हल्द्वानी: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूल पिछले चार महीने से बंद हैं. निजी स्कूल जहां अपने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं, वही सरकारी स्कूलों के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संसाधनों के अभाव के चलते पढ़ाई चौपट हो रही है. यहां तक कि सरकार द्वारा दी जाने वाली निशुल्क किताबें भी उपलब्ध नहीं कराई गई हैं. न ही किताबों के लिए दी जाने वाली धनराशि ही बच्चों के खाते में पहुंचाई गई है.
संसाधनों के अभाव में सरकारी स्कूलों के छात्रों का भविष्य अंधकार में मुख्य शिक्षा अधिकारी केके गुप्ता ने बताया कि सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को सरकार द्वारा निशुल्क ड्रेस के साथ-साथ पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं. ऐसे में सरकार द्वारा प्राथमिक और जूनियर के बच्चों को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से उनके खातों में पुस्तकें और ड्रेस की धनराशि डाली जाती है. धनराशि की व्यवस्था सर्व शिक्षा अभियान और राज्य सरकार द्वारा की जाती है. सरकार द्वारा बजट जारी कर दिया गया है. जल्द ब्लॉक स्तर से पैसों का वितरण छात्रों के खातों में कर दिया जाएगा. जिसके बाद छात्र किताबें खरीद सकेंगे. उन्होंने बताया कि माध्यमिक स्कूल के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण कराने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा अन्य क्लासों के बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया है. जबकि नए बच्चों का एडमिशन व्हट्सएप के माध्यम से किया जा रहा है. स्कूल खुलने के बाद उन बच्चों का एडमिशन पूरा कर लिया जाएगा.
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गौरतलब है कि नैनीताल जनपद में 950 प्राइमरी स्कूल और 225 जूनियर हाई स्कूल संचालित हो रहे हैं. लेकिन कोरोना महामारी के चलते इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पढ़ाई पूरी तरह ठप है. ऐसे में सरकार इन बच्चों को पढ़ाई के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं कर रही है. प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग की लापरवाही इन नौनिहालों पर भारी पड़ रही है.