हल्द्वानी: नगर निगम में नए गांव को शामिल किये हुए एक साल से अधिक का समय हो गया है. लेकिन विकास कार्यों के मामले में नगर निगम में शामिल गांव आज भी राम भरोसे ही हैं. सरकार ने हल्द्वानी नगर निगम का परिसीमन कर 35 गांव की एक लाख से अधिक आबादी को नगर निगम में जोड़ा था. विकास के सपने दिखाकर आंदोलित लोगों को नगर निगम में शामिल होने के लिए मनाया गया. मगर एक साल बीत जाने के बाद भी नगर निगम में शामिल किए गए 35 गांवों के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.
दरअसल, एक साल पहले सरकार ने हल्द्वानी के 35 गांवों को विकास का सपना दिखाते हुए परिसीमन कर नगर निगम में शामिल किया था. जिससे लोगों में उम्मीद जगी थी कि नगर निगम में शामिल होने से गांवों में विकास के काम होंगे. लेकिन साल भर बीतने के बाद भी लोगों की उम्मीदों को पंख नहीं लग पाये हैं. जिसके कारण इन गावों के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. बात अगर इन 35 गांवों में विकास कार्यों की करें तो वे यहां पूरी तरह से ठप हैं.
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बताया जाता है कि जब तक ये गांव जिला पंचायत में शामिल थे तो इनका खूब विकास हुआ लेकिन निगम में शामिल होने के बाद से रहा सहा विकास भी रुक गया. बात अगर सफाई व्यवस्था की करें तो वो अब भी पुराने ढर्रे पर चल रही है. नगर निगम ने पुराने समय की जिला पंचायत की व्यवस्था को ही सफाई का जिम्मा दिया है.
जबकि नगर निगम में शामिल करने से पहले जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाए गए थे. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने नगर निगम चुनाव के दौरान निगम में शामिल क्षेत्रों को अगले 10 सालों तक टैक्स न देने की घोषणा भी की थी. लेकिन हकीकत यह है कि अब तक इस पर सरकार से कोई शासनादेश भी निगम के पास नहीं पहुंचा है.
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इस मामले पर जब नगर निगम के नगर आयुक्त चंद्र सिंह मार्तोलिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अबतक आचार संहिता लगी हुई थी. जिसके कारण विकास कार्य नहीं हो पा रहे थे. अब आचार संहिता खंत्म हो गई है तो जल्द ही इन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए व्यापक योजनाएं चलाई जाएगी.