहुंचती है, तब तक फसल खराब हो जाती है. जबकि, उन्हें ट्रांसपोर्ट का खर्चा यानी भाड़ा भी ज्यादा देना पड़ता है.

स्थानीय काश्तकार राज्य सरकार से हर ब्लॉक में उप मंडी बनवाने की मांग कर रहे हैं. ताकि ग्रामीण अपने गांव में ही उगने वाली फल और फसल को इन उप मंडियों के माध्यम से बेच सके. जिससे गांव के काश्तकारों की फसल समय पर बिक सके, लेकिन आज तक इन ग्रामीणों की इस मूलभूत सुविधा की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया है. राज्य बनने के बाद से बीजेपी और कांग्रेस ने बारी-बारी से प्रदेश में शासन किया, लेकिन किसी ने ग्रामीण क्षेत्र की सुध नहीं ली.

ये भी पढ़ेंः देहरादून में आम और लीची की बंपर पैदावार, फिर भी काश्तकार परेशान

फसलों को मंडी तक पहुंचाने में नापनी पड़ रही 80 से 100 KM की दूरी

स्थानीय किसानों का कहना है कि फलों और नकदी फसलों को मंडी तक पहुंचाने के लिए पहले उन्हें घोड़े-खच्चरों के जरिए मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता है. जिसके बाद फसलों को करीब 80 से 100 किलोमीटर की दूरी तय कर हल्द्वानी की मुख्य मंडी पहुंचाना पड़ता है. ऐसे में किसानों का काफी नुकसान हो जाता है. कुछ फल और सब्जियां जल्दी ही खराब हो जाती है. ऐसे में उन्हें समय पर मंडी पहुंचाना जरूरी होता है, लेकन उप मंडी न होने से उन्हें मजबूर शहरों की मंडियों की ओर रूख करना पड़ता है.

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन में उजड़ी बगिया, कोरोना ने छीनी फूलों की खेती से कमाई की सुगंध

दो उप मंडी बनाने की घोषणा साबित हुई सफेद हाथी

विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान विधायक राम सिंह कैड़ा की ओर से 2 उप मंडी खोलने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक गांव में उप मंडियों का निर्माण नहीं हो सका है. ग्रामीण बताते हैं कि उप मंडी का निर्माण तो छोड़िए, चुनाव जीतने के बाद विधायक उनके गांव में आना ही भूल गए. ग्रामीण कहते हैं कि अगर उनके क्षेत्र के हर ब्लॉक में उप मंडी बन गई तो उनकी फसलों को अच्छा दाम मिलेगा. साथ ही लोग खेती पर ज्यादा फोकस करेंगे. जिससे गांव से हो रहे पलायन पर रोक लगेगी.

नैनीतालः राज्य गठन के 20 साल बीत जाने के बाद भीमताल विधानसभा के धारी, मुक्तेश्वर और ओखल कांडा क्षेत्र में उप मंडी का निर्माण नहीं हो सका है, जिस वजह से पहाड़ के काश्तकारों को अपनी नकदी फसलों को मजबूरन हल्द्वानी भेजना पड़ रहा है, जहां पर काश्तकार अपनी फसलों को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. जिसके चलते काश्तकारों को नुकसान उठाना पड़ा है.

काश्तकार फसल बेचने को लेकर परेशान

सरोवर नगरी नैनीताल अपने खूबसूरत वादियों के साथ फल उत्पादन को लेकर भी विशेष स्थान रखता है. नैनीताल जिले के धारी, रामगढ़, मुक्तेश्वर और ओखल कांडा क्षेत्र को फल उत्पादन के लिए भी जाना जाता है. इन क्षेत्रों में पुलम, आडू और खुमानी समेत अन्य फलों की बंपर पैदावार होती है. इन फलों की देशभर में मांग होती है. वहीं, दूसरी ओर धारी और ओखल कांडा क्षेत्र सब्जियों के लिए जाना जाता है. इन क्षेत्रों में उगने वाले फल और सब्जियां सालभर देश के विभिन्न कोने-कोने में भेजी जाती हैं.

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इतना ही नहीं भीमताल विधानसभा क्षेत्र की 90 फीसदी जनता काश्तकारी के जरिए अपना जीवन यापन करती है, लेकिन अफसोस की बात ये है कि यहां उप मंडियां नहीं हैं. ऐसे में काश्तकारों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. जबकि, सब्जी मंडी यहां से काफी दूर हल्द्वानी में स्थित है. जहां पर नकदी फसल पहुंचाना आसान नहीं होता है. स्थानीय काश्तकारों की मानें तो जब तक फसल मंडी पहुंचती है, तब तक फसल खराब हो जाती है. जबकि, उन्हें ट्रांसपोर्ट का खर्चा यानी भाड़ा भी ज्यादा देना पड़ता है.

स्थानीय काश्तकार राज्य सरकार से हर ब्लॉक में उप मंडी बनवाने की मांग कर रहे हैं. ताकि ग्रामीण अपने गांव में ही उगने वाली फल और फसल को इन उप मंडियों के माध्यम से बेच सके. जिससे गांव के काश्तकारों की फसल समय पर बिक सके, लेकिन आज तक इन ग्रामीणों की इस मूलभूत सुविधा की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया है. राज्य बनने के बाद से बीजेपी और कांग्रेस ने बारी-बारी से प्रदेश में शासन किया, लेकिन किसी ने ग्रामीण क्षेत्र की सुध नहीं ली.

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फसलों को मंडी तक पहुंचाने में नापनी पड़ रही 80 से 100 KM की दूरी

स्थानीय किसानों का कहना है कि फलों और नकदी फसलों को मंडी तक पहुंचाने के लिए पहले उन्हें घोड़े-खच्चरों के जरिए मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता है. जिसके बाद फसलों को करीब 80 से 100 किलोमीटर की दूरी तय कर हल्द्वानी की मुख्य मंडी पहुंचाना पड़ता है. ऐसे में किसानों का काफी नुकसान हो जाता है. कुछ फल और सब्जियां जल्दी ही खराब हो जाती है. ऐसे में उन्हें समय पर मंडी पहुंचाना जरूरी होता है, लेकन उप मंडी न होने से उन्हें मजबूर शहरों की मंडियों की ओर रूख करना पड़ता है.

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दो उप मंडी बनाने की घोषणा साबित हुई सफेद हाथी

विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान विधायक राम सिंह कैड़ा की ओर से 2 उप मंडी खोलने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक गांव में उप मंडियों का निर्माण नहीं हो सका है. ग्रामीण बताते हैं कि उप मंडी का निर्माण तो छोड़िए, चुनाव जीतने के बाद विधायक उनके गांव में आना ही भूल गए. ग्रामीण कहते हैं कि अगर उनके क्षेत्र के हर ब्लॉक में उप मंडी बन गई तो उनकी फसलों को अच्छा दाम मिलेगा. साथ ही लोग खेती पर ज्यादा फोकस करेंगे. जिससे गांव से हो रहे पलायन पर रोक लगेगी.

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