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इको टूरिज्म बदल रहा है पहाड़ की तस्वीर, युवाओं को रोजगार मिलने के साथ गांव हो रहे आबाद - उत्तराखंड न्यूज

उत्तराखंड में धीरे-धीरे पर्यटक होम स्टे और विलेज टूरिज्म की ओर आकर्षित होने लगे है. जिससे युवाओं को घर बैठे रोजगार तो मिल ही रहा है साथ उन्हें अपने माता-पिता के करीब रहने का भी मौका मिल रहा है.

इको टूरिज्म
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Published : Sep 28, 2019, 12:25 PM IST

नैनीताल: पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड में इको और विलेज टूरिज्म उम्मीद की एक नई किरण लेकर आया है, जो युवा कभी रोजगार के लिए शहर की ओर जा रहे थे, वो अब गांवों का रूख करने लगे हैं. पर्वतीय इलाकों के युवाओं ने रोजगार के लिए पहाड़ों के प्राकृतिक सौंदर्य और यहां के कठोर जीवन को ही रोजगार का माध्यम बना लिया है.

पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड के युवाओं ने अब इको और विलेज टूरिज्म से जुड़कर नई इबारत लिखनी शुरू कर दी है, ताकि उत्तराखंड को पर्यटन के क्षेत्र में नया डेस्टिनेशन बनाया जा सके और उत्तराखंड में हो रहे पलायन को रोका जा सके.

पलायन की जितनी मार उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों ने झेली है इतनी शायद ही किसी दूसरे राज्य ने झेली हो. रोजगार की तलाश में युवा गांव से निकलते चले गए और पलायन की वजह से गांव के गांव खाली हो गए. लेकिन अब वीरान पड़े इन गांवों की तस्वीर बदलने लगी है. रोजगार की तलाश में गांव से निकले युवाओं ने लौटना शुरू कर दिया है. प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज गांव में ही युवाओं ने रोजगार के नए रास्ते खोजने शुरू कर दिए हैं. गांव की प्राकृतिक खूबसूरती और पहाड़ के पारंपरिक रहन-सहन से लेकर गांव के खानपान को युवाओं ने रोजगार का माध्यम बनाया है.

इको टूरिज्म को पसंद कर रहे पर्यटक.

पढ़ें- जॉलीग्रांट एयरपोर्ट बन रहा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, यहां के लिए उड़ेंगी फ्लाइट्स

ये इन युवाओं की पहल का ही असर कि गांव की रौनक लौट आई है. धीरे-धीरे पर्यटक होम स्टे और विलेज टूरिज्म की ओर आकर्षित होने लगे. जिससे युवाओं को घर बैठे रोजगार तो मिल ही रहा है, साथ ही उन्हें अपने माता-पिता के करीब रहने का भी मौका मिल रहा है.

विभिन्न क्षेत्रों से नैनीताल पहुंचे सैलानी भी यहां के इको टूरिज्म को पसंद कर रहे है. पर्यटकों का कहना है कि उनको यहां घर जैसा एहसास हो रहा है. जंगल में जानवरों और पक्षियों के बीच रहने का एक अलग ही अनुभव मिला.

पढ़ें- मूलभूत सुविधाओं के बिना कैसे बढ़ेगी पर्यटकों की संख्या, ये है उत्तराखंड पर्यटन के लिए सबसे बड़ा रोड़ा

नैनीताल में इको टूरिज्म शुरू करने वाले अनूप शाह का कहना है कि उत्तराखंड से पलायन को रोकने और युवाओं को वापस गांव में लाने का उन्होंने ये एक प्रयास किया है. इको टूरिज्म के अन्य प्रयास भी सरकार की तरफ से किए जाने चाहिए, ताकि पलायन पर रोक लगे और युवाओं को घर बैठे रोजगार मिल सके. इको टूरिज्म से जुड़े कुछ स्थानीय युवाओं ने बताया कि इसकी वजह से वे आज वापस अपने घर लौट रहे हैं और अपने गांव को संवार रहे हैं.

नैनीताल: पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड में इको और विलेज टूरिज्म उम्मीद की एक नई किरण लेकर आया है, जो युवा कभी रोजगार के लिए शहर की ओर जा रहे थे, वो अब गांवों का रूख करने लगे हैं. पर्वतीय इलाकों के युवाओं ने रोजगार के लिए पहाड़ों के प्राकृतिक सौंदर्य और यहां के कठोर जीवन को ही रोजगार का माध्यम बना लिया है.

पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड के युवाओं ने अब इको और विलेज टूरिज्म से जुड़कर नई इबारत लिखनी शुरू कर दी है, ताकि उत्तराखंड को पर्यटन के क्षेत्र में नया डेस्टिनेशन बनाया जा सके और उत्तराखंड में हो रहे पलायन को रोका जा सके.

पलायन की जितनी मार उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों ने झेली है इतनी शायद ही किसी दूसरे राज्य ने झेली हो. रोजगार की तलाश में युवा गांव से निकलते चले गए और पलायन की वजह से गांव के गांव खाली हो गए. लेकिन अब वीरान पड़े इन गांवों की तस्वीर बदलने लगी है. रोजगार की तलाश में गांव से निकले युवाओं ने लौटना शुरू कर दिया है. प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज गांव में ही युवाओं ने रोजगार के नए रास्ते खोजने शुरू कर दिए हैं. गांव की प्राकृतिक खूबसूरती और पहाड़ के पारंपरिक रहन-सहन से लेकर गांव के खानपान को युवाओं ने रोजगार का माध्यम बनाया है.

इको टूरिज्म को पसंद कर रहे पर्यटक.

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ये इन युवाओं की पहल का ही असर कि गांव की रौनक लौट आई है. धीरे-धीरे पर्यटक होम स्टे और विलेज टूरिज्म की ओर आकर्षित होने लगे. जिससे युवाओं को घर बैठे रोजगार तो मिल ही रहा है, साथ ही उन्हें अपने माता-पिता के करीब रहने का भी मौका मिल रहा है.

विभिन्न क्षेत्रों से नैनीताल पहुंचे सैलानी भी यहां के इको टूरिज्म को पसंद कर रहे है. पर्यटकों का कहना है कि उनको यहां घर जैसा एहसास हो रहा है. जंगल में जानवरों और पक्षियों के बीच रहने का एक अलग ही अनुभव मिला.

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नैनीताल में इको टूरिज्म शुरू करने वाले अनूप शाह का कहना है कि उत्तराखंड से पलायन को रोकने और युवाओं को वापस गांव में लाने का उन्होंने ये एक प्रयास किया है. इको टूरिज्म के अन्य प्रयास भी सरकार की तरफ से किए जाने चाहिए, ताकि पलायन पर रोक लगे और युवाओं को घर बैठे रोजगार मिल सके. इको टूरिज्म से जुड़े कुछ स्थानीय युवाओं ने बताया कि इसकी वजह से वे आज वापस अपने घर लौट रहे हैं और अपने गांव को संवार रहे हैं.

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उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में रहने वाले बेरोजगार युवा रोजगार के सुनहरे सपनों से बाहर निकल कर खुद ही रोजगार के रास्ते तलाशने में जुट गया है, पलायन की मार झेल रहे पर्वतीय इलाकों के युवाओं ने रोजगार के लिए पहाड़ो के प्राकृतिक सौंदर्य और यहां के कठोर जीवन को ही रोजगार का माध्यम बना लिया है

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पलायन की जितनी मार उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों ने झेली है शायद ही किसी दूसरे राज्य ने पलायन की मार नही झेली, रोजगार की तलाश में युवा गांव से निकलते चले गए और पलायन की वजह से गांव के गांव खाली पड़ गए, मगर अब उत्तराखंड के इन बंजर गांव की तस्वीर बदलने लगी है, रोजगार की तलाश में गांव से निकले युवाओं में गांव की तरफ लौटना शुरू कर दिया है, प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज गांव में ही युवाओं ने रोजगार के नए रास्ते खोजने से शुरू कर दिए हैं और रोजगार के लिए युवाओं ने रोजगार के नए जरिया बनाए हैं, गांव की प्राकृतिक खूबसूरती और पहाड़ के पारंपरिक रहन-सहन से लेकर गांव के खानपान को युवाओं ने रोजगार का माध्यम बनाया है,
पलायन की दंश झेल रहे उत्तराखंड में युवाओं ने अब पहाड़ों को इको टूरिज्म, विलेज टूरिज्म से जोड़कर नई इबारत लिखनी शुरू कर दी है ताकि उत्तराखंड को पर्यटन के क्षेत्र में नया डेस्टिनेशन बनाया जा सके और उत्तराखंड में हो रहे पलायन को रोका जा सके।


Body:वहीं अब इन युवाओं की शुरू की गई पहल से एक बार फिर वीरान हो चुके गांव और जंगल मैं रोनक आने लगी है, और धीरे-धीरे पर्यटक होमस्टे ओ विलेज टूरिज्म समेत इको टूरिज्म की तरफ आकर्षित होने लगे हैं जिससे युवाओं को घर बैठे रोजगार तो मिल ही रहा है साथ में अपने माता-पिता के करीब रहने का भी मौका मिल रहा है वही वीरान हो चुके गांव खलिहान भी एक बार फिर से आबाद होते हैं।
वही नैनीताल के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचे पर्यटकों का कहना है कि वह देश के विभिन्न स्थितियों स्थानों में घूम कर आए लेकिन उनको नैनीताल का यह इको टूरिज्म सबसे बेहतर लगा उनको यहां घर जैसा एहसास हुआ और जंगल के बीच जानवरों पक्षियों के बीच रहने का भी एक अलग ही अनुभव मिला।

बाइट- सेजल,पर्यटक


Conclusion:नैनीताल में ईकोवटूरिज्म शुरू करने वाले अनूप शाह का कहना है कि उत्तराखंड से पलायन को रोकने और युवाओं को वापस अपने प्रदेश गांव और शहर की तरफ आकर्षित करने के लिए इस तरह के इको टूरिज्म या अन्य प्रयास सरकार के द्वारा किए जाने चाहिए ताकि पलायन पर रोक लगे और युवाओं को घर बैठे रोजगार मिल सके ।
नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर समेत पूरे कुमाऊं भर में शुरू हुए इन होम स्टे और ईको टूरिज्म के द्वारा यहां आने वाले पर्यटकों को शांत स्वच्छ वातावरण, वाइल्ड लाइफ के साथ-साथ उत्तराखंड की संस्कृति और उत्तराखंड के पारंपरिक रीति-रिवाज और खानपान को भी जानने का मौका मिल रहा है जिससे उत्तराखंड को एक विशेष अलग पहचान मिल रही है।
वहीं युवाओं का कहना है कि वह आज वापस अपने घर लौट कर इस तरह का काम शुरू किया है जिनसे उनको काफी अच्छा लग रहा है।

बाईट- अभय,पर्यटक।
बाईट- अनूप साह, पर्यटन कारोबारी।
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