हल्द्वानी: काठगोदाम थाना क्षेत्र के दमुवाढूंगा में बुजुर्ग दंपति ठंड से बचने के लिए अंगीठी जलाकर सो गए. अंगीठी की गैस लगने से दोनों बेहोश हो गए. आनन-फानन में परिजन उन्हें अस्पताल ले गए. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है.
जानकारी के मुताबिक, दमुवाढूंगा निवासी वॉर्ड नंबर 35 के रहने वाले 63 वर्षीय किशन राम चन्याल देर रात खाना खाने के बाद अपने पत्नी रेवती देवी (60) के साथ कमरे में सोने चले गए. इस दौरान ठंड से बचने के लिए अंगीठी को कमरे में रख दिया. सुबह देर तक जब कमरा नहीं खुला तो परिजनों की चिंता बढ़ गई.
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वहीं, परिजनों ने जब कमरा खोल कर देखा तो दोनों बेहोशी की हालत में पड़े हुए थे. आनन-फानन में परिजन उन्हें नजदीकी अस्पताल ले गए. जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया. मृतक दंपति के दो बेटे हैं. जिसमें एक कारोबारी है. जबकि, दूसरा गंगोलीहाट में पटवारी है. बुजुर्ग दंपत्ति की मौत के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है.
बंद कमरे में न जलाएं अंगीठीः बंद कमरे में अंगीठी जलाना जानलेवा साबित हो सकता है. दरअसल, अंगीठी में इस्तेमाल होने वाले कोयले या लकड़ी के जलने से कार्बन मोनोऑक्साइड के अलावा कई जहरीली गैसें निकलती हैं, जिससे जान जा सकती है.
विशेषज्ञों की मानें तो बंद कमरे में अंगीठी जलाने से कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड भर जाता है और ऑक्सीजन का लेवल घट जाता है. जो सीधे दिमाग पर असर डालता है और सांस के जरिए पूरे शरीर में फैल जाता है. साथ ही खून में हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है. ऐसे में बंद कमरे में सोया इंसान बेहोश हो जाता है.
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अंगीठी जलाते समय कमरे को पूरी तरह से बंद नहीं करना चाहिए. इससे धीरे-धीरे कमरे का ऑक्सीजन कम हो जाता है. अगर कमरे में एक से ज्यादा व्यक्ति सो रहे हैं तो ज्यादा देर तक आग नहीं जलानी चाहिए. ज्यादा लोगों के होने से कमरे में ऑक्सीजन घटने लगता है. जो जानलेवा साबित होता है.