हल्द्वानी: कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल के प्रशासन की ऐसी निर्दयता सामने आई है जो किसी के भी दिल को पसीज के रख दे. एक गरीब महिला के पति की मौत हो जाने के बाद अस्पताल का बिल न चुका पाने पर प्रशासन ने उसके पति के शव को ले जाने से रोक दिया. महिला मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के पैर पकड़कर गिड़गिड़ाने लगी. वहीं, महिला की मजबूरी को देखकर स्थानीय लोगों ने दखल दिया, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने महिला को पति का शव को सौंपा.
जानकारी के अनुसार, रुद्रपुर निवासी मोनिका वर्मा के पति उमेश वर्मा एक एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद परिजन ने घायल को हल्द्वानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. पैसा खत्म हो जाने के बाद परिजन घायल उमेश को इलाज के लिए हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल ले गए. जिसके बाद देर रात उमेश की मौत हो गई. उमेश के इलाज में अस्पताल का 22000 रुपये का खर्च आया, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने रुपयों को घटाकर 11000 रुपये कर दिया, लेकिन गरीब महिला मोनिका के पास देने के लिए कुछ भी नहीं था और पति की मौत से वह पूरी तरह से टूट गई थी. महिला ने अस्पताल प्रशासन से पति के शव के लेने के लिए बार-बार गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने एक भी नहीं सुनी और शव को मोर्चरी में रखवा दिया.
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इस दौरान महिला ने अपनी गुहार अस्पताल के प्रिंसिपल सीपी भैसोड़ा से लगाई, लेकिन उन्होंने भी एक न सुनी. महिला ने प्रिंसिपल के पैर पकड़ कर शव देने की गुहार लगाई. इस बीच कुछ लोग वहां इकट्ठा हो गए और महिला को पैसे से मदद करने लगे. इसके बाद प्रिंसिपल सीपी भैसोड़ा के निर्देश पर शव का पोस्टमार्टम किया गया और शव को एंबुलेंस से महिला के घर रुद्रपुर तक छोड़ा गया.