हल्द्वानी: ठंडा आते ही आपने रुई की रजाई भरने वालों की दुकानों पर भीड़ देखी होगी, लेकिन बदलते दौर में अब इन रुई के रजाइयों की डिमांड खत्म हो रही है. रुई की रजाइयों की जगह जयपुरी और हेंडीक्राफ्ट की रजाइयों ने ले ली है. ऐसे में रुई की रजाई का पारंपरिक व्यवसाय करने वालों के आगे रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है. कड़ाके की सर्दी के बीच रुई पिनने वालों को ग्राहकों का इंतजार है.
रुई पिनने वाले परिवारों का कहना है कि वे वर्षों से रुई पिनने का काम करते आ रहे हैं, जो उनका रोजी-रोटी का जरिया होता था, लेकिन बदलते दौर में उनके कारोबार पर खासा असर पड़ा है. रुई की रजाइयों की जगह जयपुरी और अन्य फैंसी रजाइयों ने बना ली है. ऐसे में रुई पिनने वालो का कारोबार चौपट हो चुका है.
उन्होंने आगे बताया कि फैंसी रजाइयां बाजार में आने से उनके कारोबार पर 50 से 60% का असर पड़ा है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके कारोबार के लिए कोई ठोस योजना बनाए, जिससे कि उनकी आजीविका चल सके.
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वहीं दूसरी ओर फैंसी रजाइयों के व्यापारियों की मानें तो बाजार में जयपुरी और हैंडीक्राफ्ट की रजाइयों की खूब डिमांड है, जिसको ग्राहक खासा पसंद कर रहा है. दुकानदारों के मुताबिक रुई की रजाई की तुलना में जयपुरी रजाई हल्की, गर्म और आरामदायक होती है.