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हल्द्वानी के पास है श्रीलंका टापू, मॉनसून में दुनिया से कट जाता है गांव का कनेक्शन

मॉनसून की दस्तक के साथ ही हल्द्वानी के श्रीलंका टापू गांव की परेशानियां भी शुरू हो गई हैं. मॉनसून सीजन में गोला नदी में पानी आने से गांव का शहर से संपर्क कट जाता है. मॉनसून के 3 महीने तक गांव के लोग कैद हो जाते हैं. गांव में 50 परिवार यानी करीब 200 लोग रहते हैं.

Sri Lanka Island Village
श्रीलंका टापू गांव
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Published : Jun 27, 2022, 3:25 PM IST

Updated : Jun 27, 2022, 4:43 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड में मॉनसून सीजन शुरू हो चुका है. इसके साथ ही पहाड़ों में भूस्खलन और मार्ग अवरुद्ध होने की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं. हालांकि स्थानीय प्रशासन पूरे तुरंत कार्रवाई करते हुए मार्ग को सुचारू बना रहा है. लेकिन नैनीताल जिले के हल्द्वानी मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर दूर श्रीलंका टापू गांव के लिए बारिश हर साल अभिशाप बनकर आती है. मॉनसून के दौरान 3 महीने तक इस गांव से शहर का संपर्क टूट जाता है. 3 महीने तक इस गांव के लोगों को नदी के बीच टापू में रहना पड़ता है. गांव में करीब 200 लोग रहते हैं.

वहीं, मॉनसून की दस्तक के साथ ही जिला प्रशासन ने गांव में किसी तरह का खाद्यान्न का संकट ना हो, इसको लेकर 3 महीने का अतिरिक्त राशन परिवार वालों को उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है. यहां तक कि बारिश के समय लोगों को कोई बीमारी ना हो इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम दवाइयां भी उपलब्ध करा रही है. इसके अलावा आपातकाल की स्थिति में गांव के किसी व्यक्ति को रेस्क्यू करने के लिए एक स्थाई हेलीपैड भी तैयार किया गया है.

श्रीलंका टापू गांव का मॉनसून में दुनिया से संपर्क कट जाता है.
ये भी पढ़ेंःउत्तराखंड में अग्निपथ योजना के खिलाफ कांग्रेस का धरना प्रदर्शन, खटीमा में विधायक ने किया सत्याग्रह

एसडीएम मनीष कुमार सिंह ने बताया कि श्रीलंका टापू गांव की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य गांवों की तुलना में अलग है. यहां करीब 50 परिवार दशकों से रह रहे हैं. इस गांव में जाने के लिए एक मात्र रास्ता गौला नदी से होकर जाता है. मॉनसून के दिनों में गोला नदी में अधिक पानी हो जाने के कारण 3 महीने तक इस गांव का संपर्क शहर से कट जाता है. ऐसे में इस गांव के लोगों को किसी तरह का कोई परेशानी ना हो इसके लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है.

गांव में ना सड़क ना बिजलीः श्रीलंका टापू गांव के लोग पिछले कई दशकों से निवास करते आ रहे हैं. इन लोगों को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदान करने का भी अधिकार है. बावजूद इसके गांव तक ना हो सड़क है और ना ही गांव में बिजली है. मॉनसून के अलावा अन्य दिनों में नदी में पानी कम होने पर या नदी सूख जाने की स्थिति में गांव के लोग पैदल ही नदी वाले रास्ते से आवाजाही करते हैं. लेकिन मॉनसून के 3 महीनों में गांव के लोगों के लिए एक मात्र मार्ग बंद हो जाता है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड में मॉनसून सीजन शुरू हो चुका है. इसके साथ ही पहाड़ों में भूस्खलन और मार्ग अवरुद्ध होने की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं. हालांकि स्थानीय प्रशासन पूरे तुरंत कार्रवाई करते हुए मार्ग को सुचारू बना रहा है. लेकिन नैनीताल जिले के हल्द्वानी मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर दूर श्रीलंका टापू गांव के लिए बारिश हर साल अभिशाप बनकर आती है. मॉनसून के दौरान 3 महीने तक इस गांव से शहर का संपर्क टूट जाता है. 3 महीने तक इस गांव के लोगों को नदी के बीच टापू में रहना पड़ता है. गांव में करीब 200 लोग रहते हैं.

वहीं, मॉनसून की दस्तक के साथ ही जिला प्रशासन ने गांव में किसी तरह का खाद्यान्न का संकट ना हो, इसको लेकर 3 महीने का अतिरिक्त राशन परिवार वालों को उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है. यहां तक कि बारिश के समय लोगों को कोई बीमारी ना हो इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम दवाइयां भी उपलब्ध करा रही है. इसके अलावा आपातकाल की स्थिति में गांव के किसी व्यक्ति को रेस्क्यू करने के लिए एक स्थाई हेलीपैड भी तैयार किया गया है.

श्रीलंका टापू गांव का मॉनसून में दुनिया से संपर्क कट जाता है.
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एसडीएम मनीष कुमार सिंह ने बताया कि श्रीलंका टापू गांव की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य गांवों की तुलना में अलग है. यहां करीब 50 परिवार दशकों से रह रहे हैं. इस गांव में जाने के लिए एक मात्र रास्ता गौला नदी से होकर जाता है. मॉनसून के दिनों में गोला नदी में अधिक पानी हो जाने के कारण 3 महीने तक इस गांव का संपर्क शहर से कट जाता है. ऐसे में इस गांव के लोगों को किसी तरह का कोई परेशानी ना हो इसके लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है.

गांव में ना सड़क ना बिजलीः श्रीलंका टापू गांव के लोग पिछले कई दशकों से निवास करते आ रहे हैं. इन लोगों को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदान करने का भी अधिकार है. बावजूद इसके गांव तक ना हो सड़क है और ना ही गांव में बिजली है. मॉनसून के अलावा अन्य दिनों में नदी में पानी कम होने पर या नदी सूख जाने की स्थिति में गांव के लोग पैदल ही नदी वाले रास्ते से आवाजाही करते हैं. लेकिन मॉनसून के 3 महीनों में गांव के लोगों के लिए एक मात्र मार्ग बंद हो जाता है.

Last Updated : Jun 27, 2022, 4:43 PM IST
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