हल्द्वानी: प्रदेश में इस बार अच्छी गेहूं की पैदावार होने के बावजूद भी किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं देने से हाथ खड़े कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि किसानों को खुले बाजार में गेहूं के दाम अच्छे मिल रहे हैं. इस वजह से किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं नहीं बेच रहे हैं. जिसके चलते सरकारी खरीद प्रभावित हो सकती है.
प्रदेश में हर साल सरकार द्वारा समर्थन मूल्य की दर से गेहूं और धान की खरीद की जाती है. लेकिन इस बार सरकारी रेट कम होने के चलते किसान अपनी गेहूं को सरकारी क्रय केंद्रों पर नहीं बेच रहे हैं. क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक (आरएफसी) बीएस चलाल ने बताया कि सरकारी क्रय केंद्रों पर इस बार किसान गेहूं लेकर नहीं आ रहे हैं. कहा कि खुले बाजार में किसानों को गेहूं के दाम ₹ 22 से ₹25 सौ रुपए तक प्रति कुंतल के रेट से मिल रहे हैं. जबकि सरकारी क्रय केंद्र पर सरकार द्वारा समर्थन मूल्य 2125 रुपए रखे हैं. जिससे किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने नहीं ला रहे हैं.
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क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक अधिकारी ने बताया कि 30 अप्रैल से गेहूं खरीद शुरू हो गई है. इस वर्ष सरकार द्वारा 2.90 लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. अभी तक मात्र 121 कुंतल गेहूं की खरीद हुई है. उन्होंने बताया कि गेहूं खरीद के लिए 166 गेहूं खरीद केंद्र बनाए गए हैं. 1 अप्रैल से खरीद सत्र शुरू हो चुकी है जो 30 जून तक चलेगा. उन्होंने बताया कि किसान अपनी उपज को खुली मार्केट में बेचने के लिए स्वतंत्र है. बाजारों में रेट अधिक मिलने के चलते किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे हैं. गेहूं खरीद कम होने की जानकारी शासन को भी दे दी गई है.