हल्द्वानी: मेक्सिको,थाईलैंड, वियतनाम,इजराइल, श्रीलंका के अलावा चीन में पाए जाने वाला लोकप्रिय फल ड्रैगन फ्रूट की खेती अब उत्तराखंड के किसानों के लिए भी वरदान साबित हो रही है. नैनीताल जिले के गोरापड़ाव निवासी पूर्व प्रधानाचार्य और प्रगतिशील किसान डॉ. एनएस नेगी ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसानों को प्रेरित कर रहे हैं.उन्होंने पारंपरिक खेती धान,गेहूं,गन्ना सहित अन्य फसलों को छोड़ ड्रैगन फ्रूट की खेती कर आर्थिक स्थिति के मजबूत करने के साथ-साथ दूसरों को रोजगार भी दे रहे हैं.
उनके द्वारा तैयार किए गए ड्रैगन फ्रूट स्वाद और पौष्टिकता से भरपूर हैं. गोरापड़ाव निवासी पूर्व प्रधानाचार्य और पेशे से किसान डॉ. एनएस नेगी ने कैक्टस प्रजाति के पौधों को लगाने में अपनी रुचि रखते हैं.उन्होंने दो साल पहले ड्रैगन खेती करने की योजना बनाई और तेलंगाना राज्य में जाकर ड्रैगन उत्पादन करने वाले प्रगतिशील किसान से ट्रेनिंग ली और उन्हीं से उच्च क्वालिटी के ड्रैगन फ्रूट के पौधे भी मंगाए. आज करीब एक हेक्टेयर में दो हजार से ज्यादा ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए हैं.
पूर्व प्रधानाचार्य एनएस नेगी ने बताया कि उत्तराखंड के किसान अपने पारंपरिक खेती कर तो रहे हैं, लेकिन पारंपरिक खेती में अधिक लागत और जंगली जानवरों से नुकसान की अधिक संभावना रहती है. ऐसे में किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती कारगर साबित हो सकती है. क्योंकि किसी तरह का कोई जंगली जानवर इस फसल को नुकसान नहीं पहुंचाता है. इसके अलावा इसके लिए उत्तराखंड के तराई क्षेत्र का मौसम अनुकूल है. ड्रैगन खेती करने के लिए 8 डिग्री से लेकर 45 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान की आवश्यकता होती है ऐसे में तराई का क्षेत्र ड्रैगन फुट के लिए मौसम अनुकूल है.
उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की तुलना में यहां के ड्रैगन फ्रूट की क्वालिटी और पौष्टिकता बेहतर है.उनका कहना है कि पहाड़ों पर भी ड्रैगन फ्रूट की खेती की अपार संभावना हैं. ड्रैगन फ्रूट की खेती उत्तराखंड के कई युवाओं के लिए रोजगार का सहारा बन सकती है. ड्रैगन फ्रूट के जरिए युवा अच्छी कमाई कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट खेती करने से पहले किसानों को अपनी भूमि की मिट्टी की सॉइल टेस्ट जरूर कराएं. ड्रैगन फ्रूट की फसल महज 2 साल में ही तैयार हो जाती है और अगर अच्छी तरह से इनका ध्यान रखा जाए तो यहां 25 से 30 साल तक आपको पैसे कमा कर दे सकते हैं. ड्रैगन फ्रूट इतना ज्यादा महंगा फल है कि यहां 150 से 200 रुपए प्रति किलो में बिकता है.
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जिला उद्यान अधिकारी आरके सिंह का कहना है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उत्तराखंड की तराई की भूमि अनुकूल है. यहां किसानों द्वारा तैयार किए गए ड्रैगन फ्रूट की क्वालिटी अन्य राज्यों में मिलने वाले ड्रैगन फ्रूट से अलग है. यहां के ड्रैगन फ्रूट में अधिक मिठास के साथ-साथ पौष्टिकता भी है. ऐसे में यहां की ड्रैगन फ्रूट की डिमांड बाजारों में भी खूब हो रही है. किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती के बढ़ावा के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. जिससे किसान अधिक से अधिक ड्रैगन फ्रूट की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सके.