रामनगर: कॉर्बेट लैंडस्केप में जहां प्रवासी पक्षियों के वापस जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. लेकिन एक पक्षी ऐसा भी है, जो मैदानी क्षेत्रों में गर्मी बढ़ते ही कॉर्बेट पार्क के लैंडस्केप और पहाड़ी क्षेत्रों का रुख करते हैं. जिनको शुभ सांकेतिक पक्षी कहा जाता है. इनका नाम धनचिड़ी और गोत्याली है.
इस दोनों पक्षियों को लेकर एक मान्यता है. कहा जाता है कि ये पक्षी जिस घर में घोंसला बनाते हैं, वहां कभी भी धन की कमी नहीं होती है. इसीलिए इसे शुभ सांकेतिक पक्षी भी कहा जाता है. ये दोनों पक्षी पिछले दो सालों से लगातार रामनगर पीएनजी पीजी महाविद्यालय में आ रही हैं.
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रामनगर महाविद्यालय के प्रोफेसर जीसी पंत ने बताया कि ये पक्षी नदी से दोमट मिट्टी उठाकर अपने चोंच में लाते हैं और उसी से अपना घोंसला बनाते हैं. इन्हीं घोंसलों में ये पक्षी अंडे देते हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि ये चिड़िया समूह में रहना पसंद करती है. रामनगर महाविद्यालय परिसर में 250 से 300 पक्षी है. आसपास के लोग बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इन चिड़ियों को देखने के लिए एक बार यहां जरूर आते हैं.
वैज्ञानिक नाम कॉमन हाउस मार्टिन
इन पक्षियों पर शोध कर रही प्रोफेसर डॉ भावना पंत ने बताया कि इस पक्षी को कॉमन हाउस मार्टिन कहा जाता है, जो बहुत ही शुभ सांकेतिक पक्षी मानी जाती है. इन पहाड़ों की तरफ आना शुभ माना जाता है. यह 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ती है. पूरी दुनिया में कुल इसकी 83 प्रजातियां हैं.
लाल सूचीबद्ध प्रजाति में आता है
प्रोफेसर भावना पंत ने बताया कि यह पक्षी लाल सूचीबद्ध प्रजाति में आता है. रामनगर महाविद्यालय में इन पक्षियों के सैकड़ों घोंसले हैं. यह पक्षी वहां पर अपना घोंसला बनाना पसंद करती हैं, जहां पर पानी नजदीक हो. इनका घोंसला सुरई नुमा होता है, जिसको मेल बनाने का कार्य करता है. फीमेल इनमें अंडे देती है.
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प्रोफेसर भावना पंत पिछले दो सालों से इन पक्षियों पर अध्ययन कर रही है. बसंत ऋतु के आगमन पर ये पक्षी यहां आते हैं. इसके बाद वापस लौट जाती है. ये अपने पुराने बिलों में ही आती हैं, लेकिन इस बार उन्होंने देखा कि इन पक्षियों ने पुराने घोंसले तोड़कर नए घोंसले बनाए है.
रामनगर में जो पक्षी आते है वो सभी विदेशी हैं, जो ब्रिटेन, जर्मन, यूरोप और एशिया आदि से आती हैं. ये चिड़िया किसी के हाथ से कुछ नहीं खाती है. इस कारण से इसे चिड़ियाओं को पंडित भी माना जाता है. यहां आना इनका एक संकेत देता है कि मैदानी इलाकों में गर्मियों शुरू हो गई है. इन दिनों धनचिड़ी चिड़िया के यहां लौटने पर लोग खुश हैं और इनके लिए अपने घरों के दरवाजे खोल दिए हैं.