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नैनीताल लोकसभा: दो दिग्गजों की साख दांव पर, विधानसभा चुनाव में दोनों को मिली थी करारी शिकस्त

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Published : May 22, 2019, 3:38 PM IST

Updated : May 23, 2019, 5:24 AM IST

हरीश रावत की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है और उनका राजनीति अनुभव भी ज्यादा है. वहीं अजय भट्ट के सामने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव होगा. इन दोनों दिग्गजों की साख लोकसभा चुनाव में दांव पर है.

दिग्गजों की साख दांव पर.

हल्द्वानी: नैनीताल लोकसभा सीट के परिणाम को लेकर लोगों की धड़कनें तेज हो गई हैं. इस सीट से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम हरीश रावत आमने-सामने हैं. मुकाबला बेहद रोमांचक होने की उम्मीद है. साथ ही इस बार दोनों प्रत्याशियों की साख दांव पर लगी हुई है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव हारे थे, वहीं हरीश रावत को मुख्यमंत्री रहते हुए हरिद्वार और किच्छा विधानसभा सीट से करारी शिकस्त मिली थी. इसलिए दोनों नेताओं को अपनी राजनीति जमीन बचाए रखने की चुनौती ज्यादा होगी.

दिग्गजों की साख दांव पर.

गौर हो कि हरीश रावत की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है और उनका राजनीति अनुभव भी ज्यादा है. वहीं अजय भट्ट के सामने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव होगा, हालांकि, उनका सांगठनिक अनुभव लंबा रहा है. वहीं हरीश रावत का भी इस संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का अनुभव नया होगा. अल्मोड़ा सीट आरक्षित हो जाने के बाद हरीश रावत वर्ष 2009 में हरिद्वार से चुनाव लड़े थे. वहीं दोनों बड़े नेताओं के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला रोचक होता जा रहा है. वोटरों को रिझाने के लिए दोनों दलों के ये नेता कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे.

पढ़ें- गौरीकुंड में आस्था के साथ खिलवाड़, मंदाकिनी नदी में डाली जा रही गंदगी

वहीं, पिछली विधानसभा चुनाव में दोनों बड़े नेता विधायक का चुनाव हार चुके हैं. अजय भट्ट बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव हारे थे तो हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते हुए हरिद्वार और किच्छा विधानसभा से हार का मुंह देखना पड़ा था. इसलिए इन दोनों नेताओं की साख भी दांव पर लगी हुई है. वर्तमान में भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अजय भट्ट और हरीश रावत पर फिर से विश्वास जताया है. दोनों हारे हुए विधायक सांसद के चुनाव में आमने सामने खड़े हैं.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति विशेषज्ञ गणेश जोशी का कहना है कि नैनीताल संसदीय सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है. क्योंकि भाजपा का संगठन बहुत मजबूत है लेकिन अजय भट्ट की जनता में पकड़ कमजोर है. वहीं, इसके उलट लोकसभा सीट पर कांग्रेस संगठन की पकड़ काफी कमजोर है, लेकिन हरीश रावत की जनता में बेहद मजबूत पकड़ है. इसलिए, दोनों दिग्गजों के बीच मुकाबला बेहद रोमांचक और कड़ी टक्कर का रहने वाला है और इस संसदीय सीट के नतीजे हरीश रावत और अजय भट्ट का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे.

पढ़ें- मुन्ना सिंह चौहान बोले- आरोपों को साबित करे कांग्रेस, मुख्यमंत्री और मैं एकसाथ देंगे इस्तीफा

वहीं, अजय भट्ट का कहना है कि राजनेताओं के जीवन में चुनाव को लेकर हार जीत लगी रहती है. उससे इस चुनाव में कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी से कांग्रेस का कोई मुकाबला नहीं है.

हल्द्वानी: नैनीताल लोकसभा सीट के परिणाम को लेकर लोगों की धड़कनें तेज हो गई हैं. इस सीट से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम हरीश रावत आमने-सामने हैं. मुकाबला बेहद रोमांचक होने की उम्मीद है. साथ ही इस बार दोनों प्रत्याशियों की साख दांव पर लगी हुई है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव हारे थे, वहीं हरीश रावत को मुख्यमंत्री रहते हुए हरिद्वार और किच्छा विधानसभा सीट से करारी शिकस्त मिली थी. इसलिए दोनों नेताओं को अपनी राजनीति जमीन बचाए रखने की चुनौती ज्यादा होगी.

दिग्गजों की साख दांव पर.

गौर हो कि हरीश रावत की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है और उनका राजनीति अनुभव भी ज्यादा है. वहीं अजय भट्ट के सामने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव होगा, हालांकि, उनका सांगठनिक अनुभव लंबा रहा है. वहीं हरीश रावत का भी इस संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का अनुभव नया होगा. अल्मोड़ा सीट आरक्षित हो जाने के बाद हरीश रावत वर्ष 2009 में हरिद्वार से चुनाव लड़े थे. वहीं दोनों बड़े नेताओं के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला रोचक होता जा रहा है. वोटरों को रिझाने के लिए दोनों दलों के ये नेता कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे.

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वहीं, पिछली विधानसभा चुनाव में दोनों बड़े नेता विधायक का चुनाव हार चुके हैं. अजय भट्ट बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव हारे थे तो हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते हुए हरिद्वार और किच्छा विधानसभा से हार का मुंह देखना पड़ा था. इसलिए इन दोनों नेताओं की साख भी दांव पर लगी हुई है. वर्तमान में भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अजय भट्ट और हरीश रावत पर फिर से विश्वास जताया है. दोनों हारे हुए विधायक सांसद के चुनाव में आमने सामने खड़े हैं.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति विशेषज्ञ गणेश जोशी का कहना है कि नैनीताल संसदीय सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है. क्योंकि भाजपा का संगठन बहुत मजबूत है लेकिन अजय भट्ट की जनता में पकड़ कमजोर है. वहीं, इसके उलट लोकसभा सीट पर कांग्रेस संगठन की पकड़ काफी कमजोर है, लेकिन हरीश रावत की जनता में बेहद मजबूत पकड़ है. इसलिए, दोनों दिग्गजों के बीच मुकाबला बेहद रोमांचक और कड़ी टक्कर का रहने वाला है और इस संसदीय सीट के नतीजे हरीश रावत और अजय भट्ट का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे.

पढ़ें- मुन्ना सिंह चौहान बोले- आरोपों को साबित करे कांग्रेस, मुख्यमंत्री और मैं एकसाथ देंगे इस्तीफा

वहीं, अजय भट्ट का कहना है कि राजनेताओं के जीवन में चुनाव को लेकर हार जीत लगी रहती है. उससे इस चुनाव में कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी से कांग्रेस का कोई मुकाबला नहीं है.

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नैनीताल लोकसभा: दो दिग्गजों की साख दांव पर, विधानसभा चुनाव में दोनों को मिली थी करारी शिकस्त

 



हरीश रावत की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है और उनका राजनीति अनुभव भी ज्यादा है. वहीं अजय भट्ट के सामने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव होगा, हालांकि, उनका सांगठनिक अनुभव लंबा रहा है. वहीं हरीश रावत का भी इस संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का अनुभव नया होगा.



हल्द्वानी: नैनीताल लोकसभा सीट के परिणाम को लेकर लोगों की धड़कनें तेज हो गई हैं. इस सीट से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम हरीश रावत आमने-सामने हैं. मुकाबला बेहद रोमांचक होने की उम्मीद है. साथ ही इस बार दोनों प्रत्याशियों की साख दांव पर लगी हुई है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव हारे थे, वहीं हरीश रावत को मुख्यमंत्री रहते हुए हरिद्वार और किच्छा विधानसभा सीट से करारी शिकस्त मिली थी. इसलिए दोनों नेताओं को अपनी राजनीति जमीन बचाए रखने की चुनौती ज्यादा होगी.



गौर हो कि हरीश रावत की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है और उनका राजनीति अनुभव भी ज्यादा है. वहीं अजय भट्ट के सामने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव होगा, हालांकि, उनका सांगठनिक अनुभव लंबा रहा है. वहीं हरीश रावत का भी इस संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का अनुभव नया होगा. अल्मोड़ा सीट आरक्षित हो जाने के बाद हरीश रावत वर्ष 2009 में हरिद्वार से चुनाव लड़े थे. वहीं दोनों बड़े नेताओं के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला रोचक होता जा रहा है. वोटरों को रिझाने के लिए दोनों दलों के ये नेता कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे.



वहीं पिछली विधानसभा चुनाव में दोनों बड़े नेता विधायक का चुनाव हार चुके हैं. अजय भट्ट बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव हारे थे तो हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते हुए हरिद्वार और किच्छा विधानसभा से हार का मुंह देखना पड़ा था. इसलिए इन दोनों नेताओं की साख भी दांव पर लगी हुई है. वर्तमान में भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अजय भट्ट और हरीश रावत पर फिर से विश्वास जताया है. दोनों हारे हुए विधायक सांसद के चुनाव में आमने सामने खड़े हैं.



वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति विशेषज्ञ गणेश जोशी का कहना है कि नैनीताल संसदीय सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है. क्योंकि भाजपा का संगठन बहुत मजबूत है लेकिन अजय भट्ट की जनता में पकड़ कमजोर है. वहीं, इसके उलट लोकसभा सीट पर कांग्रेस संगठन की पकड़ काफी कमजोर है, लेकिन हरीश रावत की जनता में बेहद मजबूत पकड़ है. इसलिए, दोनों दिग्गजों के बीच मुकाबला बेहद रोमांचक और कड़ी टक्कर का रहने वाला है और इस संसदीय सीट के नतीजे हरीश रावत और अजय भट्ट का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे.



वहीं, अजय भट्ट का कहना है कि राजनेताओं के जीवन में चुनाव को लेकर हार जीत लगी रहती है. उससे इस चुनाव में कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी से कांग्रेस का कोई मुकाबला नहीं है.


Conclusion:
Last Updated : May 23, 2019, 5:24 AM IST
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