हल्द्वानी: मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री रेजिमेंट ने आज हल्द्वानी में युद्ध सम्मान दिवस मनाया. मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री भारतीय सेना की पुरानी बटालियनों मे से एक है. इस बटालियन का इतिहास बहुत पुराना है. आजादी से पहले यह ग्वालियर स्टेट की सेना की चौथी बटालियन थी. आजादी से पहले जितने भी निर्णायक युद्ध हुए उनमें इस बटालियन ने सक्रिय भूमिका निभाई.
मेजर जनरल इंद्रजीत सिंह बोरा ने बताया कि आजादी के बाद जब सभी राज्यों का राष्ट्र में विलय किया गया तो उसके बाद राज्यों की सेनाओं को भी भारतीय सेना मे विलय कर दिया गया. कुमाऊं रेजिमेंट मे मध्य भारत की दो बटालियनों का विलय किया गया. ग्वालियर स्टेट की 4 ग्वालियर और इंदौर इन्फेंट्री, जो कुमाऊं रेजिमेंट में 14 और 15 कुमाऊं बनी. साल 1953 में दोनों बटालियनों का कुमाऊं रेजिमेंट मे विलय किया गया. विधिवत रूप से 27 अक्टूबर 1954 (कुमाऊं दिवस) को इन्हें कुमाऊं रेजिमेंट का ध्वज प्रदान किया गया.
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29 सितम्बर 1965 को बटालियन को जम्मू कश्मीर के नौशेरा क्षेत्र मे तैनात किया गया. लाम घाटी में सर्च और क्लीनिंग का टास्क दिया गया. बटालियन ने बकर वालों के भेष में बहुत अधिक संख्या में पाकिस्तानी घुसपैठियों को पकड़ा. देश को होनी वाले संभावित खतरों से भी इस बटालियन ने बचाया. इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए बटालियन को 7 अक्टूबर 'ओपी हिल युद्ध सम्मान' दिवस के रूप में प्रदान किया गया. 14 कुमाऊं बटालियन को जब मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री रेजिमेंट में परिवर्तित किया जा रहा था, उस समय बटालियन की कमान मेजर जनरल इंद्रजीत सिंह बोरा के हाथों में थी. उनके जिनके संरक्षण में बटालियन ने अपना युद्ध सम्मान दिवस मनाया.