रामनगरः उत्तराखंड में अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बीच नैनीताल प्रशासन ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध गर्जिया मंदिर के पास बनी दुकानों पर भी ध्वस्तीकरण का नोटिस चस्पा कर दिया है. नोटिस चस्पा होने के बाद से रामनगर क्षेत्र के लोग सरकार की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. इसी क्रम में मंदिर परिसर में स्थित 200 से अधिक प्रसाद विक्रेताओं ने अपनी दुकानों को बंद रखकर विरोध जताया.
गर्जिया मंदिर परिसर से प्रसाद की दुकानें हटाने का विरोध: मंदिर के पुजारी दिनेश चंद्र शास्त्री ने बताया कि गर्जिया देवी मंदिर काफी पुराना व प्राचीन है. इसका वर्णन ग्रंथों में भी किया गया है. मंदिर के पास बनी दुकानें ध्वस्त होने के बाद मंदिर की अस्तित्व भी खतरे में आएगा. उन्होंने सरकार और विभाग की कार्रवाई के खिलाफ रोष व्यक्त किया. वहीं प्रसाद विक्रेताओं ने कहा कि वह मंदिर परिसर में प्रसाद बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं लेकिन सरकार उन्हें बेरोजगार करने पर तुली है, जिसे सहन नहीं किया जाएगा.
गर्जिया मंदिर के टीले को बचाने की कवायदः उधर कुमाऊं के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र गर्जिया मंदिर के टीले को बचाने की कवायद लंबे समय से चल रही है. मंदिर के टीले को बचाने के लिए सिंचाई विभाग ने डीपीआर तैयार की है, जहां 9 करोड़ 23 लाख के बजट से मंदिर के टीले का पुनर्निर्माण कर मंदिर के अस्तित्व को बचाया जाएगा. डीपीआर शासन को भेज दिया गया है. मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग संजय शुक्ला ने बताया कि गर्जिया मंदिर का टीला आपदा के चलते क्षतिग्रस्त हो चुका है, जिसको बचाने की कवायद चल रही है. पूर्व में विभाग द्वारा टेंपरेरी तौर पर मंदिर के टीले को बचाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है.
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